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भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब पिता-पुत्र बने CJI, चंद्रचूड़ ने ली शपथ

जुबिली न्यूज डेस्क

न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पिता-पुत्र CJI बने हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ 2 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश रहे थे. अब न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने औपचारिक रूप से भारत के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित अन्य लोग भी मौजूद थे.

जस्टिस चंद्रचूड़ देश के प्रगतिशील और उदार जज के तौर पर जाने जाते हैं. उन्हें नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति भी बहुत संवेदनशील माना जाता है. जस्टिस चंद्रचूड़ की सबसे बड़ी विशेषता दुर्व्यवहार करने वालों के प्रति उनका सख्त रवैया माना  जाता है.

जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 50वें CJI बने हैं

11 नवंबर 1959 को जन्में जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. वह 31 अक्टूबर, 2013 से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च, 2000 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे. उन्होंने 1998 से बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त होने तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था. उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था.जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 50वें CJI बने हैं.

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