जुबिली न्यूज डेस्क
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव गहराता जा रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के उच्चायोग अधिकारियों को निष्कासित करने की कार्रवाई की है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच पहले से ही तनाव का माहौल है।
भारत ने पाक अधिकारी को किया निष्कासित
भारत सरकार ने बुधवार को पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी को जासूसी के आरोप में देश छोड़ने का आदेश दिया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह अधिकारी अपने आधिकारिक कर्तव्यों से इतर गतिविधियों में शामिल पाया गया, जिसे “अवांछित व्यक्ति” घोषित करते हुए 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया।
इससे पहले 13 मई को भी एक पाकिस्तानी अधिकारी को इसी तरह के आरोप में निष्कासित किया गया था। भारत में यह एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार है जब किसी पाकिस्तानी अधिकारी को निष्कासित किया गया है।
भारतीय अधिकारी को निष्कासित किया
भारत की इस कार्रवाई के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने भी प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के एक कर्मचारी को निष्कासित करने की घोषणा की। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि संबंधित अधिकारी ‘‘विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति” का दुरुपयोग कर रहा था और उसकी गतिविधियां राजनयिक मर्यादाओं के विपरीत थीं। उसे भी 24 घंटे में पाकिस्तान छोड़ने का निर्देश दिया गया।
भारतीय प्रभारी उच्चायुक्त को इस निर्णय से औपचारिक रूप से अवगत कराने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में तलब किया गया। बयान में यह भी कहा गया कि भारतीय उच्चायोग के किसी भी अधिकारी को विशेषाधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
पहलगाम हमला और बढ़ता तनाव
यह राजनयिक विवाद ऐसे समय पर सामने आया है जब पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। भारत ने इस हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ढांचों पर सटीक हमले किए थे।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमलों की कोशिश की, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच 10 मई को वार्ता हुई, जिसमें सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनी।
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भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक रिश्ते लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। जासूसी के आरोपों में अधिकारियों का निष्कासन और सीमाओं पर सैन्य संघर्ष इन संबंधों को और जटिल बना रहा है। ऐसे समय में शांति और संवाद की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।