Saturday - 3 May 2025 - 12:37 PM

भाखड़ा से बखेड़ा तक: हरियाणा-पंजाब में पानी को लेकर बयानबाज़ी तेज

जुबिली न्यूज डेस्क 

हरियाणा और पंजाब के बीच भाखड़ा नहर के जल बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। इस विवाद पर अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तीखी टिप्पणियां सामने आ रही हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को एक बार फिर पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “पीने के पानी को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”

 2.80 करोड़ लोगों के लिए पानी मांग रहे हैं’

नायब सिंह सैनी ने कहा:“मैं लगातार कह रहा हूं कि पीने के पानी को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें नहीं मालूम था कि राजनीति इस हद तक भी जा सकती है कि पीने के पानी पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाए।”उन्होंने आगे कहा कि पानी समाज के लिए है, न कि किसी एक व्यक्ति के लिए।

‘बेटी के घर का पानी नहीं पीना’ पर सैनी का पलटवार

इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तंज कसते हुए कहा था कि नायब सिंह सैनी उनके रिश्तेदार हैं, और भारतीय परंपरा के अनुसार “बेटी के घर का पानी भी नहीं पीना चाहिए, और वे नहर मांग रहे हैं।”
इस पर सैनी ने पलटवार करते हुए कहा:“परंपरा अपनी जगह है, लेकिन जब ज़मीन में पानी नहीं है, तब क्या करें? यह मांग व्यक्तिगत नहीं, हरियाणा के करोड़ों लोगों की है।”

‘हम अपने हक का पानी मांग रहे हैं, कोई ज्यादा नहीं’

हरियाणा के सीएम ने स्पष्ट किया कि राज्य कोई अतिरिक्त पानी नहीं मांग रहा, बल्कि इतना ही पानी चाहता है जितना पहले मिलता था।“हम कोई ज्यादा मांग नहीं रख रहे, अपने हक का पानी मांग रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह मुद्दा राजनीतिक बन गया है।”

‘यह राजनीति का नहीं, सेवा का विषय है’

सैनी ने कहा कि पंजाब के नेताओं की राजनीति को दोनों राज्यों की जनता समझ चुकी है।“यह देश और प्रदेश के विकास का मामला है, किसी को पानी पिलाने का विषय है। पंजाब सरकार को चाहिए कि वो राजनीति छोड़कर अपने युवाओं के लिए नई योजनाएं बनाए।”

पृष्ठभूमि: क्या है भाखड़ा नहर विवाद?

भाखड़ा नहर प्रणाली भारत के सबसे बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसका जल वितरण पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक होता है। हरियाणा का आरोप है कि उसे उसके हिस्से का पानी नहीं मिल रहा, जबकि पंजाब का कहना है कि राज्य के पास खुद पर्याप्त जल स्रोत नहीं हैं। यह मुद्दा SYL नहर विवाद से भी जुड़ा हुआ है, जिसे सुप्रीम कोर्ट तक में चुनौती दी जा चुकी है।

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पानी जैसे महत्वपूर्ण संसाधन को लेकर राज्यों के बीच इस प्रकार की बयानबाज़ी ने राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में केंद्र सरकार की भूमिका और संभावित समाधान की दिशा पर भी नजरें टिकी रहेंगी।

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