Monday - 15 April 2024 - 3:57 PM

महाविद्यालयों की संबद्धता के रोचक संस्मरण : एक कुलपति की अनकही कहानी (अंतिम भाग)


प्रो. अशोक कुमार

एक महाविद्यालय के निरीक्षण के बाद मैं फिर एक अन्य महाविद्यालय में गया और मैंने वहां पर काफी शांति पाई मैंने महाविद्यालय के प्रांगण में एक कर्मचारी को देखा और मैंने उस कर्मचारी से पूछा कि महाविद्यालय इस समय क्या गतिविधियां हो रही है मैंने उससे यह भी कहा कि मैं समझता हूं प्राचार्य कॉलेज नहीं आ पाएंगे क्योंकि शायद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा वह कर्मचारी बहुत ही आश्चर्य चकित होकर मुझको देखने लगा और उन्होंने कहा कि माननीय कुलपति जी आप तो वाकई भगवान हैं।

आप ने कैसे जाना कि प्राचार्य महोदय का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और वह आज महाविद्यालय में नहीं आ सके मैंने कर्मचारी से मुस्कुराते हुए कहा कि मैं कोई भगवान नहीं हूं लेकिन मैंने ऐसा अनुभव किया है कि मैं जैसे ही किसी महाविद्यालय का निरीक्षण करने जाता हूं उस महाविद्यालय के प्राचार्य का स्वस्थ खराब हो जाता है मैं समझता हूं कि मुझे महाविद्यालयों का निरीक्षण नहीं करना चाहिए मैं आपके प्राचार्य के स्वास्थ्य की कामना करता हूं !

इसी प्रकार एक दिन मैं जब आगरा जा रहा था तब इटावा के क्षेत्र में मुझे एक कॉलेज दिखा मैं उस महाविद्यालय में गया प्रातः का समय था शांति दिखाई दे रही थी सबसे पहले में प्राचार्य के कमरे में गया कमरे में कोई नहीं था फिर मैं महाविद्यालय के दफ्तर में गया दफ्तर में भी कोई कर्मचारी नहीं मिला फिर मैं कक्षाओं की ओर गया मुझे थोड़ा सा एहसास हुआ कि महाविद्यालय में एक कक्षा चल रही है शिक्षक पढ़ा रहे हैं और छात्र पढ़ रहे हैं मैं अंदर गया कक्षा मे मैंने अपना परिचय कराया और शिक्षक से वार्ता करी !

मैंने शिक्षक से कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आप सुबह-सुबह कक्षाएं ले रहे हैं लेकिन आश्चर्य की बात है महाविद्यालय के द्वार खुले हुए हैं , दफ्तर खुले हैं , लेकिन मुझे कोई भी कर्मचारी दफ्तर में नहीं मिला ! कक्षा राजनीतिक शास्त्र की थी, वह शिक्षक या यह व्यक्ति जो उस कक्षा को पढ़ा रहा था अत्यंत उत्साहित होकर बोला वास्तव में मेरी नियुक्त दफ्तर मे ही है ! मै एक सहायक कर्मचारी हूँ लेकिन क्योंकि आज राजनीति के शिक्षक नहीं आए अतः मै ही राजनीति शास्त्र पढ़ा रहा हूं ! महाविद्यालय में अक्सर इस प्रकार से छात्रों की कक्षा लिया करता हूं ! आप अनुभव कर सकते होंगे कि महाविद्यालय में शिक्षा और शिक्षण का क्या हाल होगा!

इसी प्रकार एक बार मैं इटावा की ओर जा रहा था और रास्ते में मुझे एक महाविद्यालय मिला ! मैंने वहां देखा कोई भी छात्र नहीं था ! मैंने सोचा कि जब मैं इटावा से वापस आऊंगा तब मैं उस महाविद्यालय में जाकर निरीक्षण करूंगा ! मैं वापस आने के बाद महाविद्यालय मे गया लेकिन मैंने देखा कि उस महाविद्यालय में कोई भी शिक्षक, छात्र या कर्मचारी नहीं था ! मैंने प्रबंधक से बात करना चाहिए लेकिन प्रबंधक उस समय महाविद्यालय में उपस्थित नहीं थे ! कानपुर विश्वविद्यालय आ गया !

संबद्धता विभाग से उस महाविद्यालय की पत्रावली मंगा ली और मैंने अपने सचिव से कहा कि उस महाविद्यालय के बारे में एक पत्र शासन को लिखो ! उसको सुनते ही मेरे सचिव ने बताया किए उस महाविद्यालय का प्रबंधक एक बहुत बड़ा तांत्रिक है और यदि कोई भी उसकी शिकायत करता है तो उसके साथ उसका कार्यकाल प्रभावित होता है ! मेरे को सचिव ने निवेदन किया कि आप कृपा करके उसके बारे में किसी प्रकार की कोई भी शिकायत सरकार को ना भेजें आप स्वयं उसको अपने कक्ष में बुलाकर उसे वार्ता कर ले मैंने उस समय के बाद स्वयं उस महाविद्यालय का निरीक्षण एक बार फिर से किया और उस समय मुझे वहां के प्रबंधक वहां पर मिल गए मैंने उनसे पूरी बात करी !

उन्होंने मुझे आश्वासन दिया वह शीघ्र ही अपने महाविद्यालय की सभी व्यवस्थाओं से विश्वविद्यालय कार्यालय को अवगत करा देंगे और यदि कोई कमी हुई तो विश्वविद्यालय प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है ! मुझे आशा है कि महाविद्यालय पूरी तरह से शिक्षण कार्य कर रहा होगा ! कुल मिलाकर मैंने यह निष्कर्ष निकाला कि विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न महाविद्यालयों की स्थिति बहुत दयनीय मैं आशा करता हूं कि भविष्य में इन महाविद्यालयों में शिक्षा का कार्य उच्च कोटि का होगा !

(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय हैं)

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