पॉलिटिकल डेस्क
मिश्रिख लोकसभा सीट सूबे की सीतापुर, हरदोई और कानपुर जिलों की विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है। मिश्रिख महर्षि दधिचि की वजह से जानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि दधिचि ने असुरों को मारने के लिए भगवान इंद्र को अपनी अस्थियां दान कर दी थी। इस शहर का अपना धार्मिक महत्व भी है।
मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र जिसे मिश्रिख नीमसार भी कहते हैं। मिश्रिख, महान ऋषियों में से एक महर्षि दधीचि महाराज की वजह से मशहूर है। नीमसार को नीम्खार या नैमिषारान्य भी कहते हैं और यह गोमती नदी के बायीं तरफ स्थित है। यहां पर स्वयं प्रकट हुए विष्णु भगवान के 8 मंदिरों में से एक है। महर्षि दधीचि का जन्म और मृत्यु दोनों यहीं हुआ था।
आबादी/ शिक्षा
मिश्रिख लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें बालामऊ, संडीला, बिल्हौर, मिसरिख और मल्लावां विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें मिश्रिख सीट सीतापुर जिले से आती हैं तो बिल्हौर कानपुर और बाकी तीन सीटें हरदोई जिले में पड़ती हैं।
मिश्रिख लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 25,66,927 है। इसमें 90.33 फीसदी ग्रामीण और 9.67 शहरी आबादी है। अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 32.98 फीसदी हैं और अनुसूचित जनजाति की आबादी महज 0.01 फीसदी है। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 879 महिलाएं हैं। यहां की पुरुष साक्षरता दर 71 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 58 प्रतिशत के साथ यहां की औसत साक्षरता दर 65 प्रतिशत है।
यहां की अधिकारिक भाषा हिंदी है पर यहां की बोल चाल की भाषा अवधी है। मिश्रिख में मतदाताओं की संख्या 1,725,589 है जिसमें महिलाओं की 777,207 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 948,316 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
मिश्रिख लोकसभा सीट पर 2014 तक 14 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 7 बार कांग्रेस, 3 बार बसपा और 2 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं, सपा, भारतीय लोकदल और जनसंघ एक-एक बार जीत चुकी है। 1962 में यहां पर पहली बार हुए चुनाव में जनसंघ के गोकरण प्रसाद ने जीत हासिल की थी।
इसके बाद 1967 में दूसरे ही चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद 1971 में भी कांग्रेस यह सीट जीतने में सफल रही। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की लेकिन अगले ही चुनाव में कांग्रेस ने वापसी कर ली। 1984 से 1991 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा।
1996 में यहां की सीट पर भाजपा के नेता परागी लाल ने कब्जा जमाया। भाजपा के पास भी यह सीट ज्यादा दिन नहीं टिकी और अगले ही चुनाव में उसके पास से यह सीट चली गयी। 1998 में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के राम शंकर भार्गव ने अपना कब्जा जमा लिया। 1999 में यहां समाजवादी पार्टी की सुशीला सरोज जीती। इनके बाद बहुजन समाज पार्टी के अशोक कुमार रावत लगातार 2 बार जीते। मिश्रिख की वर्तमान सांसद भारतीय जनता पार्टी की अंजू बाला हैं।