Sunday - 7 January 2024 - 6:24 AM

NIA अफसर तंजील अहमद के हत्यारों को फांसी की सजा

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. एनआईए अफसर तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या में नामज़द गैंगस्टर मुनीर और रेहान को बिजनौर के अपर जिला जज डॉ. विजय कुमार ने दोषी साबित होने के बाद फांसी की सज़ा सुनाई है. एनआईए के डिप्टी एसपी ततंजील अहमद तेज़ तर्रार अफसर माने जाते थे. अवह अपने गाँव साहसपुर कब आते और कब चले जाते इसकी किसी को कानोकान खबर नहीं होती थी लेकिन दो अप्रैल 2016 को वह अपनी भांजी की शादी में आये थे. शादी के बारे में सबको जानकारी थी कि वह ज़रूर आएंगे. इन अपराधियों ने लगातार रेकी की और शादी से वापस लौटते वक्त उनकी कार रुकवाकर उन्हें और उनकी पत्नी को मार डाला.

बिजनौर में हुई एनआईए अफसर की हत्या के बाद देश भर में बवाल हुआ था और यह मानकर जांच आगे बड़ी थी कि उन्हें आतंकियों ने निशाना बनाया है लेकिन जांच आगे बढ़ी तो यह बात सामने आयी कि सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद में उनकी हत्या की गई है. जिस वक्त तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या हुई थी उस वक्त उनकी दोनों बच्चियां आठ साल की शहबाज़ और 10 साल की जिमनिस भी उनके साथ थीं लेकिन गोलियां चलते देखकर दोनों बच्चियां इतनी डर गईं कि उन्होंने सीट के नीचे छुपकर अपनी जान बचाई.

इस हत्याकांड की जांच में पता चला कि इस डबल मर्डर को अंजाम देने वाला तंजील अहमद के पड़ोस में ही रहने वाला था. उसने अपने चार साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या की थी लेकिन अदालत ने साक्ष्य के अभाव में जेनी, रिजवान और तंजीम को बरी कर दिया. इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले मुनीर पर बैंक से 91 लाख रुपये की लूट समेत कई दुस्साहसिक मामले दर्ज हैं. 36 आपराधिक मामलों को अंजाम देने वाला मुनीर काफी दिनों से तंजील अहमद की हत्या की फिराक में था लेकिन क्योंकि अपने पैतृक गाँव साहसपुर आने का उनका कार्यक्रम इतना गोपनीय होता था कि उसे उनके आने किन भनक भी नहीं लग पाती थी. वह जब अपने गाँव आटे भी थे तो चार-पांच घंटे से ज्यादा नहीं टिकते थे. इसे वजह से जब तक उनके आने की सूचना मिलती वह वापस जा चुके होते थे.

दो अप्रैल 2016 को अपनी भांजी की शादी से वापस लौटते वक्त जब तंजील अहमद की हत्या की गई तब हत्यारों को यह अंदेशा था कि उनका गनर तो साथ होगा ही साथ में पुलिस की सुरक्षा भी हो सकती है. यही वजह है कि हत्यारे अपने साथ बड़ी मात्रा में गोला बारूद लेकर आये थे. छह साल तक चली पड़ताल के बाद अदालत ने हत्यारों को फांसी की सज़ा सुनाई. सज़ा के बाद दोनों हत्यारों को कड़ी सुरक्षा के बीच वापस सोनभद्र जेल भेज दिया गया.

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