रमेश अभिषेक और योगेश पांच साल बाद उसी पार्क में मिलने वाले थे, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी थी। रमेश सब डिविजनल मजिस्ट्रेट बन चुका था, जबकि अभिषेक एक बड़ा व्यवसायी और योगेश सीनियर आईटी इंजीनियर था।
तीनों की शादी हो चुकी थी। सभी सपरिवार पार्क में इकट्ठा हुए। रमेश की पत्नी ने पूछा, आज इस पार्क में मिलने की योजना क्यों बनी? क्या खास है इस पार्क में? रमेश, अभिषेक और योगेश एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कराने लगे।
योगेश बोला, तुम लोगों को तो पता ही है कि हम बचपन में कितने शरारती थे। पर ग्रेजुएशन के समय इसी पार्क में एक ऐसी घटना हुई, जिसने हमारी जिंदगी बदल दी।
रमेश की पत्नी ने पूछा, ऐसा क्या हुआ था? रमेश बोला, तुम लोग शायद इस पर यकीन न करो कि हमने इसी पार्क में एक बुजुर्ग को मारा और लूटा था।
तीनों की पत्नियां स्तब्ध रह गईं। योगेश बोला, हां, हमने एक ही बुजुर्ग को कई बार मारा था, और उनकी घड़ी, पर्स, चेन लूटकर भाग गए थे। अभिषेक की पत्नी ने पूछा, आप लोगों को किसी ने पकड़ा? योगेश ने जवाब दिया, नहीं। अभिषेक बोला, एक बुजुर्ग परवेज जाफर रोज शाम को पार्क में टहलने आते थे।
वह इतने सज्जन दिखते थे कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह कभी किसी से मुकाबला भी कर सकते हैं। यही सोचकर हमने उन्हें कई बार लूटा था। और लूटने के बाद उन पर खूब हंसते थे हम।
कई बार तो पार्क में पड़े पानी के पाइप से उन्हें भिगोया भी था। फिर एक दिन हमें पता चला कि परवेज जाफर शहर के नामी जूडो कोच थे। अभिषेक की पत्नी बोली, फिर भी उन्होंने आप लोगों का मुकाबला क्यों नहीं किया? रमेश बोला, यही सवाल हमने उनसे पूछा, तो वह बोले, तुम तीनों मेरे बच्चों की तरह हो।
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तुमने चोरी की है, तो जरूर तुम्हें पैसों की जरूरत रही होगी। बस तुम लोग एक दिन मेरा नाम रौशन करना। मोहित बोला, वही दिन था, जब हमने तय कर लिया कि हमें कुछ करके दिखाना है।