जुबिली स्पेशल डेस्क
तेहरान/पेरिस: इजरायल और ईरान के बीच संघर्षविराम के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ईरान के पक्ष में एक बड़ा बयान देते हुए इजरायली हमलों की आलोचना की है। उन्होंने ईरानी नेतृत्व से फोन पर बातचीत कर हालात पर चिंता जताई और मारे गए ईरानी अधिकारियों को लेकर संवेदना प्रकट की।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को राष्ट्रपति मैक्रों और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई। इस दौरान ईरान की अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी IAEA से सहयोग समाप्त करने की घोषणा पर चर्चा की गई।
मैक्रों बोले: “इजरायल को नहीं है अधिकार”
मैक्रों ने साफ शब्दों में कहा कि इजरायल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि तेहरान की ओर से IAEA के प्रति जताई गई आपत्तियां उचित हैं और फ्रांस उन्हें गंभीरता से ले रहा है।
परमाणु एजेंसी पर सवाल
ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने मैक्रों से कहा कि IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी द्वारा दी गई “गलत सूचनाओं” के चलते ईरान को निशाना बनाया गया। इसके चलते ही IAEA से सहयोग समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि ईरान की परमाणु गतिविधियां पूरी तरह से शांतिपूर्ण हैं और IAEA की निगरानी में हैं, इसके बावजूद उस पर सवाल खड़े किए जाते हैं, जबकि इजरायल खुद NPT (परमाणु अप्रसार संधि) का हिस्सा नहीं है और खुले तौर पर परमाणु हथियार रखता है।
फ्रांस ने दिया भरोसा
बातचीत के दौरान राष्ट्रपति मैक्रों ने भरोसा दिलाया कि फ्रांस ईरान के साथ सहयोग जारी रखेगा और IAEA के नियमों को संतुलित और निष्पक्ष तरीके से लागू करने का समर्थन करेगा। उन्होंने इजरायल द्वारा हाल ही में किए गए हमलों की भी निंदा की।
पेजेश्कियान का सवाल: “फिर से हमला नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी?”
ईरानी राष्ट्रपति ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि अगर हालात नहीं बदले, तो ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को दोबारा निशाना बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों को अब निष्पक्षता से कार्य करना होगा, ताकि क्षेत्र में स्थायित्व और विश्वास बहाल हो सके।