Wednesday - 10 January 2024 - 6:44 AM

इंडोनेशिया में लड़कियों को स्कूल में हिजाब पहनने से मिली आजादी

जुबिली न्यूज डेस्क

सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार के इस कदम की तारीफ हो रही है।

दरअसल इंडोनेशिया सरकार ने उन स्कूलों को बैन करने का फैसला किया है जो लड़कियों के हिजाब पहनने को अनिवार्य मानते थे।
सरकार के इस कदम से लड़कियों को स्कूल में हिजाब पहनने से आजादी मिल गई है।

इंडोनेशियाई सरकार के इस फैसले का मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि देश के कई रूढि़वादी इलाकों में बरसों से गैर-मुस्लिम लड़कियों को भी स्कूल में हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जाता रहा है।

वहीं इस मामले में इंडोनेशिया के शिक्षा मंत्री नदीम माकारिम का कहना है कि धार्मिक कपड़े पहनने हैं या नहीं, यह व्यक्ति की पसंद पर निर्भर है और स्कूल इसे अनिवार्य नहीं बना सकते।

माकारिम के मुताबिक जो भी स्कूल लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर करेंगे, उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। ऐसे स्कूलों को सरकार से मिलने वाला अनुदान रोका जा सकता है।

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दरअल पश्चिमी सुमात्रा के पाडांग शहर में एक ईसाई लड़की के कारण हिजाब पहनने का मुद्दा वहां काफी दिनों से सुर्खियों में था। स्कूल ने उस पर हिजाब पहनने के लिए दबाव डाला तो उसने इनकार कर दिया।

लड़की के माता पिता ने हिजाब को सभी लड़कियों के लिए अनिवार्य बताने वाले अधिकारी से हुई अपनी बातचीत को चुपके से रिकॉर्ड कर लिया। जब यह वीडियो वायरल हो गया तो स्कूल को माफी मांगनी पड़ी।

27 करोड़ की आबादी वाले इंडोनेशिया में वैसे तो आधिकारिक तौर पर छह धर्मों को मान्यता दी गई है, मगर वहां 90 प्रतिशत लोग मुसलमान हैं। हाल के समय में इंडोनेशिया में लगातार धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है।

धार्मिक मामलों के मंत्री याकूत चोलिल ने सुमात्रा के मामले को “सिर्फ एक शुरुआत” बताया है। उन्होंने कहा, “धर्म का यह मतलब नहीं है कि वह दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों के साथ टकराए या फिर उनके साथ होने वाले किसी अनुचित कार्य को उचित ठहराए।”

फिलहाल मानवाधिकार कार्यकर्ता स्कूलों में हिजाब के बारे में सरकार के फैसले से खुश हैं। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में ह्यूमन राइट्स वॉच में सीनियर रिसर्चर आंद्रिया हारसोनो कहते हैं, “यह फैसला इंडोनेशिया में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है।”

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हारसोनो का कहना है कि सरकारी स्कूलों में लाखों लड़कियों और महिला टीचरों को हिजाब बनने के लिए मजबूर किया जाता है। और अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें “धौंसपट्टी, परेशान किए जाने और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में तो उन्हें स्कूल से निकाल दिया जाता है या फिर उनका इस्तीफा ले लिया जाता है। ”

वहीं इंडोनेशिया के मानवाधिकार आयोग के प्रमुख पेका उलुंग हापसारा का कहना है कि सरकार का फैसला लोगों की व्यक्तिगत पसंद का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, “स्कूल वह जगह है जहां व्यक्ति सभी तरह के भेदभावों से मुक्त होना सीखता है, जहां सबके लिए सम्मान होता है।”

सरकार के इस फैसला इंडोनेशिया के आछेह प्रांत में लागू नहीं होगा क्योंकि वहां लंबे समय से चले आ रही स्वायत्तता समझौते के तहत सख्त शरिया कानून है।

हारसोनो कहते हैं कि इंडोनेशिया में 20 से ज्यादा ऐसे प्रांत हैं जहां अब तक स्कूलों में लड़कियों को धार्मिक कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाता रहा है।

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