Thursday - 11 January 2024 - 6:34 PM

लोहिया आयुर्वि. चिकत्सा संस्थान में कारनामा-कैंसर पेशेंट को चढ़ा दिया गया HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट-अब मिटा रहे हैं सबूत 

जुबिली स्पेशल डेस्क

लोहिया संस्थान में मरीजों के प्रति लापरवाही, किस कदर होती है इसकी बानगी देखने को तब मिली जब संस्थान में एक कैंसर पेशेंट को एच बी एस ए जी HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ा दिया गया।

HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट मरीज को चढ़ाने का क्या होगा गम्भीर असर

HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाने का नकारात्मक असर होगा कि सामान्य मरीज़ HBsAg(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाने से तीव्र या क्रानिक हेपटाइटिस बी से पीड़ित हो जाएगा।

ब्लड बैंक की मेडिकल ऑफ़िसर ने की इस मामले की शिकायत  

डॉ० राम मनोहर लोहिया इन्स्टिटूट की ब्लड बैंक की मेडिकल ऑफ़िसर ने एक जून 2022 को डॉ. राम मनोहर लोहिया इन्स्टिटूट की निदेशक को लिखित शिकायत भेजी है कि डॉ. राम मनोहर लोहिया इन्स्टिटूट के ब्लड बैंक में कैंसर पेशेंट को HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट्स इशु करने सहित तमाम गम्भीर अनियमित्ताएँ की जा रही हैं जिससे मरीज़ की जान ख़तरे में पड़ सकती है।

जानिये क्या है पूरा मामला 

एक कैंसर पेशेंट जिसकी उम्र 25 वर्ष है और उसका CRNo.PP2020/015531 है उसे 26.02.2022 को लोहिया संस्थान में भर्ती किया गया जिसका इलाज डॉ स्मिता चौहान कर रही हैं। पूनम भीटी गोरखपुर की निवासी है। दिनांक 15 मार्च 2022 को पेशेंट के लिये ब्लड बैंक से रेंडम डोनर प्लेटलेट्स RDP (Unit No.2824) दिया गया और इस यूनिट को मरीज़ को चढ़ा भी दिया गया। गम्भीर बात ये है कि ब्लड बैंक से रेंडम डोनर प्लेटलेट्स RDP इशू करने से पहले वायरल मार्कर नहीं कराया गया जबकि इसके बिना ब्लड बैंक से रेंडम डोनर प्लेटलेट्स RDP इशू ही नहीं हो सकता है।

ब्लड बैंक से जारी RDP (Unit No.2824)एलाइजा टेस्ट में निकला HBsAg (पाज़िटिव)

पेशेंट को चढ़ाये गये प्लेटलेट्स को इशू करने के अगले दिन यानी दिनांक 16.03.2022 जब उस प्लेटलेट का एलाइजा टेस्ट किया गया तो उक्त जारी रेंडम डोनर प्लेटलेट्स RDP (Unit No.2824) पाज़िटिव निकल गया। हुआ यों कि प्लेटलेट्स के तीनों कंपोनेंट में PRBC(Packed Red Blood Cells) और FFP (Fresh Frozen Plasma) तो मिल गए लेकिन RDP नहीं मिला।तब जाकर पता चला कि वह यूनिट तो इशू किया जा चुका है और मरीज़ को चढ़ा भी दिया गया।

(पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाये जाने की बात सामने आने पर भी नहीं लिया मरीज का फालो अप

जुबली पोस्ट की पड़ताल में पता चला कि मरीज के परिजनों को HBsAg (पाज़िटिव) प्लेटलेट्स चढ़ाये जाने की सूचना नहीं है और न ही मरीज को वायरल मार्कर टेस्ट कराने की सलाह ही दी गई है जिससे कि सही स्थिति पता चल सके। बड़ा सवाल कि शिकायत मिलने के बाद भी मरीज़ का फालो अप नहीं लेना मरीज की जान से खिलवाड़ करना है जबकि मरीज का ताल्लुक मुख्य मंत्री के शहर से है।

