Sunday - 14 January 2024 - 12:37 AM

आरोपियों के पोस्टर लगाने पर सख्त हुआ कोर्ट, सोमवार को आयेगा फैसला

न्‍यूज डेस्‍क

19 दिसंबर, 2019 को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हिंसक झड़प हुई थी। हिंसक झड़प में सार्वजनिक संपत्ती को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपियों के फोटो और होर्डिंग्स लगाने के मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। रविवार को इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसके बाद अदालत ने कहा कि सोमवार दोपहर दो बजे फैसला सुनाया जाएगा।

इससे पहले चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे और डीएम अभिषेक प्रकाश को तलब किया। दोनों को रविवार सुबह 10 बजे कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।

कोर्ट ने लखनऊ के डीएम और डिविजनल पुलिस कमिश्नर को रविवार सुबह 10 बजे हाईकोर्ट को यह बताने का निर्देश दिया है कि कानून के किस प्रावधान के तहत इस प्रकार का पोस्टर लगाया जा रहा है। रविवार को छुट्टी होने के बावजूद अदालत सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत पोस्टर्स लगाए गए हैं।

हाईकोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है। रविवार सुबह 10 बजे चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई करेंगे।

वहीं अब इस मामले पर राजनीतिक बयान भी आने लगे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा है कि यूपी की भाजपा सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं।  उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो। आपकी जवाबदेही तय होगी।

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ 19 दिसम्बर को ठाकुरगंज और कैसरबाग क्षेत्र में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ एडीएम सिटी (पश्चिम) की कोर्ट से वसूली आदेश जारी हुआ है।

मामले में जिलाधिकारी (लखनऊ) अभिषेक प्रकाश ने कहा कि हिंसा फैलाने वाले सभी जिम्‍मेदार लोगों के लखनऊ में पोस्टर व बैनर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा सभी की संपत्ति की कुर्क की जाएगी। सभी चौराहों पर ये पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे उनके चेहरे बेनकाब हो सकें।

डीएम ने कहा कि मजिस्ट्रेट की जांच में 57 लोग दोषी पाए गए। सभी दोषियों के खिलाफ संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान एक करोड़ 55 लाख रुपए के नुकसान की वसूली होनी है।

उन्होंने कहा सभी लोगों की पहचान कर ली गई है, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। जानकारी के अनुसार, ठाकुरगंज से 10 और कैसरबाग से छह आरोपियों को दोषी मानते हुए कुल 69 लाख 48 हजार 900 रुपए हर्जाना तय किया गया है। इनमें शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्‍बास और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष कल्बे सादिक के बेटे सिब्तैन नूरी का नाम भी शामिल है।

16 लोगों से सरकारी और निजी सम्पत्तियों को हुए नुकसान की वसूली की जाएगी। आरोपियों को 30 दिन में यह धनराशि जमा करनी होगी। यह धनराशि इन सभी से या इनकी सम्पत्ति से संयुक्त रूप से वसूली जा सकती है।

आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति पूरे अर्थदंड के लिए व्यक्तिगत रूप से व समस्त समूह सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं।

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