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पानी मिला, लेकिन मजदूरी छूटी

रूबी सरकार

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले का बुदनी तहसील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का क्षेत्र होने के कारण पूरे देश में विख्यात है। यहां से  चौहान पहली बार वर्ष 2006 के उपचुनाव में विधायक बने थे। इसके बाद लगातार क्षेत्र की जनता ने उन्हें विधायक चुनकर मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया । भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में शायद वे पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें बुदनी के मतदाताओं ने लगातार चार बार चुनाव जीताकर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया।

वे ग्रामीणों के बीच ‘भाई, बेटा और मामा‘ के रूप में प्रसिद्ध हैं। क्षेत्रीय मतदाताओं की उनसे अनेक अपेक्षाएं थीं। उनकी सबसे बड़ी समस्या पेयजल की थी। हालांकि मुख्यमंत्री चौहान इससे अनभिज्ञ नहीं है, उन्होंने वर्ष  2015 में हर घर में नर्मदा जल पहुंचाने की परियोजना बनायी। वर्ष 2017 तक अपने विधानसभा क्षेत्र में इसे पूरा कर लिया और पहली जनवरी, 2018 से मतदाताओं के घरों में नल के माध्यम से पानी  मिलने लगा। लेकिन शायद पानी की यह सुविधा मात्र पर्याप्त नहीं है, संभवतः इसीलिए वर्ष 2018 में उनका वोट प्रतिशत 10 फीसदी नीचे चला गया।

 

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वर्ष 2013 के चुनाव में  उनका मत प्रतिशत लगभग 70 फीसदी रहा, लेकिन वर्ष 2018 के चुनाव में यह नीचे गिरकर मात्र 60 फीसदी ही रह गया। पानी की इस व्यवस्था का जायजा लेने के लिए बुदनी तहसील से 10 किलोमीटर दूर तालपुरा गांव पहुंचने पर पता चला, कि हर घर में नर्मदा जल पहुंचाने का संकल्प तो उन्होंने पूरा कर लिया है, लेकिन बावजूद इसके लोगों की पानी को लेकर परेशानियां पूरी तरह खत्म नहीं हुईं हैं।

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ग्राम पेयजल उपसमिति के अध्यक्ष एवं सचिव लीलाधर यादव ने बताया, कि गांव में 40 हजार लीटर की जो पानी की टंकी है, उसे 20 साल पहले  लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने बनाया था। उस समय गांव में मात्र 80 घर थे, जबकि आज दोगुना लगभग 160 घर हैं। इसी तरह गांव की आबादी भी बढ़ी है।

इसलिए पानी पूरी मात्रा में नहीं मिल पाता है।पिछले साल यहां के प्रभारी मंत्री आरिफ अकील (कांग्रेस सरकार में मंत्री) विभाग के अधिकारियों के साथ आये थे, गांव वालों ने उन्हें नई टंकी बनवाने और  नियमानुसार 55 लीटर जल प्रदाय करने का आवेदन दिया था, उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं  हुई।

यादव की एक शिकायत और है, कि गांव की अधिकतर जमीन वर्धमान इंडस्ट्रीज ने प्रशासन की मिली-भगत से जबरन ले ली हैं। ग्रामीणों को धारा-4 के अंतर्गत सुनवाई का मौका भी नहीं दिया। कंपनी ने जमीन के बदले परिवार के वयस्क सदस्यों को नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन परिवार के सिर्फ एक भाई को, वह भी संविदा नियुक्ति मिली है।

दिहाड़ी मजदूरी के लिए कंपनी ने ठेकेदार रखे है, जिसके माध्यम से काम मिलता है। इस तरह प्रतिदिन मजदूरी का एक हिस्सा ठेकेदार के चढ़ावे में चला जाता है। अब गांव में लगभग सभी बाहर मजदूरी के लिए सुबह ही निकल जाते है। खेत किसी के पास बचा नहीं ।

सुशीलाबाई बताती है, कि गांव में पांच हैण्डपम्प और चार कुएं है, लेकिन एक को छोड़कर सभी हैण्डपम्पों में लाल पानी आता है । केवल एक में साफ पानी आता था, वह इस समय टूटा पड़ा है। सरपंच ने विभाग को लिख दिया है, कि यह हैण्डपम्प सूखा है। इसलिए इसकी मरम्मत नहीं हो रही है।

ग्रामीणों की एक शिकायत और है, कि पानी की आपूर्ति इतने कम समय के लिए होती है,  कि वे पानी को स्टोर नहीं कर पाते। इस तरह उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। तालाब और कुएं के गंदे पानी से  उन्हें काम चलाना पड़ता है, जिससे पीलिया रोग होने का खतरा बना रहता है। कुएं और हैण्डपम्प भी गर्मी के दिनों में सूख जाते हैं।

हालांकि गांव की कलाबाई बताती हैं, कि पहले 15-15 दिनों तक पानी नहीं मिलता था । इसके साथ ही डेढ़ किलोमीटर दूर से पेयजल लाना पड़ता था। अब जाने-आने का समय तो बच रहा है, लेकिन जलापूर्ति का जो समय सुबह 10 बजे निर्धारित किया गया है, उससे गांव वालों की मजदूरी छूट जाती है।

वॉलमैन राधेश्याम ने बताया, कि सामुदायिक भागीदारी के तहत समूह जल आपूर्ति योजना का संचालन हो रहा है। इसकी रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पेयजल उपसमिति बनायी गयी है। समिति ने उन्हें वॉलमैन के रूप में चूना है।

उन्होंने बताया, कि जल आपूर्ति के लिए प्रत्येक घर को 100 रूपये का शुल्क देना पड़ता है। इस तरह कुल राशि का 25 फीसदी उसे मानदेय के रूप में मिलता है और सचिव केा 10 फसदी, जबकि जल निगम को प्रति हजार लीटर के लिए सवा तीन रूपये अदा करना पड़ता है।

जल निगम के महाप्रबंधक श्री मगरधे का कहना है, कि पानी की सप्लाई मरदानपुर के फिल्टर प्लांट से किया जाता है, जिसकी तालपुरा गांव से अच्छी खासी दूरी  किमी है।

योजना के अन्तर्गत बुधनी तहसील के 61 और नसरुल्लागंज के 101, इस प्रकार कुल 162 गांव को एक लाख से ढाई लाख लीटर तक की  127 टंकी यों के द्वारा जलप्रदाय किया जा ता है। इसके बाद अलग-अलग गांव के लिए पानी आपूर्ति का अलग-अलग समय निर्धारित कर उसे घरों तक पहुंचाया जाता है।

उल्लेखनीय है कि नर्मदा नदी से 189 ग्रामों और 2 नगरीय क्षेत्रों की पेयजल की कुल वर्तमान मांग के लिए वर्ष 2013 में लागत रु 27467.67 लाख लागत की योजना स्वीकृत की गई थी।

योजना से जलप्रदाय वर्ष 2018 से प्रारंभ हुआ। योजना अन्तर्गत नर्मदा जल को शोधित कर कुल आबादी लगभग सवा दो लाख ग्रामीणों को 55 लीटर व्यक्ति प्रतिदिन की दर से किया जा रहा है। घर घर पानी पहुंचाने के लिए लगभग 500 किमी लंबाई की विभिन्न आकार की पाइपलाइन बिछाई गई है।

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