Wednesday - 10 January 2024 - 8:48 AM

कांग्रेसियों को बार-बार क्‍यों मांगनी पड़ती है माफी

न्‍यूज डेस्‍क

देश के सियासी समुद्र में मोदी सुमानी के आने के बाद कांग्रेस की स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है। कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी पार्टी को दोबार खड़ा करने के बजाए अपनी जिम्‍मेदारियों से बचते हुए इस्‍तीफे पर अड़े हुए हैं और पार्टी के दूसरे बड़े नेता लगातार अपने विवादित बयानों को जरिए मोदी के तरकश में एक से बढ़ कर एक सियासी तीर डालते जा रहे हैं।

पीएम मोदी जो दूसरे के आरोपों और गालियों को अपना हथियार बनाने में माहिर खिलाड़ी हैं इन तीरों का प्रयोग सही समय पर करते रहते हैं ऐसा हमें 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में देखने को भी मिला, जब उन्‍होंने कांग्रेस नेता आरिफ मोहम्मद खान के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि ‘मुसलमानों को गटर में रहने दो।’

‘मुसलमानों को गटर में रहने दो’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता का नाम लिये बगैर ‘मुसलमानों को गटर में रहने दो’ बयान का ज़िक्र किया, तो ये सवाल उठ खड़ा हुआ कि आखिर वो कांग्रेस नेता कौन था, जिसने ऐसा कहा था। इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया में चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है और ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता आरिफ मोहम्मद खान इस बयान को लेकर बात करते दिखाई दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य से पहले तीन तलाक का मुद्दा भी सुर्खियों में रहा है और पहली बार ये मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आया था, जब 80 के दशक में शाह बानो मुकदमा सुर्खियों में था। तब तीन तलाक प्रथा को खत्म करने की ज़बरदस्त पैरवी करते हुए एक केंद्रीय मंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सीधे लोहा लिया था। यहां तक कि मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था। ये नेता थे आरिफ मोहम्मद खान। उन्होंने मुसलमानों की प्रगतिशीलता की वकालत की थी, हालांकि अब खान सक्रिय राजनीति से दूर हैं।

लेकिन खान के बाद कई कांग्रेसी नेता समय-समय अपने विवादित बयानों के वजह से मोदी और बीजेपी नेताओं के निशाने पर रहे हैं। आईये ऐसे ही कुछ नेता और उनके बयानों के बारें चर्चा करें, जिनके विवादित बयानों को मोदी ने अपना हथियार बनाया।

अधीर रंजन चौधरी

पश्चिम बंगाल से ताल्‍लुक रखने वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेल्समैन बता डाला। इसके बाद उन्होंने गंदी नाली का जिक्र कर पीएम मोदी को निशाना बनाया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी खराब हिंदी का हवाला देते हुए माफी मांग ली। सफाई देते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘एक भाजपा सांसद ने प्रधानमंत्री की तुलना स्वामी विवेकानंद से की थी क्योंकि दोनों के नाम में समानता है और दोनों को एक जैसा बताया था। इससे बंगाल की भावनाएं आहत हुईं। इसीलिया मैंने कहा कि आप मुझे उकसा रहे हैं। यदि आप यह सब जारी रखेंगे तो मैं कहूंगा कि आप गंगा की तुलना गंधी नाली से कर रहे हैं।  उन्‍होंने कहा कि मेरी हिंदी अच्छी नहीं है, नाली से मेरा मतलब चैनल से था।’ इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी की तरफ से मणिशंकर अय्यर और सैम पित्रोदा को आपत्तिजनक बयान देकर हिंदी ठीक से ना बोल पाने का कारण देकर माफी मांगनी पड़ी है।

मणिशंकर अय्यर

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कह दिया था, जिसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव हार कर चुकाना पड़ा था। मणिशंकर अय्यर ने एक इंटरव्यू के दौरान नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था, “ये आदमी बहुत नीच किस्म का है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?”  हालांकि, अय्यर ने सफाई देते हुए कहा था कि मैं हिन्दी भाषी नहीं हूं, मैं अपने मन में पहले अंग्रेजी से हिंन्दी में ट्रांसलेट करता हूं। मैंने अपने मन में ‘THIS LOW PERSON’ का अनुवाद किया। अगर नीच का अर्थ कुछ और है तो मैं माफी मांगता हूं। मेरे साथ ये पहली बार नहीं हुआ, पहले भी ऐसे हो चुका है।

चुनाव के दौरान मोदी ने एक जनसभा अय्यर के बयान का जवाब देते हुए कहा था कि सोनिया गांधी और उनके परिजनों ने भी इस शब्द का इस्तेमाल किया है। मैं नीच इसलिए हूँ, क्योंकि मैं ग़रीब पैदा हुआ था, क्योंकि मैं नीची जाति का हूँ और क्योंकि मैं एक गुजराती हूँ। क्या इसलिए वे मुझसे नफ़रत करते हैं?”

