न्यूज डेस्क
बांग्लादेश के संस्थापक और 1975 में आजादी के नायक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या में संलिप्त अब्दुल माजिद को शनिवार की आधी रात ढाका की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी। पूर्व बांग्लादेशी सैन्य कप्तान अब्दुल माजेद को पुलिस ने ढाका में मंगलवार को गिरफ्तार किया था।
खबरों की माने तो लगभग 25 साल तक भारत में छिपे रहने के बाद उसे मंगलवार को ढाका से गिरफ्तार किया गया था। माजिद ने बांग्लादेश पुलिस के सामने खुलासा किया था कि वो करीब 22 साल से पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रह रहा था।
शुक्रवार को मजीद की पत्नी और चार अन्य संबंधियों ने जेल में उससे दो घंटे मुलाकात की थी। इससे पहले बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने मंगलवार को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसे फांसी देने का रास्ता साफ हो गया था।
इससे पहले, बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमान खान कमाल ने पूर्व कप्तान अब्दुल माजेद की गिरफ्तारी की पुष्टि की थी और उन्होंने कहा था कि उसे अदालत भेज दिया गया है ताकि वह अपने कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल कर सके।
मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि अब्दुल ने बांग्लादेश पुलिस को पूछताछ में बताया था कि वह कोलकाता में पिछले 23 सालों से छिपकर रह रहा था। इससे पहले बांग्लादेश के गृह मंत्री ने बताया था कि पुलिस ने पूर्व मिलिटरी कैप्टन अब्दुल माजिद को अरेस्ट कर लिया है और यह गिरफ्तारी बांग्लादेश के लिए बहुत बड़ा गिफ्ट है क्योंकि इस साल रहमान की जन्म शताब्दी है।
माजिद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उसने बंगबंधु रहमान की हत्या की है। माजिद, रहमान की हत्या में शामिल रहे उन दर्जनों लोगों में से एक है जिनकी फांसी की सजा को 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। 1998 में निचली अदालत ने कुछ सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी जो कि रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या में शामिल रहे थे।
बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद, मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। शेख हसीना इस घटना में बच गई थीं क्योंकि उस वक्त वह अपनी बहन के साथ जर्मनी के दौरे पर थीं। उस घटना में रहमान के परिवार में सिर्फ यही दो बहनें जिंदा बच पाई थीं। बताया जाता है कि उनकी बाद की सरकारों ने रहमान के हत्यारों को कूटनीतिक मिशन पर विदेश भेज दिया था।