इस लापरवाही के बाद भी बिना एलाइजा टेस्ट के इशू होते रहे यूनिट्स 

सूत्रों का कहना है अक्सर बिना वायरल मार्कर कराए ही यूनिट इशू होता है और अगले दिन जाकर इसकी टेस्टिंग होती है। उनके अनुसार अभी तीन जून को भी ऐसा ही मामला हुआ जब एलाइजा टेस्ट में यूनिट को पाज़िटिव पाया गया जबकि इसे पहले ही इशू किया जा चुका था,फिलहाल ये जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि कितने यूनिट इस तरह से इशू किये जा चुके थे।

शिकायत के बाद अब मामले से जुड़े कागजात सही करने और शिकायतकर्ताओं के उत्पीड़न का शुरू हुआ प्रयास

ब्लड बैंक के प्रभारी डॉक्टर वी के शर्मा ने इस पूरे मामले को दबाने और शिकायत करने वाली डाक्टर,फार्मेसिस्ट और एल टी को झूठा साबित करने के लिए कर रहे हैं ये काम 

  • 1.सूत्रों के अनुसार जो प्लेटलेट्स बचा था उसे डिस्कार्ड करा दिया। FFP को लीकेज और PRBC को हीमोलाइज बता दिया गया है. हालाकि मरीज को इस यूनिट के जारी किये जाने के सबूत अस्पताल के रिकार्ड में मौजूद है।
  • 2. ब्लड बैंक की मेडिकल ऑफ़िसर डॉक्टर रागिनी सिंह का कहना है कि शिकायत के बाद ब्लड बैंक के प्रभारी डॉक्टर वी के शर्मा कर्मचारियों से ज़बरदस्ती डर दिखा कर उनके ख़िलाफ़ झूठे बयान लिखवा रहे हैं और साबित करने में लगे हैं कि डा रागिनी का व्यवहार खराब था और अक्सर वह लेट से आती हैं जिसके लिये टोकने पर उनके द्वारा झूठी शिकायत की गई है।
    उनका यह भी कहना है कि ब्लड बैंक के प्रभारी डॉक्टर वी के शर्मा ब्लड बैंक में हुए गलत कामों के काग़ज़ात ठीक करा रहे हैं ताकि जांच टीम को सबूत न मिले। इसलिये जांच होने तक डा वी के शर्मा को ब्लड बैंक से अलग रखा जाय।

  • 3. ब्लड बैंक में चल रहे इस तरह के कुकृत्यों का विरोध करने के कारण LT शशि मिश्रा अन्यत्र ट्रांसफर कर दिये गये हैं और फ़ार्मासिस्ट प्रभाकर त्रिपाठी पर भी कारवाई करने की बात हो रही है।
    बताते चलें कि शशि मिश्रा और फ़ार्मासिस्ट प्रभाकर त्रिपाठी ने भी ब्लड बैंक में चल रहे इस तरह के कारनामों की लिखित रूप से शिकायत निदेशक को की है।

जांच कमेटी पर लगा सवालिया निशान

जानकारी मिल रही है कि ब्लड बैंक में चल रहे कारनामों की जांच के लिये आर एम एल इंस्टीट्यूट के ही लोगों की कमेटी बना दी है और जांच समिति के अध्यक्ष हैं एसोसियेट प्रोफेसर डा सौम्य शंकर नाथ।

संस्थान की खुद की कमेटी की जांच कितनी सही होगी यह तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन पहले की तरह इस कमेटी की जांच में डाक्टर को दोषी मानने और मामले को सही ठहराने की गुंजाइश कम ही है ।वैसे भी कहा जा रहा है कि डायरेक्टर का वरद हस्त होने के कारण ये मामला सलटा दिया जायेगा यह कह कर कि शिकायत झूठी है।

चर्चा ये भी है कि डा रागिनी सिंह को ब्लडबैंक से हटाने की संस्तुति भी हो सकती है और डा शर्मा को क्लीन चिट दे दिया जाय।
जबकि इतने गभीर प्रकरण का संज्ञान लेकर मुख्य मंत्री और उप मुख्य मंत्री को संस्थान से इतर दूसरी जांच कमेटी से जांच कराना चाहिये तभी सही स्थिति सामने आ सकेगी।

अगले अंक में पढ़ें- डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्वि० संस्थान के ब्लड बैंक में चल रहे खेल का पूरा विवरण सबूतों के साथ।

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