न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 3 महीने से कोई स्थायी चीफ सेक्रेटरी नहीं है। जिसको लेकर अब सरकार पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के नौकरशाहों में इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा है कि क्या लखनऊ और दिल्ली दरबार के बीच सहमति न होने के कारण कोई चीफ सेक्रेटरी नियुक्त नहीं किया जा सका।
चीफ सेक्रेटरी के स्थायी न होने से पूरे सूबे की नौकरशाही पर भी असर पड़ रहा है। एपीसी का चार्ज भी चीफ सेक्रेटरी के पास होने से विकास कार्यों में खासी परेशानी आ रही है। कोई समझ नहीं पा रहा कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है?
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यूपी का चीफ सेक्रेटरी नौकरशाही का वह चेहरा माना जाता है, जिसके जिम्मे सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारना होता है। जब आर.के. तिवारी को कार्यवाहक चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था तब भी सवाल उठे थे, लेकिन तब ऐसा लग रहा था कि जल्द ही कोई चीफ सेक्रेटरी बन जाएगा।
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लेकिन महीनों तक यह बात परवान नहीं चढ़ सकी। इसी प्रकार एपीसी का पद भी कई महीनों तक खाली रहा। बड़े नौकरशाहों के प्रति इस तरह का रवैया सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है।
अगस्त में रिटायर हुए थे अनूप चंद्र पांडेय
अनूप चंद्र पांडेय अगस्त में चीफ सेक्रेटरी पद से रिटायर हो गए थे। इसके बाद सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त और 1985 बैच के आईएएस आर.के. तिवारी को कार्यवाहक चीफ सेक्रेटरी बनाया था।
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तब कयास लगाया गया था कि सरकार जल्द ही किसी वरिष्ठ अधिकारी को स्थायी चीफ सेकेटरी बनाएगी, लेकिन अभी तक इस पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं हो सकी है। पिछले तीन महीने से आर.के. तिवारी ही इस पद की कमान संभाले हुए हैं। स्थायी नियुक्ति नहीं होने से सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने लगे हैं।