Saturday - 6 January 2024 - 11:11 PM

कूड़ेदान में वफादारी और इस्तीफों का पतझड़ कोई नया गुल खिलायेगा

अली रज़ा

अम्बेडकर नगर. राजनीति और मौसम दोनों अपनी वफ़ादारी को कूड़ेदान में डालकर बेईमान हो जाते हैं और गिरगिट की तरह दोनों रंग बदलते हैं. मौसम के रंग बदलने की बेईमानी पर एक गाने की यह लाइन एक दम सटीक बैठती है कि आज मौसम बड़ा बेईमान है. वैसे मौसम के बदलने के चक्र को देखा जाए तो पतझड़ के बाद बसंत का मौसम आता है और साल 2022 में इत्तेफ़ाक ऐसा है कि बसंत के मौसम में देश के पाँच राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं.

लोकतंत्र में चुनावी मौसम राजनेताओं और राजनीति के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. तभी तो पलक झपकते दल, दिल और आस्था बदल जाते हैं और पतझड़ की तरह इस्तीफ़े और त्यागपत्र पतझड़ की बारिश होने लगती है. पतझड़ की तरह सत्ता की चाहत में नयी उम्मीदों के साथ दल और दिल बदल जाते हैं और बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है की तर्ज़ पर एक दल से दूसरे दल में आने वाले राजनेताओं का स्वागत होता है.

जनपद अम्बेडकर नगर की राजनीति में इसका उदाहरण सबसे ज़्यादा देखने को मिल रहा है. जहाँ ज़िले की पाँचों विधान सभा सीटों में से चार सीट पर समाजवादी पार्टी ने बसपा से आए हुए नेताओं को प्रत्याशी बनाया तो बसपा ने टाँडा सीट पर अपने घोषित किए प्रत्याशी को बदल कर सपा से टिकट न मिलने के बाद इस्तीफ़ा देकर बसपा में आयीं गौस अशरफ़ की पत्नी शबाना ख़ातून नगर पंचायत अशरफ़पुर किछौछा की अध्यक्ष को टाँडा विधान सभा से बसपा ने अपने घोषित प्रत्याशी मनोज वर्मा का टिकट बदलकर शबाना को प्रत्याशी घोषित कर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.

दरअसल बसपा को यह अवसर समाजवादी पार्टी ने टाँडा विधान सीट से पूर्व कैबिनेट मंत्री राम मूर्ति वर्मा को टिकट मिलने की वजह से मिला, क्योंकि सपा ने जैसे जनपद की चार अन्य सीट जिसमें कटेहरी से लालजी वर्मा को प्रत्याशी बनाया, जलालपुर से राकेश पांडेय को अलापुर से त्रिभुवन दत्त को और अकबरपुर से राम अचल राजभर को प्रत्याशी बनाया. यह चारों लोग बसपा से सपा में आए थे और सभी सीटों पर सपा के क़द्दावर नेता अपनी अपनी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन बावजूद इसके सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबको दरकिनार करते हुए क़ुर्बानी देने के इमोशनल बयान से नाराज़गी दूर करने की बात कर रहे थे, लेकिन ऐसा होता दिखा नहीं. कुछ नेताओं ने कुर्बानी दी तो कुछ नेताओं की कुर्बान न होने की जिद के आगे अखिलेश यादव बसपा के गढ़ में राजनीतिक समीकरण साधते-साधते चूक भी दिखाई दी. यह उन्होंने टांडा विधान सभा से राम मूर्ति को टिकट देकर साबित भी कर दिया.

क्योंकि जलालपुर से सपा विधायक सुभाष राय ने सपा छोड़कर कर भाजपा ज्वाइन कर लिया और भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया. तो सपा खेमे में हलचल तेज़ हो गयी क्योंकि जनपद के बड़े कुर्मी चेहरे के रूप में अपनी पहचान रखने वाले राम मूर्ति वर्मा अकबरपुर सीट से टिकट कटने से नाराज़ थे तो सपा ने उनको जनपद की टाँडा सीट से प्रत्याशी घोषित करने का रिस्क ले लिया जिसका न तो राम मूर्ति को भरोसा था ना ही टाँडा सीट से दावेदारी कर रहे मुस्लिम नेताओं को क्योंकि टाँडा जनपद की एक मात्र ऐसी सीट है जहाँ सबसे ज़्यादा मुस्लिम मतदाता हैं उसके बाद दलित मतदाता हैं.

जनपद अम्बेडकर नगर को बसपा का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन जनपद की सभी सीटों पर बसपा को समाजवादी पार्टी जबरदस्त टक्कर देती रही है. जिसका नतीजा 2012 के विधान सभा चुनाव में देखने को भी मिला था जिले की पांचों सीटों पर सपा ने पहली बार जीत दर्ज की थी लेकिन 2017 विधान सभा चुनाव में जबरदस्त बीजेपी लहर में सपा के सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए लेकिन बसपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज कर पुनः अपने गढ़ को बचाने की कोशिश करने का संदेश दिया था.

जबकि 2022 विधान सभा चुनाव में जिस तरह से बसपा के चार बड़े नेताओं ने सपा का दामन थाम लिया उसके बाद बसपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए जातीय समीकरण को साधने में कामयाब होती दिख रही है. भाजपा से नाराज चल रहे अकबरपुर नगर पंचायत के चेयरमैन चंद्रप्रकाश वर्मा को अंबेडकर नगर की अकबरपुर विधान सभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया तो वही जलालपुर विधान सभा सीट से भी भाजपा से नाराज चल रहे शेर बहादुर सिंह के पुत्र राजेश सिंह को टिकट देकर राजनीतिक समीकरण साधने का संदेश देने में कामयाब होती दिख रही है. जिससे जनपद में जहाँ पहले सीधा मुकाबला भाजपा और सपा का होता दिख रहा था तो वहीं अब लगभग सभी सीटों पर लड़ाई त्रिकोणीय होती दिख रही है.

2017 विधान सभा चुनाव में भाजपा ने बसपा के गढ़ में सेंधमारी में कामयाबी हासिल करने के बाद इस चुनाव में उसकी चुनौती बढ़ती हुई साफ दिखाई दे रही क्योंकि भाजपा अभी तक पांच सीटों में सिर्फ दो सीट पर ही प्रत्याशी घोषित कर पाई है जिसमे जलालपुर सीट से घोषित प्रत्याशी सपा विधायक सुभाष राय हैं तो वहीं कटेहरी सीट भाजपा और निषाद गठबंधन कोटे में जाने की वजह से वहां निषाद पार्टी ने अवधेश द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया है. टांडा से संजू देवी और अलापुर से अनीता कमल भाजपा की मौजूदा विधायक होने के बाद भी टिकट घोषित न होना बता रहा है कि सपा और बसपा अपने-अपने पत्ते खोल चुकी हैं तो अब बारी भाजपा की है. जहाँ सभी मतदाताओं की निगाहें टिकी हुई हैं.

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