Sunday - 14 January 2024 - 4:18 AM

International Women’s Day 2019 पर जानें अपने अधिकार

International Women’s Day 2019 के मौके पर आज पूरी दुनिया जश्न माना रही है। आसमान से लेकर अंतरिक्ष तक महिलाएं अपना परचम लहरा रही हैं।

महिलाएं दुनिया जीतने का हौसला रखती है, लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने अधिकारों को जानती हैं। आज हम उन अधिकारों के बारें में बताएगें…

विवाह से जुड़े अधिकार :-

* शादी के बाद हर महिला को कंजूगल राइट्स मिलते हैं यानी शादी के बाद पत्नी होने के नाते आपको अपने पति पर सभी अधिकार मिलते हैं.

* पति के साथ उसके घर में रहने का अधिकार हर पत्नी को है. चाहे वो संयुक्त परिवार में रहे, एकल परिवार में या फिर किराए के घर में रहे.

ससुराल में क़ानूनी अधिकार:-


* पति और ससुरालवालों का जो लिविंग स्टैंडर्ड है, उसी मान-सम्मान और लिविंग स्टैंडर्ड से रहने का अधिकार हर पत्नी को है.

* साथ ही दहेज विरोधी क़ानून का इस्तेमाल कर सकती हैं.

तलाक़ लेने का हक़:-


* अगर कोई पति बेवजह अपनी पत्नी को दो साल तक छोड़ देता है, तो पत्नी को पूरा अधिकार है कि वह तलाक़ ले सके.

* पति से तलाक़ के बाद अगर पत्नी दूसरी शादी नहीं करती, तो उसे अपने पूर्व पति से एलीमनी और मेंटेनेंस (गुज़ारा भत्ता) पाने का पूर्ण अधिकार है.

* शादी के बाद हर पत्नी को एक समर्पित पति व दांपत्य जीवन का पूरा अधिकार है. अगर पति के किसी अन्य महिला से विवाहेतर संबंध हैं, तो पत्नी उस आधार पर तलाक़ लेने का अधिकार रखती है.

* अगर कोई व्यक्ति पत्नी की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ धर्म परिवर्तन कर लेता है, तो पत्नी को पूरा अधिकार है कि वह अपने पति को तलाक़ दे दे.

घरेलू हिंसा से सुरक्षा:-

* आंकड़ों के मुताबिक़ आज भी हमारे देश में क़रीब 70% महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं.

* घरेलू हिंसा का मतलब है महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना. अगर महिला के साथ मारपीट की गई हो या फिर मानसिक रूप से उसे प्रताड़ित किया गया हो, तो वह भी घरेलू हिंसा के तहत दंडनीय है.

* मानसिक हिंसा के तहत महिला को गाली-गलौज देना, ताना मारना और भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाना आदि शामिल है.

* इसमें आर्थिक हिंसा पर भी ज़ोर दिया गया है, जिसके तहत महिला को ख़र्च के लिए पैसे न देना और उसके पैसे छीन लेना आदि शामिल है.

* महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते घरेलू हिंसा के मामलों को देखते हुए साल 2005 में इस क़ानून को लाया गया था.

सेक्सुअल हरासमेंट:-


* सार्वजनिक स्थान पर किसी महिला को देखकर अश्‍लील गाने गाना सेक्सुअल हरासमेंट माना जाता है, जिसके लिए आईपीसी के सेक्शन 294 के तहत शिकायत करने पर दोषी को 3 महीने तक की सज़ा या जुर्माना या दोनों हो सकता है.

* अगर कोई व्यक्ति किसी महिला का लगातार पीछा करता है, तो उसे स्टॉकिंग कहते हैं. यह भी एक तरह का सेक्सुअल हरासमेंट है, जिसके लिए दोषी को 3-5 साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है.

* अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के इंकार करने पर भी उसे शारीरिक रूप से पीड़ित करता है, मानसिक रूप से परेशान करता है या फिर उसे समाज में बदनाम करने की कोशिश करता है, तो आईपीसी की धारा 503 के तहत उसे दो साल तक की सज़ा या जुर्माना हो सकता है.

वर्कप्लेस पर सेक्सुअल हरासमेंट से सुरक्षा:-

* वर्कप्लेस पर महिलाओं को सेक्सुअल हरासमेंट से बचाने के लिए ख़ासतौर से यह क़ानून लाया गया.

* इसके तहत कोई भी महिला चाहे वो फुल टाइम, पार्ट टाइम या बतौर वॉलिंटियर काम करती हो और वह किसी भी उम्र की हो, उसे सुरक्षा का अधिकार है.

* अगर वर्कप्लेस पर कोई आपके साथ बदतमीज़ी से बात करता है, आपको ग़लत चीज़ें दिखाने की कोशिश करता या फिर ग़लत हरकतें करता या फिर जॉब में प्रमोशन का झांसा देकर किसी भी तरह के शारीरिक फेवर की मांग करता हो, तो इसकी शिकायत तुरंत अपने ऑफिस की कंप्लेट कमिटी में करें.

* हर महिला का यह अधिकार है कि उसे सुरक्षित काम का माहौल मिले और ऐसा करना आपके एम्प्लॉयर की ज़िम्मेदारी है.

* विशाखा गाइडलाइन्स के मुताबिक़, जिस भी ऑर्गेनाइज़ेशन में महिलाएं काम करती हैं, वहां कंप्लेंट कमिटी बनाना अनिवार्य है.

पुलिस संबंधी कुछ ख़ास अधिकार:-


* पुलिस और कोर्ट-कचहरी का नाम सुनते ही बेकसूर होते हुए भी बहुत-सी महिलाएं घबरा जाती हैं.

* अगर आपने कुछ ग़लत नहीं किया है, तो आपको पुलिस या किसी से भी डरने की कोई ज़रूरत नहीं.

* अपने अधिकारों से अंजान महिलाओं के लिए पुलिस से संबंधित मामलों में कुछ ख़ास अधिकार दिए गए हैं.

* अगर किसी मामले में किसी महिला से पुलिस को पूछताछ करनी है, तो उस महिला को पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जा सकता, बल्कि पुलिस ख़ुद महिला के घर जाकर पूछताछ करती है.

* हर महिला को यह क़ानूनी अधिकार है कि बेव़क्त आई पुलिस को वो अपने घर में न आने दे और पूछताछ के लिए अगले दिन आने को कहे.

* सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला की गिरफ़्तारी नहीं की जा सकती.

मैरिटल रेप से सुरक्षा:-

* हमारे देश में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है, पर यह पवित्र बंधन तब अपवित्र हो जाता है, जब पत्नी की भावनाओं को नज़रअंदाज़ कर पति उसके साथ न सिर्फ़ ज़बर्दस्ती करता है, बल्कि बलात्कार भी करता है.

* हमारे समाज में ऐसे पतियों की कमी नहीं, जो पत्नी को महज़ अपनी ज़रूरत की वस्तु समझते हैं. पत्नी के शारीरिक शोषण वो अपना मालिकाना हक़ मानते हैं.

* महिलाओं के लिए यह मुद्दा जितना संवेदनशील है, पुरुषों के लिए शायद उतना ही असंवेदनशील, इसीलिए आज़ादी के इतने सालों बाद भी पत्नी को इतनी स्वतंत्रता नहीं कि शारीरिक संबंधों के लिए वह पति को ङ्गनाफ कह सके.

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* 21वीं शताब्दी में दुनिया के कई देशों ने मैरिटल रेप को अपराध करार दे दिया गया है, पर भारत में आज भी यह बहस का विषय बना हुआ है.

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