जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। 6 महीने तक अस्पताल फूल रहे… सैकड़ो लोगों को कोरोना काल में ठीक उपचार नहीं मिल पाया इसलिए उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा। आज सरकार दोबारा कोरोना को हावी होने से रोकने के लिए तमाम जतन में जुटी हुई है, लेकिन यूपी के अस्पतालों में कुछ अलग ही कहानी चल रही है।
ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से सामने आया है। जब यूपी में कोरोना चरम पर था तब जैसे तैसे तीन सौ बेड के अस्पताल का लोकार्पण तो हो गया मगर अब स्वास्थ्य विभाग को सौंपने में अड़चन सामने आयी है।
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जी हां, स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल की बिल्डिंग को सौंपने के लिए जब पत्र भेजा तो राजकीय निर्माण निगम ने पहले छह करोड़ का बकाया भुगतान करने को कह दिया, जिससे विभाग के हाथ- पैर फूल गए है।
जानकारी के मुताबिक अभी इस परिसर में कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन दुविधा इस बात की है कि समय से बिल्डिंग का हस्तांतरण नहीं हुआ तो इस बिल्डिंग का होगा क्या?
तीन सौ बेड के इस अस्पताल का चार साल पहले शुरू हुआ निर्माण कार्य अब पूरा हो चुका है। कोविड एल-1 और एल-2 के मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए आनन- फानन इस अस्पताल संयुक्त कोविड अस्पताल बना दिया गया।
अगस्त में लोकार्पण के वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल के हस्तांतरण का कार्य भी जल्द पूरा करने का निर्देेश दिया था। संक्रमण के चलते हस्तांतरण प्रक्रिया का काम सुस्त रहा। हालांकि अस्पताल में आधुनिक मशीनें लगा दी गईं और इलाज शुरू हो गया।
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अब जब स्वास्थ्य विभाग की ओर से हस्तांतरण की कवायद शुरू हुई तो पेच बकाया भुगतान को लेकर फंस गया है, जिस पर उच्च अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। अफसरों के मुताबिक करीब 6 करोड़ से ज्यादा का बजट बकाया है।
उसके भुगतान के बाद ही हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। हस्तांतरण का मामला अटकने की सूचना स्वास्थ्य विभाग ने डीएम समेत उच्चाधिकारियों को दी है, लेकिन किसी ने अब तक इस मामले को सुलझाने में कोई पहल नहीं की है।
बता दें कि इस अस्पताल के निर्माण को सपा सरकार ने मंजूरी दी थी। उस दौरान 43 करोड़ का बजट मंजूर हुआ था। सिस्टम की सुस्त गति से चल रहे निर्माण के चलते बजट रिवाइज होता रहा और वह 75 करोड़ तक जा पहुंचा। निर्माण निगम ने अस्पताल का निर्माण कार्य कराया है और उसे करीब 70 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है। करीब छह करोड़ का बजट अब भी भुगतान के लिए बकाया है।
मरीजों की माने तो अस्पताल पहुंचने का रास्ता इतना ज्यादा खतरनाक है कि लोगों को ट्रैफिक के बीच से गुजरने को मजबूर है। अस्पताल जाने के लिए एकल रास्ते है, जिसके चलते लोग उल्टा रास्ता अपनाते है, जिससे एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहता है।
इसको लेकर कैंट विधायक और बीजेपी कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने इस बाबत डीएम को पत्र भी लिखा है। पात्र में उन्होंने अस्पताल की सड़क को स्मार्ट सिटी में शामिल करने को कहा है। साथ ही उन्होंने डीएम को उन सभी बिंदुओं से भी अवगत कराया है, जिससे लोगों को संकरे रास्ते का दूसरा विकल मिल सके।
कहां से देंगे 6 करोड़?
बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के पास बजट नहीं कि निर्माण निगम को दे सके। तो क्या बिल्डिंग हैण्ड ओवर नहीं होगी। इस सवाल पर जवाब जानने के लिये केई बार सीएमओ से सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी।
डीजी स्वास्थ्य डी.एस नेगी से जब जुबिली पोस्ट ने इस प्रकरण के बारे में जानकारी मांगी तो उन्होंने साफ शब्दो में कहा कि उन्हें किसी ऐसे मामले की जानकारी नहीं है।
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