जुबिली न्यूज डेस्क
गुवाहाटी. चीन और बांग्लादेश से लगती सीमा पर बढ़ते रणनीतिक तनाव और सुरक्षा खतरों को देखते हुए भारत ने पूर्वोत्तर में अपनी सामरिक स्थिति को और अधिक मजबूत करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। असम में पहली बार राष्ट्रीय राजमार्ग का एक हिस्सा भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों और नागरिक विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए तैयार किया जा रहा है। यह तैयारी सिर्फ सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर की सुरक्षा व संरचना को लेकर भारत की गंभीरता का संकेत भी है।
भारतीय सेना और वायुसेना ने इस योजना को आकस्मिक युद्ध परिस्थितियों, आपदा प्रबंधन और रणनीतिक गतिशीलता के लिहाज से बेहद जरूरी बताया है।
4.2 किलोमीटर लंबा हाईवे रनवे तैयार
यह हाई-स्पीड रनवे असम के डिब्रूगढ़ के पास मोरान से नुमालीगढ़ तक के 4.2 किलोमीटर लंबे राजमार्ग के हिस्से पर तैयार किया जा रहा है। इस पर भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 और राफेल जैसे फाइटर जेट्स की आपात लैंडिंग कराई जा सकेगी।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस परियोजना को लेकर जानकारी दी कि “राष्ट्रीय राजमार्ग को अक्टूबर तक चालू करने की योजना है और वायुसेना के अधिकारी लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह न केवल सुरक्षा बल्कि राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए भी एक बड़ा कदम है।
आपात स्थिति में नागरिक विमान भी कर सकेंगे लैंडिंग
सेना की योजना है कि इस हाईवे को इस प्रकार डिज़ाइन किया जाए कि ज़रूरत पड़ने पर नागरिक विमानों की भी आपात लैंडिंग कराई जा सके। इस प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर न केवल सीमा सुरक्षा बल्कि आपदा प्रबंधन और राहत-बचाव अभियानों में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने दो और लोकेशनों – लोअर असम और नागांव-लुमडिंग के बीच – इस तरह के हाईवे रनवे तैयार करने को मंजूरी दी है।
चीन-बांग्लादेश की जुगलबंदी को लेकर सतर्कता
पूर्वोत्तर भारत चीन और बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और हाल के वर्षों में दोनों देशों के साथ भारत के संबंधों में आई तल्खी के बाद इस इलाके की रणनीतिक अहमियत और बढ़ गई है। खासकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीनी गतिविधियों में बढ़ोतरी ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस क्षेत्र में सड़क, पुल, हवाई पट्टी और फॉरवर्ड पोस्ट का विस्तार देश की सैन्य पहुंच और प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाता है।
सुरक्षा और विकास दोनों को मिलेगी रफ्तार
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस कदम को राज्य के लिए “दोहरे फायदे” वाला बताया। उन्होंने कहा कि “यह पहल जहां एक ओर पूर्वोत्तर की सुरक्षा को नई मजबूती देगी, वहीं दूसरी ओर असम की सड़क संरचना को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि चीन की चुनौती को देखते हुए यह फैसला पूरी तरह से सामरिक दृष्टिकोण से लिया गया है और केंद्र सरकार के सहयोग से पूर्वोत्तर को ‘स्ट्रैटजिक पॉइंट’ के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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भारत की ‘स्ट्रैटजिक स्ट्रीटजी’ पर फोकस
पूर्वोत्तर भारत में ऐसी सामरिक तैयारियों का मतलब साफ है—भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया देने की मुद्रा में नहीं, बल्कि पहले से तैयार रहने की स्थिति में रहना चाहता है। सीमाओं की रक्षा केवल सैन्य ताकत से नहीं, बल्कि समय पर पहुंच और तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता से भी होती है। ऐसे में हाईवे को रनवे में बदलने जैसी तैयारियां भविष्य की रणनीतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर की जा रही हैं।