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Lok Sabha Election : जानें गाजीपुर लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

लहुरी काशी (छोटी काशी) के रूप में जाना जाने वाला गाजीपुर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का एक जिला है। अंग्रेजों के काल में गाजीपुर में 1820 में दुनिया के सबसे बड़े अफीम का कारखाना स्थापित किया गया था। गाजीपुर शहर अपने हथकरघा और इत्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं।

अंग्रेज गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस की मृत्यु यहीं हुई थी उन्हें यहीं पर दफनाया गया। गाजीपुर के पश्चिम में वाराणसी, उत्तर में मऊ, पूर्व में बलिया, पश्चिमोत्तर में जौनपुर और दक्षिण में चंदौली जिला स्थित है।


एक जमाने में गाधिपुर के नाम से जाना जाने वाला गाजीपुर आज देश के सबसे बड़े गांव ‘गहमरÓ की वजह से भी जाना जाता है। दो चीजें जो गाजीपुर देश के दूसरे इलाकों से अलग बनाती है, वो है- लार्ड कार्नवालिस का मकबरा और अफीम की फैक्ट्री। यहां सैदपुर के मार्कंडेय महादेव मंदिर को लेकर पूरे देश में मान्यताएं हैं।

आबादी/ शिक्षा

गाजीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 75वें नंबर की सीट है7 इस संसदीय सीट में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती है जिसमें जखनिया, जंगीपुर, सैदपुर, जमानिया और गाजीपुर शामिल है। जखनिया और सैदपुर की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

2011 की जनगणना के मुताबिक गाजीपुर में 5,46,664 परिवार हैं। यहां की कुल आबादी 36,20,268 लाख है जिनमें पुरुषों की आबादी 18,55,075 लाख और महिलाओं की आबादी 17,65,193 लाख है।

उत्तर प्रदेश के लिंगानुपात 912 के मुकाबले गाजीपुर में प्रति 1000 पुरुषों पर 952 महिलायें है। यहां की औसत साक्षरता दर 60.7 प्रतिशत है जिनमें पुरुष साक्षरता दर 69.73 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 51.21 प्रतिशत है।

गाजीपुर मुख्य रूप से हिन्दू बहुल इलाका है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,801,519 है जिसमें महिला मतदाता 818,105 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 983,352 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

गाजीपुर में पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ जिसमें कांग्रेस के हर प्रसाद सिंह विजयी हुए। उसके अगले चुनाव 1957 और 1962 में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 के चुनावों में कम्युनिस्ट पार्टी के सरजू पाण्डेय निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे।

1989 में जगदीश इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़े और जीतकर गाजीपुर के पहले निर्दलीय सांसद बने। 20 साल के बाद 1991 में कम्युनिस्ट पार्टी ने इस सीट पर एक बार फिर से कब्जा जमाया। 1996 में बीजेपी ने अपना खाता खोला और मनोज सिन्हा सांसद चुने गए।

 

1998 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के ओम प्रकाश सिंह ने गाजीपुर में समाजवादी पार्टी की जीत का अकाल खत्म किया और मनोज सिन्हा को हरा दिया। 1999 के चुनाव में मनोज सिन्हा ने अपनी पिछली हार का बदला लिया और लोकसभा पहुंचे, लेकिन 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपना परचम लहराया। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के मनोज सिन्हा सांसद हैं। वह वर्तमान में केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री हैं।

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