Wednesday - 10 January 2024 - 8:22 AM

क्‍या ‘हल क्रांति’ से निकलेगा किसान आंदोलन का हल

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के लिए दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन आज 24वें दिन में प्रवेश कर चुका है। कड़ाके की ठंड और अपनों की जान भी किसानों का इरादा नहीं डिगा सकी है।

किसानों का कहना है कि चाहे कितनी ही ठंड क्यों न पड़े हम यहां से तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक सरकार तीनों काले कानून वापस नहीं लेती। वहीं आंदोलन के चलते आज भी दिल्ली के कई बॉर्डर बंद हैं और कई रास्ते डायवर्ट किए गए हैं।

किसान आंदोलन के चलते आज भी सिंघु, औचंदी, पियाऊ मनियारी और मंगेश बॉर्डर पूरी तरह से बंद रहेंगे। लामपुर, साफियाबाद सबोली और सिंघु स्कूल टोल टैक्स बॉर्डर के वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। मुकरबा और जीटी करनाल रोड से ट्रैफिक डायवर्ट है तो रिंग रोड, जीटी करनाल रोड और एनएच 44 की तरफ न जाने की सलाह दी गई है।

इस बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने किसानों से अगली ‘किसान क्रांति’ का हिस्सा बनने को कहा है। टिकैत ने चेतावनी दी है कि तीन नए कृषि बिलों पर जारी आंदोलन को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार कोई समाधान नहीं खोज पाती है तो किसान इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अपना रास्ता खुद बनाने के लिए मजबूर होंगे।

बता दें कि टिकैत यूपी गेट पर किसानों को संबोधित कर रहे थे, जहां पिछले 23 दिनों से किसान जमे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार के साथ 6 दौर की वार्ताओं से कोई समाधान नहीं निकला। अब या तो सरकार इस समस्य का कोई हल खोजे या फिर हमें ‘हल क्रांति’ करने पर मजबूर होना पड़ेगा। यह क्रांति दिल्ली के दिल तक होकर जाएगी।’

ये भी पढ़ें: नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले नाराज नेताओं को कैसे मनाएंगी सोनिया गांधी

किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने देशभर के किसान यूनियनों से एकता दिखाते हुए दिल्ली के 4 बॉर्डरों (सिंघु, टिकरी, यूपी गेट और चिल्ला) पर जारी आंदोलन का हिस्सा बनने को कहा।

टिकैत ने कहा, ‘हर किसान को अब अपने घर से निकलना चाहिए और अपने खेती के औजारों के साथ वे हमारे आंदोलन का हिस्सा बनें। मैं छोटे-बड़े सभी किसान यूनियनों से कह रहा हूं कि वे दिल्ली की सीमाओं पर अपने झंडे, बैनरों के साथ पहुंचे। हम उनका स्वागत करेंगे।’

ये भी पढ़ें: 73 रुपये में बिकी 2 अरब डॉलर की कंपनी

टिकैत ने किसानों के आंदोलन को शांतिपूर्ण बताने और सरकार से सवाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहा। टिकैत बोले,’मुझे पता लगा है कि सरकार के प्रतिनिधित्व कृषि कानूनों को लेकर 700 से अधिक बैठके करेंगे। इसी तरह की एक मीटिंग मेरठ में हुई। सरकार इस तरह की बैठके शहरों में क्यों कर रही है? वह किसानों से उनके गांव में क्यों नहीं मिलती? किसान दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार वहां क्यों नहीं आती?’

दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चीफ मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ सहानुभूति भरा रवैया अपनाकर उनकी मांगों को मान लेना चाहिए।

मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, ”केंद्र की सरकार को, हाल ही में देश में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर उनकी मांगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए, बीएसपी की यह मांग।”

बता दें कि कई किसान संगठन केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अब तक की बातचीत नाकाम रही है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com