प्रो. अशोक कुमार
चींटियों की दुनिया बेहद विविध और रोचक है! चींटियों को अक्सर छोटे-से-छोटे कीड़े के रूप में देखा जाता है जो हमारे घरों में अक्सर परेशानी का कारण बनते हैं।
दुनिया भर में चींटियों की 15,700 से अधिक प्रजातियां और उप-प्रजातियां पाई जाती हैं, और कई ऐसी भी हैं जिनकी प्रजाति को अभी कोई नाम नहीं दिया गया है।
चींटियों को समझना
घर में और उसके आस-पास पाई जाने वाली चींटियों को व्यवहारिक रूप से दो मुख्य समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
उपद्रवी चींटियाँ
ये चींटियाँ अक्सर भोजन या पानी के लिए रास्ते बनाती हैं और हमारे घरों में अक्सर परेशानी का कारण बनती हैं।
टीला बनाने वाली चींटियाँ: ये चींटियाँ बड़े-बड़े टीले बनाती हैं और अक्सर जंगलों या बगीचों में पाई जाती हैं।
चींटियों की विविधता
चींटियां अपनी शारीरिक संरचना, रंग, आकार, व्यवहार और रहने की जगह के आधार पर अलग-अलग होती हैं कुछ चींटियां शिकारी होती हैं, कुछ खेती करती हैं, तो कुछ अन्य कीड़े पालती हैं कुछ चींटियां अकेले रहती हैं, तो कुछ बड़ी-बड़ी कालोनियां बनाती हैं।
कुछ प्रमुख प्रकार की चींटियां
लाल चींटियां : ये चींटियां आमतौर पर लाल रंग की होती हैं और अक्सर घरों में पाई जाती हैं ये चींटियां मीठा खाना बहुत पसंद करती हैं
काली चींटियां : ये चींटियां काली रंग की होती हैं और अक्सर बगीचों में पाई जाती हैं ये चींटियां अन्य कीड़ों को खाती हैं।
डाली चींटियां: ये चींटियां पेड़ों पर रहती हैं और अपनी कालोनियां पेड़ों की शाखाओं पर बनाती है।
फायर एंट्स : ये चींटियां बहुत आक्रामक होती हैं और डंक मारने पर जलन पैदा करती हैं।
बुलडॉग एंट्स : ये चींटियां ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं और बहुत बड़ी होती हैं ये चींटियां बहुत जहरीली होती हैं।
चींटियां भले ही छोटी होती हैं, लेकिन इनका पारिस्थितिक तंत्र में बहुत बड़ा योगदान होता है ये हमारे लिए कई तरह से फायदेमंद होती हैं आइए जानते हैं चींटियों के कुछ प्रमुख लाभों के बारे में:
मिट्टी को उपजाऊ बनाना: चींटियां मिट्टी में सुरंगें बनाती हैं जिससे हवा और पानी मिट्टी में आसानी से पहुंच पाता है यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और पौधों के विकास में मदद करता है
बीजों का प्रसार : कई चींटियां बीजों को अपने बिलों में ले जाती हैं कुछ बीज तो ऐसे होते हैं जो चींटियों के एसिड से ही अंकुरित हो पाते हैं इस तरह चींटियां नए पौधे उगाने में मदद करती हैं।
मृत जीवों का अपघटन : चींटियाँ मृत जीवों और पौधों को तोड़कर उन्हें पोषक तत्वों में बदल देती हैं, जिससे पारिस्थितिक तंत्र संतुलित रहता है।
कीटों का नियंत्रण : चींटियां कई तरह के कीटों को खाती हैं, जैसे कि एफिड्स, मकोड़े और अन्य हानिकारक कीड़े इस तरह ये फसलों को कीटों से बचाने में मदद करती हैं।
पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन : चींटियां कई अन्य जीवों के लिए भोजन का स्रोत होती हैं, जैसे कि पक्षी, छिपकली और छोटे स्तनधारी इस तरह ये पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
पौधों के पोषण में मदद: चींटियां पौधों के साथ एक सहजीवी संबंध बनाती हैं वे पौधों से शहद जैसा एक मीठा पदार्थ लेती हैं और बदले में पौधों को कीटों से बचाती हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हिंदू धर्म: हिंदू धर्म में चींटियों को भोजन कराने को शुभ माना जाता है ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति को धन और समृद्धि मिलती है।
अन्य संस्कृतियां: कई अन्य संस्कृतियों में भी चींटियों को श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है।
