Friday - 12 January 2024 - 8:48 PM

…तो क्या अब सपा में बने रहेगे शिवपाल, जानें क्यों कैसे संभव

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव को लेकर रोज नई-नई बातें सामने आ रही है। पिछले एक हफ्ते से मीडिया में खबर चल रही है कि सपा में वापस लौट सकते हैं शिवपाल यादव। अखिलेश भी अपने चाचा को लेकर थोड़े नम्र नजर आ रहे हैं।

उन्होंने तीन दिन पूर्व कहा था कि सपा में जो भी चाहे वो वापसी कर सकता है और उसका वो पार्टी में स्वागत किया जायेगा। अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि शिवपाल का घर में स्वागत है। अगर वे आते हैं तो उन्हें पार्टी में आंख बंद कर शामिल करूंगा।

इतना ही नहीं शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता को समाप्त करने के लिए दी समाजवादी पार्टी जो पहले जल्दीबाजी में नजर आ रही थी वो अखिलेश के बयान पर पलटती हुई नजर आ रही है।

सपा के सूत्र बता रहे हैं कि शायद यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने शिवपाल यादव को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए उनकी सदस्यता को समाप्त करने के लिए दी समाजवादी पार्टी के पिछले निवेदन को रद्द करने की मांग की है।

हालांकि इस पर कोई भी कुछ भी नहीं कह रहा है। उधर शिवपाल यादव ने भी सपा में शामिल होने की खबरों को अफवाह बताया था। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच चली आ रही तनातनी शायद खत्म हो सकती है क्योंकि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव लगातार अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

ऐसे में अगर दोनों फिर एक साथ नजर आ सकते हैं। इससे दोनों को फायदा हो सकता है। अब देखना होगा कि अखिलेश के इस नम्र रूख पर शिवपाल यादव कुछ करते है या नहीं।

बता दें कि यूपी में सपा की पार्टी एक बार फिर अपनी खोयी हुई साख को बचाने में लगी हुई है। हालांकि ये बात भी सच है कि सपा में अब पहले जैसी बात नहीं है। लगातार चुनावों में मिल रही हार से सपा अभी जूझ रही है।

उधर शिवपाल यादव के पार्टी छोडऩे के बाद सपा कमजोर हो चुकी है। इस वजह से मुलायम भी कई बार अपने भाई शिवपाल यादव को पार्टी में वापस लाना चाहते हैं।  दोनों के रिश्ते भले ही पहले जैसा नहीं हो लेकिन हाल के घटनाक्रम को देखकर यही लग रहा है कि सपा का कुनबा शायद फिर एक हो सकता है।

उधर शिवपाल यादव ने इस मुदद्े पर खुलकर जवाब दिया है कि मेरी तरफ से पूरी गुंजाइश है, लेकिन कुछ षड्यंत्रकारी (साजिशकर्ता) लोग परिवार को एक होने नहीं देना चाह रहे हैं।

शिवपाल आखिर किसकी तरफ इशारा कर रहे थे। जानकारों की मानें तो उनका इशारा शायद रामगोपाल यादव की ओर था।

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