Saturday - 13 January 2024 - 2:46 AM

वाकई खतरे में हैं यूपी के पत्रकार, हालात तो यही कह रहे

न्यूज डेस्क

यूपी पुलिस और आला अफसरों का नया शगल है  पत्रकारों का उत्पीड़न । मनमाफिक खबर न छापे तो सीधे मुकदमा । किसी घोटाले की खबर से हकीम नाराज हुए तो गिरफ़्तारी । यूपी का माहौल कुछ ऐसा ही हो चला है । शासन के इस रवैये के खिलाफ अब पत्रकार संगठन मुखर होने लगे हैं ।

पत्रकारों कि सुरक्षा के लिए चिंतित रहने वाली सरकार भी आईटी तरह के मामलों पर चुप्पी साधे रहती है , जिससे अफसरशाही का मनोबल और भी बढ़ रहा है ।

जून के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली से एक पत्रकार को गिरफ्तार किया था जिसके बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। पत्रकार को इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि उसने सोशल मीडिया पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी की थी। एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकारों पर कार्रवाई को लेकर चर्चा में है। इस बार पत्रकारों पर कार्रवाई खबर छापने को लेकर हुई है।

कुछ दिनों पहले मिर्जापुर के एक सरकारी स्कूल का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें बच्चे नमक रोटी खाते दिख रहे थे। यह वीडियो जिस पत्रकार ने बनाया था उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गया। एफआईआर क्यों दर्ज हुआ के सवाल पर मिर्जापुर के डीएम ने बहुत ही अव्यवहारिक जवाब दिया। मामला यहीं नहीं रुका। इसके अलावा छह और पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ है, जिसमें एक पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया है।

आजमगढ़ जिले में सरकारी स्कूल के अंदर बच्चों के झाड़ू लगाने का वीडियो बनाने वाले एक पत्रकार को पुलिस ने मामला दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया है। वहीं सरकारी नल से एक दलित परिवार को पानी भरने से दबंगों द्वारा कथित तौर पर रोके जाने के चलते उनके पलायन करने की खबर छापने के बाद पांच पत्रकारों के खिलाफ दर्ज कर लिया गया है।

बच्चों द्वारा झाड़ू लगाने की फोटो खींचने वाले पत्रकार के साथी पत्रकार सुधीर सिंह ने आरोप लगाया है कि पत्रकार को सरकारी काम में बाधा डालने और रंगदारी मांगने के झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि स्थानीय पत्रकार संतोष जायसवाल को पिछले शुक्रवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्होंने स्कूल में बच्चों के झाड़ू लगाने की फोटो खींच ली थी और स्कूल प्रशासन के ‘अवैध कृत्य’  की जानकारी देने के लिए पुलिस को फोन किया था।
सुधीर ने अन्य पत्रकारों के साथ जिलाधिकारी एनपी सिंह से मुलाकात की और उन्हें अवैध गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी।

इस मामले में जिलाधिकारी एनपी सिंह ने कहा, ‘पत्रकारों के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा। हम मामले को देखेंगे.Ó उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

सुधीर सिंह ने बताया कि संतोष के फोन करने पर पुलिस स्कूल पहुंची और जायसवाल व उदयपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक राधे श्याम यादव को थाने ले गई। सुधीर ने बताया कि फूलपुर थाने में प्रधानाध्यापक ने संतोष के खिलाफ तहरीर दी जिसके आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

छह सितंबर को पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी संख्या 237 दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जायसवाल अक्सर स्कूल आते थे और पुरुष एवं महिला शिक्षकों से तथा छात्रों से बदसुलूकी करते थे और अपना अखबार सब्सक्राइब करने को कहते थे।

यादव ने प्राथमिकी में आरोप लगाया कि घटना के दिन जायसवाल स्कूल आए और बच्चों को झाड़ू लगाने को कहा ताकि इसका फोटो खींचा जा सके। यादव ने आरोप लगाया कि उन्होंने इस कृत्य का विरोध किया तो जायसवाल स्कूल परिसर से चले गए, लेकिन उनकी गाड़ी वहीं थी और बाद में उन्होंने उनसे धन मांगा।

सुधीर सिंह ने पत्रकार के खिलाफ आरोपों का खंडन किया और कहा कि यह सब साजिश के तहत किया गया है। स्थानीय पुलिस उनके पीछे पड़ी थी।

उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि संतोष जायसवाल ने गत 19 मई को यूपी पुलिस के ट्विटर हैंडल पर फूलपुर के कोतवाल शिवशंकर सिंह की बिना नम्बर की और काली फिल्म लगी कार की फोटो पोस्ट की थी। इसके बाद पुलिस ने ट्वीट किया कि यह फोटो दो माह पहले की है जब वाहन खरीदा गया गया था। अब नम्बर प्लेट भी लग गई है, जबकि कुछ ही देर बाद एक अन्य युवक ने ट्वीट कर दावा किया कि कोतवाल ने जो रजिस्ट्रेशन नम्बर दिया है वह कार का नहीं बल्कि मोटरसाइकिल का है।

संतोष ने फूलपुर कोतवाल के इस कारनामे की खबर छाप दी। तभी से ही कोतवाल उनके पीछे पड़े थे और साजिश के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया गया। पत्रकार के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर प्रदेश के पत्रकार संगठनों ने सवाल उठाया।

लखनऊ मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने आज पत्रकारों पर हो रही बर्बरता के मामले में योगी सरकार के मंत्रियों और प्रवक्ताओं के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया। इसके पहले सात सितंबर को भी उन्होंने इस मामले में ट्वीट किया था और लिखा था, ‘यूपी पुलिस पत्रकारों के खिलाफ दादागिरी पर उतर गई है। मामले को उत्तर प्रदेश के गृह मंत्रालय और यूपी डीजीपी के संज्ञान में लाते हुए उन्होंने कहा, पवन के बाद अब आजमगढ़ पुलिस ने खबर छापने से नाराज होकर पत्रकार संतोष जायसवाल को जेल भेज दिया। उन्होंने इंस्पेक्टर फूलपुर के अवैध स्कॉर्पियो गाड़ी रखने की छबर छापी थी।’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आजमगढ़ पुलिस ने ट्वीट किया, ‘उक्त प्रकरण में अभियुक्त संतोष कुमार जायसवाल द्वारा शिक्षकों व बच्चों के साथ अभद्र व्यवहार करने, गाली गुप्ता देने तथा धमकी देने के संबंध में वादी श्री राधेश्याम यादव प्रधानाचार्य द्वारा थाना फूलपुर पर अभियोग पंजीकृत कराया गया है।’

इसके अलावा सरकारी नल से एक दलित परिवार को पानी भरने से दबंगों द्वारा कथित तौर पर रोके जाने के चलते उनके पलायन करने की खबर छापने के बाद पांच पत्रकारों के खिलाफ दर्ज किया गया मामला जिला प्रशासन ने वापस लेने का आश्वासन दिया है।

हालांकि, पत्रकारों ने एक संघर्ष समिति का गठन कर शनिवार को जिला प्रशासन से बात की। पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने पर समिति के विरोध दर्ज कराने पर जिला प्रशासन ने उन्हें मामला वापस लेने का आश्वासन दिया।

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