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Lok Sabha Election : जानें धौरहरा लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

लखीमपुर खीरी का हिस्सा धौरहरा लोकसभा क्षेत्र सीतापुर और बहराइच से सटा हुआ है। 2008 की परिसीमन के बाद इसे लोकसभा का निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया। यह जिला काफी पिछड़ा हुआ है और यहां अच्छे स्कूल या कॉलेज नहीं हैं। यह कृषि प्रधान क्षेत्र है पर यहां कुछ अपना व्यवसाय भी करते हैं। धौरहरा सड़कों द्वारा उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों जैसे लखनऊ और सीतापुर से जुड़ा हुआ है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में धौरहारा सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं।

आबादी/ शिक्षा

धौरहरा एक मुस्लिम बाहुल्य इलाका है। यहां की आबादी 24,44,317 है जिसमें मुस्लिमों की आबादी 53 प्रतिशत और हिंदुओं की आबादी 46 प्रतिशत है। एससी आबादी 31.13 प्रतिशत और एसटी .04 प्रतिशत है। यहां की 95.39 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और 4.61 प्रतिशत शहर में । धौरहरा में 1,558,041 मतदाता है जिसमें पुरुषों की संख्या 846,798 और महिला मतदाता की संख्या 711,151 है।

 

राजनीतिक घटनाक्रम

धौरहरा लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधान सभा क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम धौरहरा, हरगांव, कसता, महोली और मोहम्मदी हैं। 2008 में इसे अलग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया था। 2009 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने जीता था। जितिन प्रसाद पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री और स्टील मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन साल 2014 में बाजी पलट गई और ये सीट भाजपा की झोली में आ गई और बीजेपी की रेखा वर्मा यहां से पहली महिला एमपी बनीं। इस सीट पर दूसरे नंबर पर बीएसपी, तीसरे नंबर पर सपा और चौथे नंबर पर कांग्रेस थी।

 

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