चींटियों के कुछ अन्य फायदे
खाद बनाने में मदद: चींटियां अपने कूड़े को अपने बिलों के बाहर फेंकती हैं, जो एक प्रकार की खाद का काम करता है।
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना: चींटियां मिट्टी में ह्यूमस मिलाकर उसकी उर्वरता बढ़ाती हैं।
पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देना: चींटियां पौधों की जड़ों के आसपास मिट्टी को ढीला करके उनकी वृद्धि को बढ़ावा देती हैं।
चींटियों का उपयोग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है. हालांकि आधुनिक चिकित्सा में इनका इस्तेमाल सीमित है ! चींटियों में पाए जाने वाले गुण:
एंटीबायोटिक गुण: कुछ प्रजातियों की चींटियों में प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं। इनका उपयोग घावों को साफ करने और संक्रमण को रोकने में किया जाता है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: चींटियों में पाए जाने वाले कुछ तत्व सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट गुण: ये गुण शरीर को मुक्त कणों से बचाते हैं जो कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
दर्द निवारक गुण: कुछ चींटियों के डंक का उपयोग दर्द को कम करने के लिए किया जाता है।
चींटियों का चिकित्सा में उपयोग
आयुर्वेद: आयुर्वेद में चींटियों का उपयोग विभिन्न बीमारियों जैसे कि जोड़ों के दर्द, बुखार, और त्वचा रोगों के इलाज के लिए किया जाता था।
घावों का उपचार: चींटियों को घावों पर रखकर या उनके डंक का उपयोग करके घावों को साफ किया जाता है और संक्रमण को रोका जाता है।.
दर्द निवारक: कुछ संस्कृतियों में चींटियों के डंक को दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
सूजन कम करना: चींटियों से बनी दवाओं का उपयोग सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।
हड्डियों को जोड़ना: कुछ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में हड्डियों के फ्रैक्चर को जोड़ने के लिए चींटियों का उपयोग किया जाता है।
सावधानी – सभी चींटियां चिकित्सा के लिए उपयोगी नहीं होती हैं. कई प्रजातियां विषैली होती हैं और इनका उपयोग करने से जानलेवा भी हो सकता है. बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के चींटियों का चिकित्सा में उपयोग करना खतरनाक हो सकता है।
चींटियों को खाने का चलन विश्व के कई हिस्सों में पाया जाता है, हालांकि यह भारत में अधिक प्रचलित है भारत के कई राज्यों में, विशेषकर आदिवासी समुदायों में, चींटियों को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में चींटियाँ
लाल चींटी की चटनी: भारत के छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में लाल चींटियों की चटनी बहुत लोकप्रिय है इसे खास मौकों पर बनाया जाता है और इसका स्वाद खट्टा और चटपटा होता है।
अन्य व्यंजन: चींटियों को सलाद और सूप बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
दुनिया के अन्य हिस्से
भारत के अलावा, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में भी चींटियों को खाया जाता है।
क्यों खाई जाती हैं चींटियाँ?
चींटियों में प्रोटीन, कैल्शियम और जिंक जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं ! कई समुदायों में चींटियों को खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कई लोगों को चींटियों का स्वाद काफी पसंद आता है.
सभी प्रकार की चींटियाँ खाने योग्य नहीं होती हैं कुछ चींटियाँ जहरीली भी हो सकती हैं।
चींटियों को खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से साफ करना और पकाना जरूरी है।
(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)