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यूपी की इस यूनीवर्सिटी के लिए नहीं हैं वित्त उप समिति के कोई मायने

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ. चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर की वित्त उप समिति की बैठक लम्बे समय से नहीं बुलाई गई है. जबकि हर बोर्ड मीटिंग से पहले वित्त उप समिति की बैठक करने का शासनादेश है. इस संदर्भ में वित्त नियंत्रक ने भी सरकार को पत्र लिखा है.

अर्थ नियंत्रक धीरेन्द्र कुमार तिवारी ने चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखे पत्र में कहा है कि विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल की बैठक के पूर्व वित्त उप समिति की बैठक ज़रूर कर लें. इस पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्गत अधिसूचना दिनांक 04-04-1995 के प्रस्तर द के अनुसार ऐसे सभी मामलों में जिनमें वित्तीय उपाशय निहित हैं पहले वित्त उप समिति के सामने विचारार्थ रखे जायेंगे उसके बाद ही उप समिति की संस्तुतियों के साथ प्रबंध मंडल के सामने रखे जायेंगे.

पत्र में कुलपति से कहा गया है कि वह सम्बंधित अधिकारियों को आदेशित करें कि प्रत्येक प्रकरण जिनमें किसी भी प्रकार का वित्तीय उपाशय चाहे वह वेतनमान या फिर यूजीसी वेतनमान के लाभ से सम्बन्धित हो का प्रस्ताव तत्काल अर्थ नियंत्रक के कार्यालय को उपलब्ध कराया जाए जिससे प्रबंध मंडल की अगली बैठक के पूर्व ही वित्त उप समिति के सामने पेश किया जा सके.

अर्थ नियंत्रक ने वित्त उप समिति की बैठक के संदर्भ में कुलपति को इसी महीने में पत्र भेजा है जबकि वित्त उप समिति की बैठक न बुलाना इस विश्वविद्यालय की आदत में शुमार हो चुका है. विश्वविद्यालय के कुलपति को 11 अप्रैल 2004 को विशेष सचिव एम.देशराज ने पत्र लिखकर यह साफ़ तौर पर कहा था कि कृषि विश्विद्यालयों में प्रबंध परिषद की बैठक से पहले वित्त उप समिति की बैठक बुलाना आवश्यक होता है. वित्त उप समिति की बैठक के बगैर प्रबंध परिषद की बैठक बुलाना अनियमितता के तहत आता है. इस पत्र में साफ़ तौर पर निर्देश दिया गया कि वित्त उप समिति की बैठक नियमित तौर पर बुलाई जाए. इस पत्र को लिखे जाने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगी.

इससे पहले 10 अप्रैल 1995 को राज्यपाल के विधि परामर्शी चन्द्र भूषण पाण्डेय ने भी कुलपति को पत्र लिखकर कहा था कि कुलाधिपति ने यह आदेश दिया है कि वित्त उप समिति का गठन किया जाए. इस आदेश में साफ़ तौर पर कहा गया था कि कुलपति की अध्यक्षता में वित्त उप समिति का गठन किया जायेगा. इस समिति में वित्त, कृषि और शिक्षा विभाग के सचिव अथवा सचिव द्वारा नामित संयुक्त सचिव और प्रबंध मंडल के एक गैर सरकारी सदस्य वित्त उप समिति के सदस्य होंगे.

विश्वविद्यालय के सभी वित्तीय मामले इस वित्त उप समिति के सामने विचारार्थ प्रस्तुत किये जायेंगे. वित्त समिति की सिफारिशों को प्रबंध परिषद की बैठक में रखा जायेगा.

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वित्त उप समिति जो सिफारिशें करेगी उस पर प्रबंध परिषद अपने विवेक से फैसला करगी. प्रबंध परिषद जो फैसला लेगी उससे वित्त उप समिति को अवगत करायेगी. वित्त उप समिति की बैठक में कम से कम तीन सदस्यों की मौजूदगी ज़रूरी होगी. वित्त उप समिति की बैठक लखनऊ में ही होगी. बैठक से तीन सप्ताह पहले विचाराधीन मामलों को अनिवार्य रूप से प्रशासनिक एवं वित्त विभाग को उपलब्ध कराना होगा.

वित्त नियंत्रक, विशेष सचिव और राज्यपाल के विधि परामर्शी के आदेश के बावजूद चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में वित्त उप समिति की बैठक बुलाने की ज़रूरत नहीं समझी जा रही है.

इस सम्बन्ध में कृषि एवं कृषि शिक्षा मंत्री सूर्य प्रताप शाही से बात हुई तो उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले भी विश्वविद्यालय के अधिकारियों से उनकी बात हुई है लेकिन इस मुद्दे पर कभी उनका ध्यान आकर्षित नहीं किया गया.

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