सैम पित्रोदा

लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा के ‘हुआ तो हुआ’ बयान ने 84 के सिख दंगों को फिर से केंद्र में ला दिया, जिसके बाद कांग्रेस को चुनाव में इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। दरअसल, पित्रोदा ने कहा था, ”अब क्या है 84 का? आपने (नरेंद्र मोदी) पांच साल में क्या किया, उसकी बात कीजिए। 84 में जो हुआ, वो हुआ।” हालांकि उन्‍होंने सिख दंगों को लेकर दिए गए बयान पर विवाद बढ़ने के बाद माफी मांग ली। उन्होंने कहा था कि मैंने जो बयान दिया, उसे पूरी तरीके से तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। मेरी हिंदी अच्छी नहीं है, इसे दूसरे संदर्भ में लिया गया।

सोनिया गांधी

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था। उस वक्त मोदी गुजरात के सीएम थे, जिसके बाद सोनिया की काफी आलोचना भी हुई थी और चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था।

राहुल गांधी

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राफेल मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर चोरी का गंभीर आरोप लगाया और पूरे चुनाव के दौरान अपने चुनाव भाषणों में ‘पीएम मोदी चोरी है’ और ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगवाया, जिसके बाद मोदी ने ‘मैं भी चौकीदार हूं’ कैंपेन चलाकर जनता को अपने पक्ष में कर लिया।

दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी महिलाओं पर कई बार विवादित बयान दिए। एक पार्टी कार्यक्रम में उन्होंने जयंती नटराजन को ‘टंच माल’ कह दिया था। दिग्गी ने एक बार राखी सावंत पर टिप्पणी करते हुए कहा था अरविंद केजरीवाल और राखी सावंत जितना एक्सपोज करने का वादा करते हैं उतना करते नहीं हैं। उनके इस बयान पर राखी ने उन्हें ‘सठिया गए हैं’ कहकर झिड़का था।

श्रीप्रकाश जायसवाल

बीजेपी नेता ने एक बार बयान दिया था कि, नई शादी का मजा ही कुछ और होता है और ये तो सब जानते हैं कि पुरानी बीवी में वो मजा नहीं रहता। इसके अलावा कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नरेंद्र मोदी की तुलना भस्मासुर से कर दी थी। वहीं, पूर्व कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद बर्मा ने उन्हें पागल कुत्ता कहा था, तो ग़ुलाम नबी आज़ाद ने उन्हें गंगू तेली कहा था। इसके अलावा सहारनपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले इमराम मसूद ने कहा था कि वे मोदी को टुकड़ों में काट देंगे। जबकि रेणुका चौधरी ने उन्हें वायरस कहा था।

बीजेपी नेता भी देते हैं विवादित बयान 

इन सब बयानों को लेकर कई बार कांग्रेस नेताओं को माफनी मांगनी पड़ी है। इसके अलावा अलग-अलग मौकों पर बीजेपी नेता और खास कर पीएम नरेंद्र मोदी ने विवादित बयानों को अपना चुनावी हथियार बनाकर जनता के दिल में जगह बनाई है। हालांकि ऐसा नहीं है कि विवादित बयान केवल कांग्रेस के नेता ही देते हैं कई बार बीजेपी के नेता भी विवादित बयान दिए हैं लेकिन वे कभी अपने बयानों के लिए न तो माफी मंगाते है और न ही बैकफुट पर जाते हैं। वरिष्‍ठ पत्रकार ओम दत्‍त की माने तो कांग्रेस नेताओं के बार-बार माफी मांगने से जनता के बीच में नकारात्‍मक संदेश जाता है, जिससे पार्टी और पार्टी के नेताओं की छवि धूमिल होती है।

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