सीमा रहमान
जहां एक तरह होली के आगमन की तैयारी है खुशनुमा मौसम है, तो दूसरी ओर हमारे बच्चे exams को लेकर चिंतित हैं। हम अपने आस पास exams से जुड़े तनाव के विषय में बहुत सारी बाते सुन रहे हैं। उस तनाव को दूर करने के लिए लोग तरह-तरह के सुझाव भी दे रहे हैं। किस तरह परीक्षा की तैयारी करें, कितना आराम करें, कैसे थोडा समय मनोरंजन के लिए निकाले और तो और भोजन किस तरह का करें।
तनाव को लेकर उठने वाले सवाल और सुझाव
इस तरह के सुझाव क्या सब पर लागू किए जा सकते हैं ? क्या ये सुझाव सही मायने में बच्चो के लिये सहायक है ? हम चीजों को बहुत साधारण तो नहीं कर रहें ? क्यों होता है परीक्षा से कुछ समय पहले ये तनाव, क्या कारण हो सकते हैं? क्या उनको पूरी तरह दूर किया जा सकता है या थोडा तनाव अच्छी परफॉरमेंस देने में हमारी मदद भी करता है, वो समस्या तब बन जाता है जब हम उसके कारण इतने चिंतित हो जाते है कि सामान्य रूप से कुछ भी करने में खुद को सक्षम नहीं पाते हैं।
Exam से पहले बच्चे जो तनाव अनुभव करते हैं उनके पीछे कारण अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे किसी को माता पिता कि अपेक्षा पर खरा उतरना है तो कोई अपने आने वाले कॉलेज के एडमिशन को लेकर चिंतित है। किसी को ये भी चिंता हो सकती है कि मेरे नंबर भाई या बहन से कम ना हो । जब चिंता के कारण अलग होते हैं तो उसे दूर करने के सुझाव कॉमन कैसे होंगे, शायद कुछ व्यक्तिगत अंतर भी हो सकते हैं। यही कारण है की हम हर वर्ष बहुत सारे सुझाव तो सुनते हैं पर वो कुछ बच्चों के ही काम आते हैं।
बच्चों के लिये तैयार करें ऐसा माहौल
अक्सर परीक्षा के दौरान या परिणाम आने के बाद हमें बहुत सारी दुखद घटनाएं देखने और सुनने को मिलती हैं। हमें इस समस्या को थोड़ा पहले ही हल करने कि कोशिश करनी होगी। बच्चों को कुछ लाइफ स्किल्स सिखाने कि जरूरत है। उनको अपनी भावनाओं के विषय में बात करना सिखाना होगा। अध्यापकों और अभिभावकों को एक ऐसा वातावरण घर और विद्यालय में बनाना होगा जहां बच्चे बिना किसी झिझक के खुल कर अपने मन कि बात करें।
अगर उन के मन में कोई उलझन हैं तो वो उनके बारे में बात कर सकें। अगर वो कोई नाकारात्मक भावना महसूस कर रहे हैं तो उसे किसी के साथ शेयर कर सकें। हम उसको नकारे नहीं बल्कि शांति से उनकी बात सुने और उनके मन-मस्तिष्क में क्या चल रहा है उसे समझने कि कोशिश करें। थोड़ा तनाव हमें अच्छी प्रदर्शन और ध्यान केन्द्रित रखने के लिये जरूरी भी है पर यह तनाव इतना ना बढ़ जाये कि हम सामान्य रूप से काम करने में असमर्थ हो जाये।
तनाव किस समय पर ज्यादा होता है
परीक्षा के कुछ दिनों पहले थोड़ा तनाव होना स्वाभाविक है। अक्सर ये तनाव उस समय शुरु होता है जब हम अपनी परीक्षा की तैयारियां शुरू करते हैं और अचानक हमें लगता है की बहुत ज़्यादा कोर्स है और हमें बहुत कुछ पढ़ना है ।
