Saturday - 6 January 2024 - 8:39 AM

रामविलास पासवान पर पहली पत्नी को लेकर क्या तोहमत लगा था?

जुबिली न्यूज डेस्क

मौके की पहचान, जोड़तोड़ एवं दोस्तों-दुश्मनों को बदलने की कला में माहिर रामविलास पासवान कभी अपनी राजनीति की वजह से, तो कभी अपने सूट-बूट की वजह से तो कभी अपने परिवार की वजह से अक्सर चर्चा में बने ही रहते थे।

पासवान की राजनीति के साथ-साथ उनके परिवार की भी ख़ूब चर्चा होती रही है। उन्होंने दो शादियां कीं। उनकी पहली पत्नी ग्रामीण पृष्ठभूमि की थीं। ऐसा कहा जाता है कि इसलिए उन्होंने उन्हें गांव में बेसहारा छोड़ दिया था।

यह तोहमत उन पर हमेशा लगता रहा है कि उन्होंने पहली पत्नी को छोड़ दिया था। पहली पत्नी से पासवान की दो बेटियां हैं।

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रामविलास पासवान अपनी बेटी आशा पासवान के साथ।

लेकिन पासवान ने नामांकन पत्र भरते समय जो जानकारी दी उसके अनुसार उन्होंने पहली पत्नी राजकुमारी देवी को 1981 में तलाक दे दिया।

कुछ साल बाद पासवान ने दूसरा विवाह किया वह भी अंतरजातीय। उनकी दूसरी पत्नी रीना शर्मा एयरहोस्टेस थीं। चिराग पासवान के अलावा दूसरी पत्नी से उन्हें एक और बेटी हुई।

सियासी गलियारे से लेकर मीडिया में रामविलास पासवान की पत्नियों की चर्चा हमेशा होती रही थी और ये भी कहा गया कि इसे लेकर विवाद भी हुआ।

राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुशील वर्मा कहते हैं, पासवान को लेकर एक विवाद हमेशा रहा कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को बेसहारा छोड़ दिया था, लेकिन हमने करीब से देखा है कि पासवान का अपने भाइयों और सगे- संबंधियों से बहुत लगाव था। भाइयों में तो इतना प्रेम था कि लगता था कि सब एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। इसलिए ऐसा लगता ही नहीं था कि घर में इसे लेकर कोई विवाद हुआ हो।.”

रामविलास पासवान के राजनीतिक जीवन के शुरुआत से लेकर अंत तक परिवारवाद का सवाल इनका पीछा करता रहा और उन्होंने कभी भी इस आलोचना से मुक्त होने की कोशिश भी नहीं की।

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परिवारवाद के सवाल पर अक्सर वह कहते थे, “हम जिसपर भरोसा करते हैं, उनको हम आगे लाते हैं और क्या इस पर कोई प्रतिबंध है? हमारा समाज पिछड़ा है और उसमें अगर कोई काम कर सकता है तो हम उसका उपयोग करते हैं।”

परिवार प्रेम राजनीति पर रही हावी

रामविलास पासवान पर परिवार के प्रति प्रेम उनकी राजनीति पर भी हावी रहा। इसकी एक बानगी मिलती है 2019 के लोकसभा चुनाव से।

उनकी पार्टी ने जिन छह सीटों से चुनाव लड़ा उनमें तीन पासवान के रिश्तेदार थे। उनका बेटा चिराग पासवान और उनके दो भाई पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान। ये तीनों लोग चुनाव जीते थे। फिर रामविलास पासवान भी राज्यसभा पहुंच गए और इस तरह संसद में सबसे बड़ा कोई परिवार था तो राम विलास पासवान का परिवार था।

हालांकि रामचंद्र पासवान का चुनाव परिणाम आने के दो महीने बाद ही बीमारी से निधन हो गया। बताया जाता है रामविलास पासवान छोटे भाई की मृत्यु से बहुत आहत हुए थे।

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पासवान का परिवार के प्रति प्रेम ऐसे भी देखा जा सकता है कि उन्होंने अपने बेटे चिराग को पार्टी का अध्यक्ष बना रखा है तो भाई के बेटे प्रिंस राज को बिहार में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष।

पासवान पर लगे परिवारवाद के आरोप पर वरिष्ठï पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते हैं कि यह समस्या उन सभी पार्टियों में है, जहां ना विचारधारा है ना संगठन और रामविलास पासवान जिन भी पार्टियों में रहे उन सभी में ना संगठन बनाने पर ध्यान दिया गया और ना विचारधारा को बढ़ाने पर।

साथ में वह यह भी कहते हैं, “इसके लिए पासवान को दोष देना ठीक नहीं। दरअसल परिवार के अलावा दूसरे पर भरोसा करना आज की तारीख़ में संभव नहीं है। संगठन से ज़्यादा ये परिवार का भेद खुलने वाला मसला भी रहता है, जिससे लोग चाहते हैं कि बात घर में ही रहे।”

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