Saturday - 6 January 2024 - 4:23 PM

त्‍यौहार से पहले मोदी सरकार ने दिया सरकारी कर्मचारियों को तोहफा

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

केंद्र की मोदी सरकार ने देश में फैले कोरोना महामारी और गिरती अर्थव्‍यवस्‍था के बीच सरकारी कर्मचारियों को तोहफा दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महामारी से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बाजार में उपभोक्ताओं के पैसे डालने के लिए कैश वाउचर स्कीम और स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम वगैरह की घोषणा की है।

वित्‍तमंत्री ने बताया, सरकार ने इकोनॉमी में मांग बढ़ाने के लिए कुल चार कदम उठाये हैं।

1. सरकारी कर्मचारियों के एलटीसी के बदले कैश बाउचर

2. कर्मचारियों को फेस्टिवल एडवांस देना

3. राज्य सरकारों को 50 साल तक के लिए बिना ब्याज कर्ज

4. बजट में तय पूंजीगत व्यय के अलावा केंद्र द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास आदि पर 25 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करना

उन्होंने कहा कि मांग को प्रोत्साहन के लिए खर्च के लिए अग्रिम में राशि दी जाएगी। एलटीसी नकद वाउचर योजना और विशेष त्योहार अग्रिम योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों को 10,000 रुपये फेस्टिवल एडवांस के तौर पर दिये जाएंगे।

उन्होंने उम्मीद जताई कि इन सारे कदमों से अर्थव्यवस्था में 31 मार्च 2021 तक करीब 73 हजार करोड़ रुपये की मांग पैदा होगी। उन्होंने कहा कि अगर निजी क्षेत्र ने भी अपने कर्मचारियों को एलटीए पर राहत दी तो इकोनॉमी में कुल मांग 1 लाख करोड़ रुपये के पार हो सकता है।

क्या है एलटीसी योजना

यात्रा अवकाश भत्ते (LTC) का कैश बाउचर स्कीम सरकार लेकर आई है। इसके तहत सरकारी कर्मचारी को नकद बाउचर मिलेगा जिससे वो खर्च कर सकेंगे और इससे अर्थव्यवस्था में भी बढ़त होगी। इसका लाभ पीएसयू और सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों को भी मिलेगा।

एलटीसी के बदले नकद भुगतान जो कि डिजिटल होगा। यह 2018-21 के लिए होगा। इसके तहत ट्रेन या प्लेन के किराये का भुगतान होगा और वह टैक्स फ्री होगा। इसके लिए कर्मचारी का किराया और अन्य खर्च तीन गुना होना चाहिए।

इसी तरह सामान या सेवाएं जीएसटी रजिस्टर्ड वेंडर से लेना होगा और भुगतान डिजिटल होना चाहिए वित्त मंत्री ने बताया कि इससे केंद्र और राज्य कर्मचारियों के खर्च के द्वारा करीब 28 हजार करोड़ रुपये मांग इकोनॉमी में पैदा होगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि कोविड महामारी ने इकॉनमी को बुरी तरह प्रभावित किया है। लेकिन सरकार ने गरीबों और कमजोरों की मदद की है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज से मांग बढ़ी। आपूर्ति की बाधा को कम किया गया है। महामारी ने अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव ​डाला। सरकार की कई घोषणाओं के जरिए गरीब और कमजोर तबकों की जरूरतों को पूरा किया गया। आपूर्ति की बाधा को कम किया गया लेकिन उपभोक्ता मांग को अभी भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसे अगले 6 महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके तहत सभी कर्मचारियों को 10 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसे 31 मार्च 2021 तक खर्च करना होगा। यह इंट्रेस्ट फ्री एडवांस है। इसे 10 किस्तों में वापस किया जा सकता है। इस योजना पर 4000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। राज्य भी आए तो 8000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उपभोक्ता मांग पैदा होगी।

क्या है फेस्टिवल एडवांस

वित्त मंत्री ने बताया कि फेस्टिवल एडवांस स्कीम को फिर एक बार सिर्फ इसी साल के लिए शुरू किया जा रहा है। इसके तहत 10 हजार रुपये का एडवांस सभी तरह के कर्मचारियों को मिलेगा जिसे वे 10 किस्त में जमा कर सकते हैं। यह 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध रहेगा। यह प्रीपेड रूपे कार्ड के रूप में दिया जाएगा।

राज्यों को बिना ब्याज का लोन

वित्त मंत्री ने कहा कि पूंजीगत बढ़ाने का अर्थव्यवस्था पर कई गुना असर होता है। इसका न सिर्फ मौजूदा जीडीपी बल्कि आगे की जीडीपी पर भी असर होता है। 50 साल का ब्याज रहित लोन राज्यों को 12 हजार करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लिए दिया जाएगा।

इसका तीन हिस्सा होगा-2500 करोड़ रुपये पूर्वोत्तर, उत्तराखंड और हिमाचल को दिया जाएगा। इसके बाद 7500 करोड़ रुपये अन्य राज्यों को वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक दिया जाएगा। तीसरा 2,000 करोड़ रुपये का हिस्सा उन राज्यों को मिलेगा जो कि आत्मनिर्भर के तहत ऐलान चार में से कम से कम 3 सुधार लागू करेंगे। यह पूरा लोन 31 मार्च 2021 से पहले दिया जाएगा. यह राज्यों को पहले से मिल रहे लोन के अतिरिक्त होगा।

बजट में तय कैपिटल एक्सपेंडीचर बढ़ाया गया

वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल बजट में तय केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय के अलावा सरकार अतिरिक्त 25,000 करोड़ रुपये देगी। यह खासक सड़क, डिफेंस संबंधी बुनियादी ढांचा, जलापूर्ति, शहरी विकास, डिफेंस के देस में बने कैपिटल इक्विपमेंट के लिए होगा।

गौरतलब है कि आज शाम को 4 बजे वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की बैठक भी है। इस मीटिंग में यह तय किया जाना है कि राज्यों को मुआवजा देने के मामले में जो विवाद बना हुआ है, उसका समाधान किस तरह से निकाला जाए। करीब 20 राज्यों केंद्र सरकार द्वारा इस बारे में दिये गये प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, लेकिन विपक्ष शासित राज्य अब भी इस बात पर अड़े हुए हैं कि केंद्र सरकार खुद उधार लेकर राज्यों का बकाया चुकाये।

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