Sunday - 7 January 2024 - 12:53 PM

कोरोना महामारी के कारण ‘आधी आबादी’ की कमाई घटी

  • जर्मनी में कामकाजी महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले औसतन 21 फीसदी कम पैसे कमाती है
  • नए सर्वे की मानें तो कोरोना के कारण महिलाओं और पुरुषों के बीच पहले से ही मौजूद आय का अंतर और गहराएगा

न्यूज डेस्क

यह सिर्फ जर्मनी की समस्या नहीं है बल्कि दुनिया के ज्यादातर देशों की समस्या है। कोरोना वायरस की महामारी की वजह से महिलाओं की कमाई घट गई है।

दुनिया भर के अधिकांश मुल्कों में महिला और पुरुषों की आय में काफी अंतर है। अब जर्मनी में हुए एक नए सर्वे की मानें तो कोरोना संकट के कारण महिलाओं और पुरुषों के बीच पहले से ही मौजूद आय का अंतर और गहराएगा।

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तालाबंदी की वजह से कई कामकाजी महिलाओं को नौकरी के घंटे कम कर घरेलू जिम्मेदारियां उठाने में समय लगाना पड़ रहा है। तालाबंदी की वजह से स्कूल और नर्सरी बंद होने के कारण बच्चे घरों में हैं। इसलिए इन बच्चों की देखभाल में मांओं का पहले से कहीं ज्यादा समय लग रहा है।

हाल ही में जर्मनी में हुए एक सर्वे में यह बात निकल कर आई है कि कैसे 14 साल के कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों में 27 फीसदी महिलाओं ने नौकरी के घंटों में कटौती की है जबकि केवल 16 फीसदी पुरुषों को बच्चों की देखभाल के लिए ऐसा करना पड़ा है।

यह सर्वे रिसर्च संस्थान हंस बोएक्लर फाउंडेशन ने कम के कम 7,700 कर्मचारियों से बातचीत के आधार पर किया है।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जर्मनी मे 17 मार्च से स्कूल और नर्सरी को बंद करने की शुरुआत हो गई थी ताकि वायरस के संक्रमण की रफ्तार को कम किया जा सके। इसके बाद से कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए कई महिलाओं को अपनी कमाई से समझौता करना पड़ा है।

हालांकि मई के पहले हफ्ते से बच्चों को थोड़ी-थोड़ी संख्या में स्कूलों में फिर से वापस लौटाने की शुरुआत हो गई लेकिन अगस्त-सितंबर के पहले सभी बच्चों के स्कूल में वापस जाने की संभावना नहीं है।

जर्मनी में कामकाजी महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले औसतन 21 फीसदी कम पैसे कमाती हैं। पूरे यूरोपीय संघ में जर्मनी महिलाओं के वेतन में बहुत ज्यादा अंतर वाले देशों में शामिल है। इसका कारण कुछ हद तक यह भी है कि जर्मनी में बहुत सारी महिलाएं पार्ट टाइम काम करने के मौके का इस्तेमाल करती हैं।

फाउंडेशन के आर्थिक और समाजशास्त्र विभाग की निदेशिका बेटीना कोलराउष बताती हैं, “जितना अंतर अभी है, कोरोना वायरस के संकट के चलते वह और बढ़ सकता है।”

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कोरोना के लॉकडाउन काल में और ज्यादा महिलाओं ने अपने नौकरी के घंटों में कमी की है। खासतौर पर निम्न से लेकर मध्यम आय वाले घरों की महिलाओं ने इस दौरान घरेलू कामों की जिम्मेदारी के चलते नौकरी के घंटे कहीं ज्यादा घटाए हैं।

इस पर कोलराउष कहती हैं, “गरीब परिवारों में कई बार घर के पुरुष की सैलरी के बिना गुजारा मुश्किल होता है क्योंकि अक्सर वह महिला से ज्यादा होती है।” सर्वे में, 14 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रहने वाले 48 प्रतिशत माता-पिता ने इस संकट के दौर में अपनी स्थिति को “बेहद” से लेकर “काफी तनावपूर्ण” बताया है।

भारत के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यहां भी भारी संख्या में महिलाओं की कमाई कम हुई है या तो खत्म हो गई है। देश भर में घरों में काम करने वाली अधिकांश महिलाओं का कामकाज कोरोना के चलते छूट गया है। इसके अलावा छोटे-मोटे खुद का काम करने वाली महिलाओं का भी काम बंद है। उनकी कमाई तो बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

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