Tuesday - 9 January 2024 - 9:13 PM

इस मामले में वोडाफोन के पक्ष में आया फैसला, सरकार को झटका

जुबिली न्यूज़ डेस्क

भारत सरकार और टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर वोडाफोन के बीच कर विवाद मामलें में सरकार को तगड़ा झटका लगा है। हेग की मध्यस्थता अदालत ने आयकर विभाग की 20,000 करोड़ रुपये की कर मांग के खिलाफ वोडाफोन समूह की याचिका के पक्ष में फैसला सुनाया है। साथ ही इस कानूनी लड़ाई के लिए सरकार को कंपनी को 54.7 लाख डॉलर का भुगतान करना पड़ेगा।

मध्यस्थता समिति की तरफ से जारी किये गये आदेश में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय में कर की मांग को खारिज किए जाने के बाद भी वोडाफोन से कर की मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत निष्पक्ष व्यवहार के खिलाफ है और यह समझौते की धारा 4 (1) का उल्लंघन है।

दरअसल, वोडाफोन ने 2007 में हचिसन व्हैमपोआ के भारत में मोबाइल कारोबार का अधिग्रहण कराया था। इसके बाद से ही पूरे विवाद की शुरुआत हुई है। इस मामले में सरकार का कहना था कि वोडाफोन को इसके लिए कर चुकाना होगा लेकिन कंपनी ने इसका विरोध किया।

अप्रैल 2014 अंतरराष्ट्रीय पंचाट में शुरू हुई कार्यवाही

साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन उसी साल सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया। इससे सरकार को पहले हो चुकी डील पर करार लगाने का अधिकार मिल गया। इसके बाद अप्रैल 2014 में इस मामले की कार्यवाही अंतरराष्ट्रीय पंचाट में शुरू की।

क्या कहना है सरकार का

इस मामले में वित्त मंत्रालय की और से कहा गया कि सरकार फैसले के सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी। साथ ही वकीलों से परामर्श के बाद सरकार हर विकल्पों पर विचार करेगी। इसके बाद उचित मंच पर कानूनी उपाय सहित अन्य कदम उठाने का निर्णय लेगी।

सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, ‘सरकार पंचाट के आदेश का अध्ययन कर रही है और जल्द ही अपने विचार साझा करेगी। विदेशी पंचाट के निर्णय का संचालन भारतीय मध्यस्थता अधिनियम के तहत होता है और सरकार इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं है।’

उन्होंने कहा कि कर संबंधी विवाद भारत-नीदरलैंड के द्विपक्षीय निवेश संवर्धन करार के दायरे में नहीं आता है। और पंचाट ने जो निर्णय दिया है वो भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत आता है। इसका विरोध सरकार ने किया था और कहा था कि इसे विदेश के न्यायिक क्षेत्र में कर संधि के तहत किया जाना चाहिए।

जबकि वोडाफोन कर संधि के तहत फिर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकती है। उन्होंने कहा कि वोडाफोन ने कर विभाग को कोई भुगतान नहीं किया है। ऐसे में रिफंड का सवाल ही नहीं है।

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