कई बार हमारे बच्चे ये सोच कर भी चिंतित रहते हैं की पेपर कैसा आयेगा, क्या मैं ठीक समय पर सारे प्रश्नों के उत्तर लिख सकती हूं या समय कम पड़ जायेगा, यदि मैं सब कुछ सही समय पर कर भी लेती हूं तो क्या मुझे उतने प्रतिशत नंबर मिल पायेंगे जितने मेरे अभिभावक या शिक्षक मुझ से आकांशा रखते हैं। क्या मैं उनकि अपेक्षा पर पूरी उतर पाऊंगी? अक्सर ये सारी चिंता काल्पनिक ज्यादा होती है यथार्थ कम।
तनाव दूर करने में अभिभावकों की भूमिका
इन सारी चिंताओं को सहजता से स्वीकार करने में अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। वो अपने बच्चों को अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं ना कि दूसरें बच्चों से उनकी तुलना करें जो कि कई बार तनाव का मुख्य कारण बन जाता है।
इसके साथ ही हम बच्चों को ये भी विश्वास दिलायें कि हम में से कोई भी परफेक्ट नहीं है और इसमें कोई बुराई नहीं है। हम तनाव महसूस कर रहे हैं ये स्वीकार करने में भी कोई बुराई नहीं है। हम अक्सर संकोच करते हैं कि शायद हम ही ऐसा महसूस कर रहे हैं और ये सही नहीं है। इस कारण हम इस भावना को दबा देते हैं या खुद ही इस समस्या से निपटने कि कोशिश करते हैं जो कई बार समस्या को और गम्भीर बना देता है।
तनाव होने पर क्या करें
जब भी हम तनाव महसूस करते हैं तो हम स्वयं को नकारात्मक संदेश देते हैं। जैसे “मैं ये नहीं कर सकती”, “मैं किसी काम को अच्छी तरह नहीं कर सकती”, “मैं परीक्षा मे सफल नहीं हो सकती”। इसकी जगह अगर हम खुद को सकारात्मक संदेश दें और अपने मन में सकारात्मक विचार लाए तो इस समस्या से बहुत हद तक छुटकारा पाना संभव है। ये थोडा कठिन ज़रूर है पर असम्भव नहीं है। थोड़े प्रयास कि ज़रुरत है, जैसे हम खुद से बार- बार कहें कि “मैं ऐसा तनाव के कारण महसूस कर रही हूं ये मुझे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकती या “रिलैक्स करो “सब ठीक होगा”।
ये कल्पना करना कि आप कैसे अपने exam के दिन चीजों को करना चाहते हैं। सामान्य रहते हुए कैसे आप अपना बेस्ट करेंगे ये आपके अंदर आत्मविश्वास को बढ़ा देगा।
बच्चों में तनाव के मुख्य कारण
कभी-कभी ऐसा लगता है कि आप का पूरा भविष्य एक परीक्षा और उसमें आए नंबरों पर टिका हुआ है और इसलिए उस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने का बहुत दबाव रहता है। बच्चों के लिए हम अपना एक लक्ष्य बना लेते हैं कि इतने प्रतिशत नंबर लाने हैं या ये ग्रेड लेना है। कई बार ये लक्ष्य हमारी क्षमता पर भारी पड़ जाता हैं जिसका नतीजा तनाव के रूप में सामने आता है। अघिकांश छात्र परीक्षा के दौरान इस जद्दोजहद में रहते हैं कि अगर परीक्षा में अच्छे नंबर नहीं आये तो हम अपने टीचरों तथा अभिभावकों को मायूस करेंगे। यही चिंता बच्चों को अपना बेस्ट कर पाने में बाधा बनती है।
याद रखें की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है पर एक सफल भविष्य के लिए यही एक रास्ता नहीं है। परफेक्ट ना होना भी ठीक है, हम में कुछ कमियां और कुछ कमजोरियों का होना भी ठीक है। ये सब हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा हैं।