जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की नई शराब नीति सरकार के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। अप्रैल महीने में ही आबकारी विभाग ने रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया है। विभाग को पिछले साल के मुकाबले 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त कमाई हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल में विभाग को 4319 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। पिछले साल अप्रैल में यह आंकड़ा 3313 करोड़ रुपये था। यानी सरकार ने इस साल अप्रैल में 1006 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हासिल की है।
मिश्रित दुकानों और नई कैटेगरी से बढ़ी बिक्री
आबकारी विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नई शराब नीति के तहत बीयर और शराब की मिश्रित दुकानें शुरू की गई हैं, जिससे रोजाना की बिक्री और आमदनी में इजाफा हुआ है। साथ ही नई लाइसेंस कैटेगरी शुरू करने और कम लाइसेंस शुल्क पर कम अल्कोहल वाले पेय पदार्थों की बिक्री की अनुमति देने से भी व्यापार में तेजी आई है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने व्यापार करने में आ रही कई अड़चनों को दूर किया है और अवैध शराब के खिलाफ सख्त कार्रवाई से भी राजस्व बढ़ाने में मदद मिली है।
आर्थिक मजबूती की ओर राज्य
उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में आबकारी विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले महीने में ही विभाग के राजस्व में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्री ने कहा, “आबकारी विभाग ने अप्रैल में पिछले साल के मुकाबले 1006 करोड़ रुपये का अधिक राजस्व जुटाया है। सरकार की नई नीति राजस्व बढ़ाने और आर्थिक मजबूती लाने में सफल रही है।”
ये भी पढ़ें-अखिलेश यादव 2027 को लेकर क्यों कर रहे हैं बड़ा दावा?
अवैध शराब पर शिकंजा भी बना मददगार
अधिकारियों के अनुसार, अवैध शराब के खिलाफ लगातार कार्रवाई से भी कानूनी बिक्री को बढ़ावा मिला है। इससे न सिर्फ राजस्व बढ़ा है, बल्कि अवैध शराब कारोबारियों पर भी लगाम लगी है।
सरकार का मानना है कि नई शराब नीति के चलते लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और सरलता आई है, जिससे व्यापारियों का विश्वास बढ़ा है और प्रदेश को राजस्व का नया स्रोत मिला है।