Thursday - 11 January 2024 - 5:38 PM

नकली भूटानी शरणार्थी बनाने के नाम पर करोड़ों की ठगी

  • मामले में राजनेता और अफसर भी शामिल

यशोदा श्रीवास्तव

अमेरिका भेजने के नाम पर नेपाली राजनेताओं और बड़े बड़े अफसरों द्वारा नकली भूटानी शरणार्थियों से करोड़ों की ठगी की है।

इसमें नामी गिरामी राजनीतिज्ञ, उनके परिवार के सदस्य तथा बड़े बड़े अफसर बेनकाब हुए हैं। इस ठगी में लिप्त 33 लोगों के नाम सामने आए हैं जिसमें 16 की गिरफ्तारी हो चुकी है शेष 17 फरार चल रहे हैं।

गिरफ्तार लोगों में पूर्व उपप्रधानमंत्री रहे टोप बहादुर राय मांझी, पूर्व गृहमंत्री बाल कृष्ण खाड़,गृह मंत्रालय में सुरक्षा प्रमुख रहे इंद्रजीत राई, गृहसचिव टेक बहादुर पांडेय जैसे बड़े शख्सियतों का नाम शामिल है।

गिरफ्तार लोगों में दो और नाम है जिनके मार्फत इस ठगी को अंजाम दिया गया। ये है भूटानी शरणार्थियों का नेता टेक नाथ रिजाल और नेपाल हज समिति का अध्यक्ष शमशेर मियां।

क्या है मामला 

करीब तीन दशक से अधिक समय से नेपाल भूटान सीमा पर स्थित झापा में हजारों की संख्या में नेपाली मूल के भूटानी नागरिक शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं।

नेपाली मूल के ये भूटानी नागरिक क्रमशः 1624 और 1864 में दक्षिणी भूटान में जाकर बस गए थे। भूटान मुख्यतः तीन जनजातीय समूह वाला राजतंत्रीय व्यवस्था संचालित देश है।

की एक जाति है द्रकुप। इनकी आबादी मात्र 16 प्रतिशत है। उत्तरी भूटान में बसने वाली इसी आबादी का शासन संचालन में मुख्य भूमिका है।

दूसरी जातिय समूह है सारचोप जिनकी आबादी 31 प्रतिशत है और ये पूर्वी भूटान में बसे हुए हैं। भूटान की सबसे बड़ी आबादी नेपाली मूल के भूटानियों की है जिनकी आबादी 50 प्रतिशत के करीब है और भूटान में चाहे सरकारी नौकरी हो या शासन सत्ता हो,इनकी कोई भूमिका नहीं है।

भारत और नेपाल के संपर्क में रहने वाले नेपाली मूल के भूटानी नागरिकों से भूटान सरकार सदैव किसी विद्रोह की आशंका से ग्रसित रहती थी।

इनसे पीछा छूड़ाने के लिए बड़ी चालाकी से भूटान सरकार ने 1982 से 1986 के मध्य पूर्ण कर लिए गए जनगणना के इतर 1987-88 में फिर से जनगणना शुरू कर एक एक नेपाली मूल के भूटानी नागरिकों से नागरिकता संबंधी ऐसे ऐसे कागजात मांगे जाने लगे जिसे दे पाना संभव नहीं था।

नतीजा 1990 में भूटान सरकार और नेपाली मूल के भूटानी नागरिक आमने सामने आ गए। भूटान सरकार ने इन नागरिकों पर ऐसा जुल्म ढाया कि ये देश छोड़ने को मजबूर हो गए। उनमें से ही लाखों लोग नेपाल बॉर्डर के झापा में आकर शरणार्थी के रूप में रहने लगे।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठा ये मामला 

नेपाल बॉर्डर के झापा में भूटानी शरणार्थियों का मामला कई बार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी उठा। भारत ने इसे नेपाल और भूटान का आपसी मामला कहकर इससे पल्ला झाड़ लिया लेकिन अमेरिका ने शरणार्थियों को गोद लेकर अमेरिका में बसाने की हिम्मत दिखाई।

हजारों शरणार्थी अमेरिका गए भी लेकिन बाद में नियम और शर्तें कुछ सख्त हो जाने के कारण शरणार्थियों के अमेरिका जाने की गति धीमी हो गई।

अमेरिका जाने वाले शरणार्थियों से नेपाल से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा जाने लगा। नेपाली युवकों में अमेरिका जाने की ललक ज्यादा रहती है।वे इसके लिए 25–50 लाख दांव पर लगाने के लिए तैयार रहते हैं।

अमेरिका बसने का ललक पाले 786 नेपाली युवकों को भूटानी शरणार्थी का नकली प्रमाण पत्र देकर उन्हें अमेरिका भेजा गया। इनसे 50 करोड़ 25 लाख की ठगी गई।

इसमें शरणार्थियों का नेता टेक नाथ रिजाल और हज समिति के अध्यक्ष शमशेर मियां की मदद ली गई। एक गोपनीय शिकायत पर नेपाल इंनवेस्टीगेशन ब्यूरो ने इसकी लंबी और गहनता से जांच की तो नेपाल के इस सबसे बड़े ठगी प्रकरण में सत्ता और विपक्ष के बड़े बड़े राजनेता और अफसरों का नाम सामने आया।

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