Friday - 12 January 2024 - 7:09 PM

सिंधिया के इस्तीफे से सबक लेगी कांग्रेस?

न्यूज डेस्क

आखिर क्या कारण है कि नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है। कांग्रेस दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है, जबकि कांग्रेस में एक से एक धुरंधर नेता मौजूद है। केंद्र हो या राज्य, कांग्रेस की स्थिति हर जगह डामाडोल है। फिर ऐसी क्या वजह से कि नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है।

पिछले एक सप्ताह से मध्य प्रदेश में सियासी संकट बना हुआ था, लेकिन मंगलवार को एमपी के सियासत में भूचाल आ गया था। वरिष्ठ  नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर के माध्यम से कांग्रेस से इस्तीफा देने का ऐलान किया। उनके इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही मध्य प्रदेश में इस्तीफो का दौर शुरु हो गया।

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में बिखराव इधर शुरु हुआ है। मध्य प्रदेश कांग्रेस में नेताओं का पार्टी छोड़ने  का सिलसिला साल 2014 के चुनाव में मिली हार के बाद से शुरु हो गया था। करीब आधा दर्जन से अधिक पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन पूर्व मुख्यमंत्री, कई प्रदेशाध्यक्ष पार्टी का कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं।

फिलहाल सिंधिया के पार्टी छोड़ने  के बाद से कांग्रेस की पतवारविहीन स्थिति एक बार फिर उजागर हो गई है। एक बार फिर युवा बनाम बुर्जुग नेता की चर्चा तेज हो गई है।

कांग्रेस छोडऩे वाले सिंधिया अकेले नेता नहीं हैं। हिंदी पट्टी के कम से कम तीन और ऐसे नेता हैं जो पार्टी नेतृत्व से नाखुश चल रहे हैं। ये सभी कांग्रेस से बाहर अपने लिए अवसर की तलाश में हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक पार्टी सूत्रों ने बताया कि पिछले छह वर्षों में कई असफलताओं के बावजूद पार्टी नेतृत्व के ढुलमुल रवैये ने नेताओं में निराशा को बढ़ाया है, और कई युवा नेताओं को अधीर कर दिया है। कई राज्यों में नेतृत्व के नाम पर शून्य की स्थिति बन गई है।

एक युवा कांग्रेसी नेता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी जाग जाएगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो कुछ भी नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी को यह महसूस होना चाहिए कि वह क्या करना चाहती हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण समय हैं, लेकिन मुझे संदेह हैं कि कुछ भी बदलेगा।

कांग्रेस में बिखराव की वजह पर वरिष्ठ पत्रकार सुशील वर्मा कहते हैं, नेतृत्व के अभाव में कांग्रेस बिखर रही है। पुराने नेता, युवाओं के लिए रास्ता छोडऩा नहीं चाह रहे हैं और काम कुछ कर नहीं रहे हैैं। उन्हें न कार्यकर्ताओं से मतलब है और न ही पार्टी की स्थिति सुधारने में कोई दिलचस्पी। जनता से उनका कोई सरोकार नहीं है। वह सिर्फ कांग्रेस हाईकमान के सामने हाजिरी लगाकर अपना हित साधने में लगे हुए हैं।

वह कहते हैं मध्य प्रदेश में मंगलवार को जो हुआ उसका अंदेशा पहले से था। ऐसी कुछ अनहोनी नहीं हुई है। सिंधिया की नाराजगी से पार्टी हाईकमान वाकिफ थी, बावजूद इसके उनकी नाराजगी दूर करने के बजाए उन्हें पीछे धकेलती गई। जबकि उन्हें बखूबी पता था कि मध्य प्रदेश में सिंधिया की मेहनत की वजह से ही कांग्रेस सत्ता में आ पाई। ऐसे में तो कांग्रेस को गर्त में जाना ही है।

किन नेताओं ने छोड़ा कांग्रेस का दामन

2014 के बाद से कांग्रेस से तीन पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड से विजय बहुगुणा, छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी और ओडिशा से गिरधर गमांग पार्टी छोड़ चुके हैं। जिन पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने पार्टी छोड़ी है उनमें तमिलनाडु से जीके वासन, आंध्र प्रदेश से किशोर चंद्र देव, तमिलनाडु से जयंति नटराजन, कर्नाटक से एसएम कृष्णा, यूपी से बेनी प्रसाद, ओडिशा से श्रीकांत जेना और गुजरात से शंकर सिंह वाघेला के नाम शामिल हैं।

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