जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने अब 10 साल से अधिक पुरानी डीजल गाड़ियों और 15 साल से अधिक पुरानी पेट्रोल गाड़ियों (End-of-Life Vehicles) में फ्यूल भरवाने पर रोक को दिल्ली सहित एनसीआर के 24 जिलों तक विस्तार देने की योजना बनाई है। हालांकि, दिल्ली में यह रोक अब 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होगी। पहले इसे 1 जुलाई 2025 से लागू किया जाना था।
1 नवंबर से कहां-कहां लागू होगा नया नियम?
CAQM की समीक्षा बैठक में यह तय किया गया कि दिल्ली के साथ पांच हाई व्हीकल डेंसिटी (HVD) जिलों—गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत—में भी यह प्रतिबंध 1 नवंबर 2025 से लागू होगा।
इसके अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाकी जिलों में यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा। इन जिलों में हरियाणा के नूंह, पानीपत, झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, भिवानी, पलवल, जिंद और करनाल शामिल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, शामली, हापुड़ और मुजफ्फरनगर तथा राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले इस दायरे में आएंगे।
क्या है EoL गाड़ियों पर रोक का मतलब?
EoL यानी End-of-Life गाड़ियां वे हैं जो:
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डीजल की हैं और 10 साल पुरानी हो चुकी हैं, या
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पेट्रोल की हैं और 15 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं।
ऐसी गाड़ियों को अब दिल्ली-एनसीआर के चुने गए जिलों में न तो फ्यूल मिलेगा और न ही वे कानूनी तौर पर सड़कों पर चल सकेंगी।
कैसे होगी निगरानी?
दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर Automated Number Plate Recognition (ANPR) कैमरे लगाए जा चुके हैं, जो किसी भी गाड़ी की नंबर प्लेट स्कैन कर VAHAN डेटाबेस से उसकी जानकारी जुटाते हैं। यदि गाड़ी समय सीमा पार कर चुकी है, तो सिस्टम पेट्रोल पंप को अलर्ट कर देता है और उस गाड़ी में फ्यूल नहीं डाला जाता।
अब यही तकनीक 31 अक्टूबर 2025 तक गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत के पेट्रोल पंपों पर भी लगाई जाएगी।
कानूनी कार्रवाई भी होगी सख्त
CAQM के अनुसार, जिन गाड़ियों की उम्र तय सीमा से अधिक है, उनके खिलाफ RVSF नियम 2021 और संबंधित राज्य सरकारों की नीतियों के तहत जप्ती और स्क्रैपिंग (कबाड़) की कार्रवाई भी की जाएगी।
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क्यों जरूरी है ये कदम?
दिल्ली-एनसीआर देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल है। खासतौर पर सर्दियों में यहां वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो जाती है। पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं इस प्रदूषण का बड़ा कारण है। इसी को नियंत्रित करने के लिए यह सख्त फैसला लिया गया है।