Sunday - 7 January 2024 - 1:09 PM

Dussehra: इसलिए रावण के थे 10 सिर, हर किसी से मिलती है सीख

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। 8 अक्टूबर को भारत के कोने- कोने में दशहरे का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान राम ने रावण का अंत कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया था।

हर साल दशहरे पर 10 सिर वाले रावण के पुतले को किसलिए जलाया जाता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि रावण के 10 सिर क्यों थे? ये किस बात की सीख देते है? चलिए आज हम आपको बताते है कि रावण के 10 सिर किस बात के प्रतीक हैं।

10 सिर व 20 भुजाओं वाले रावण न केवल राक्षसों का राजा था बल्कि 6 दर्शन व 4 वेदों के ज्ञाता भी थे। वह अपने समय के सबसे विद्वान व्यक्ति थे। रावण को लोग दशग्रीव, दशानन, दश्कंधन, दशानंद के नाम से भी जानते हैं। अपने विद्धान व बुद्धि के कारण लोग रावण दहन से पहले रावण की पूजा कर बच्चें की अच्छी पढ़ाई की भी शुभकामनाएं करते हैं।

पुरानी कथाओं के अनुसार रावण के 10 सिर के बारे में बहुत ही कहानियां प्रचलित हैं। वहीं एक कहानी के अनुसार रावण के 10 सिर 10 तरह की नकारात्मक प्रवृत्तियों जैसे की काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, घृणा, ईर्ष्या, द्वेष व भय का प्रतीक हैं जिनका रावण के साथ अंत हुआ था। आज के समय में रावण के पुतले को जलाने के साथ हर व्यक्ति को खुद के अंदर इन 10 बातों को खत्म कर अच्छा इंसान भी बनने की भी जरुरत हैं।

ये जानना जरुरी है

  • अपने पदनाम, पद या योग्यता को प्यार करते हुए अंहकार को बढ़ावा देना।
  • अपने परिवार व दोस्तों से अधिक प्यार व मोह रखना।
  • पश्चाताप करते हुए अपने आदर्श स्वभाव को प्यार करना।
  • दूसरों को कभी भी पूरा या अच्छा न समझ कर क्रोध या क्रोध के मार्ग पर चलना।
  • अतीत को प्यार करते हुए नफरत व घृणा के मार्ग पर चलना।
  • भविष्य के बारे में चिंतित रह कर डर व भय के मार्ग पर चलना।
  • हर क्षेत्र में नंबर 1 रहने की चाह में सबसे ईर्ष्या करना।
  • उन चीजों से प्यार करना जो आप में लालच को बढ़ावा देती हैं।
  • विपरित लिंग के प्रति अधिक आकर्षित होना।
  • प्रसिद्धि, पैसा व बच्चों से प्यार करते हुए असंवेदनशील होना।
Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com