Monday - 8 January 2024 - 7:24 PM

अयोध्या केस में फैसला सुनाने वाले जस्टिस नजीर की जान को किससे खतरा है

जुबिली पोस्ट न्यूज़

मोदी सरकार ने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड कटेगरी देने का फैसला लिया है।

सुरक्षा एजेंसियों ने अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और अन्य से अब्दुल नजीर और उनके परिवार की जान को खतरा होने को लेकर आगाह किया है। जिसे देखते हुए सरकार ने सुरक्षा देने का फैसला लिया है।

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों और पुलिस को आदेश दिया गया है कि तत्काल प्रभाव से जस्टिस नजीर और उनके परिवार को कर्नाटक और देश के अन्य हिस्सों में जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाए। जस्टिस नजीर जब बंगलूरू, मंगलुरू और राज्य के किसी भी हिस्से में सफर करेंगे तो उन्हें कर्नाटक कोटा से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

जस्टिस नजीर ट्रिपल तलाक पर गठित बेंच में भी थे शामिल

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर 2.77 एकड़ की विवादित जमीन राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था और सरकार से मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने को कहा था।

अयोध्या मामले के अलावा जस्टिस नजीर ट्रिपल तलाक पर गठित पांच सदस्यीय पीठ में भी सदस्य रहे थे। इसे 2017 में असंवैधानिक करार दे दिया था। वे 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए थे।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के विषय में

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पिछडो और अल्पसंख्यकों के हक़ में आवाज़ उठाने वाला और उनकी परेशानियों से सरकार को अवगत कराने वाला संघठन है। पॉपुलर फ़्रन्ट ऑफ इंडिया ज़मीनी स्तर पर कैडर आधारित संघठन है जिसकी स्थापना 2006 में हुई। भारत के केरला राज्य से शुरू हुए इस संघठन का उद्देश्य देश भर में दलितों, आदिवासियों और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इण्डिया ने सन 2006 में दिल्ली के रामलीला में नेशनल पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस कर के पूरे देश में अपनी उपस्तिथि दर्ज करने की आवाज़ लगाई, जो आज देश के 23 राज्यों में पहुँच चुकी है।

एंटी फासिज्म और एंटी बीजेपी नारों के सहारे इस संगठन ने दूसरे सेक्युलर मुसलमानों के बीच भी अपनी पैठ कर ली। लंबे समय से बीजेपी और संघ परिवार पीएफआई पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उनकी दलील है कि यह तमाम और कामों के अलावा धर्मांतरण और आईएसआईएस में भर्ती कराने जैसे कामों में लिप्त है। लिहाजा इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।

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