Wednesday - 10 January 2024 - 7:21 AM

पाकिस्तान: गले की हड्डी बने हाफ़िज़ सईद के गले में कानून का फंदा

कृष्णमोहन झा

भारत द्वारा मुंबई में हुए भयावह आतंकी हमले की साजिश रचने वाले कुख्यात आतंकी मास्टरमाइंड हाफिज सईद के विरुद्ध अनेकों पुख्ता सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने उसे हमेशा संरक्षण प्रदान किया है। इतना ही नही पाकिस्तान ने उसे देशभर में रैलियां कर भारत के विरुद्ध जहर घोलने क की भी खुली छूट भी प्रदान की हुई है ,परंतु अब जब उसे इस कढ़वी हकीकत का एहसास हो गया कि हाफिज सईद के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई को टालते रहने से उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क अपनी काली सूची में डाल देने से परहेज नही करेगा तो पाकिस्तान की आतंक रोधी अदालत ने आनन फानन में उसपर कड़ी कानूनी कार्रवाई करते हुए उसे 11 वर्ष के कारावास की सजा सुना दी है।

गौरतलब है कि फ़ाईनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स वह अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो दुनियाभर में आतंकी गतिविधियों के लिए उपलब्ध किए जाने वाले धन की निगरानी करती है। इस संस्था ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में पहले से ही डाल रखा है। अब उसने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उसने अपने देश में आतंकवाद के वित्त पोषण को काबू में लाने के लिए कठोर कदम नहीं उठाए तो एफटीएफ उसे अपनी काली सूची में डाल देगा। इसे देखते हुए पाकिस्तान में हाफिज सईद को यह सजा सुनाई गई है।

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अगर पाकिस्तान द्वारा सईद पर यह कार्यवाही नही की जाती तो उसे एफटीएफ द्वारा अपनी काली सूची में शामिल कर दिया जाता, जिसका परिणाम यह होता कि उस पर अनेक आर्थिक प्रतिबंध लग जाते। उसे दूसरे देशों से मिलने वाली आर्थिक मदद रुक जाती। भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की सरकार इस खतरे से अनजान नहीं थी। विदेशों से आर्थिक मदद बंद हो जाने की स्थिति में आर्थिक मोर्चे पर उसकी कमर टूटना तय था, इसलिए मजबूरी में उसे आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद को आतंक रोधी अदालत से सजा दिलवाना पड़ी।

पाकिस्तान में हाफिज सईद को टेरर फंडिंग के जिन दो मामलों में सजा सुनाई गई है, वे मामले पंजाब और गुजरावाला पुलिस ने दर्ज किए थे। अदालत दवारा उसपर 15-15 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि हाफिज सईद केवल दो मामलों में ही आरोपी नहीं था, बल्कि उस पर टेरर फंडिंग, मनी लांड्रिंग एवं अवैध कब्जे के 20 से अधिक मामले चल रहे हैं। अतः पाकिस्तान सरकार उसके विरुद्ध अदालत में पुख्ता सबूत पेश करने में ईमानदारी दिखाएं तो उसे जीवन भर जेल में ही रहना पड़ सकता है। हालांकि हाफिज सईद को सजा अभी सुनाई गई है, परंतु वह काफी समय से जेल में बंद है। जेल में भी उसे भारत के विरुद्ध जहर उगलने की खुली छूट मिली हुई है।

गौरतलब है कि हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र संघ पहले ही प्रतिबंधित आतंकी सूची में शामिल कर चुका है और अमेरिका ने तो उस पर दस करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित कर रखा है। इन सब के बाद भी उसे पाकिस्तान में अपने आतंकी संगठन जमात-उद-दावा की गतिविधियां संचालित करने की खुली छूट मिली हुई थी। वह खुलेआम रैलियों को संबोधित करता था और उसमे भारत के विरुद्ध जहर उगलने से बाज नही आ रहा था।

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मुम्बई हमले के बाद भारत ने उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए निरंतर पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाया, परंतु पाकिस्तान ने इसे नजरअंदाज करते हुए हाफिज सईद को संरक्षण देना बंद नहीं किया। अब जब उसे यह डर सताने लगा कि हाफिज सईद पर कार्रवाई न करने से एफटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देगा तो उसने आनन-फानन में अदालत में उसके खिलाफ ऐसे पुख्ता सबूत भी पेश कर दिए, जिससे कि वह सजा से बचने न पाए।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान ने हाफिज सईद को सजा दिलवाकर न केवल एसटीएफ की काली सूची में आने के खतरे को टालने में सफलता पा ली है, बल्कि अब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह ढिंढोरा पीटने से भी नहीं चुकेगा की उसके देश में आतंकी संगठनों एवं उनके सरगनाओं के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई से परहेज नहीं किया जाता है। यहा यह बात विशेष गौर करने लायक है कि आतंकी संगठन का मुखिया होने के बावजूद हाफिज सईद पाकिस्तान की चुनावी राजनीति में भी बराबर रुचि लेता रहा है। उसने पाकिस्तान के गत राष्ट्रीय चुनाव में अपना दल बनाकर अपने रिश्तेदारों को मैदान में उतारा था। इन चुनावों में अगर उसके उम्मीदवार जीतने में सफल हो जाते तो ऐसे में वह सरकार से सौदेबाजी करने से भी नहीं चुकता।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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