Sunday - 21 January 2024 - 5:24 PM

छत्तीसगढ़ सरकार ने 8 करोड़ में खरीदा गोबर

जुबिली न्यूज डेस्क

छत्तीसगढ़ में गाय-भैंस पालने वालों के दिन फिरने लगे हैं। दूध-दही बेचकर तो ये पैसे कमा ही रहे हैं साथ में ये सरकार को गोबर बेचकर भी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। अब तो राज्य में गोबर बेचने की होड़ लग गई है। सरकार भी समय-समय से सबके गोबर के पैसे ऑनलाइन भेज रही है। शुक्रवार को ही राज्य सरकार ने गोधन योजना के तहत 77,000 से अधिक पशुपालकों को 8.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने जुलाई में इस योजना का उद्घाटन किया था। इसके लिए राज्य भर में कई गोठान बनाए गए, जहां गाय-गोबर को वर्मी कम्पोस्ट में बदलने के लिए खरीदा जाता है। सरकार इस योजना के तहत राज्य भर में गाय के गोबर बिक्रेताओं को अब तक 47.38 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।

छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के जरिये गाय-भैंस पालने वाले पशुपालकों, किसानों से गोबर खरीद रही है। पशुपालक से खरीदे गए गोबर का उपयोग सरकार जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए कर रही है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पहली बार 21 जुलाई 2020 को गोबर खरीदा गया और पहली बार में ही 46,964 लाभार्थियों को 1.65 करोड़ रुपये का ऑनलाइन भुगतान किया गया था। सरकार ने ऐसा पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए किया था। सिर्फ कांकेर जिले में ही 2,221 पशुपालकों ने योजना की शुरुवात के पहले 15 दिनों में ही 2,500 कुंतल से ज्यादा गोबर बेचा था।

राज्य सरकार के अनुसार, जुलाई के बाद से, सरकार से 23,68,900 क्विंटल गोबर खरीदा है। गोबर को वर्मी कम्पोस्ट में बदलने के लिए, 44,000 से अधिक टैंक पहले ही बनाए जा चुके हैं जबकि 16,000 निर्माणाधीन हैं।

पशुगणना के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 1.5 करोड़ मवेशी हैं, इनमें से 98 लाख गौवंशीय हैं, जिनमें 48 लाख नर और 50 लाख मादा हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक राज्य में गोधन न्याय योजना से बड़ी क्रांति हो सकती है।

सरकार के मुताबिक वर्तमान में राज्य में 5,454 गोथान हैं, जिनमें से 3,677 गोबर खरीदने के लिए चालू हैं।

सरकार की गोबर खरीदने के पीछे क्या है सोच ?

सरकार द्वारा लागू इस योजना के सोच के पीछे एक प्रमुख कारण है कि जब पशु दूध देना बंद कर देते हैं तो पशुपालक उन्हें लावारिस छोड़ देते हैं और यह दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। अब यह योजना लागू हो गयी है तो पशु अगर दूध नहीं भी दे रहा है तो पशुपालक उसे लावारिस नहीं छोड़ रहे। चूंकि गोबर से या खाद से उन्हें अतिरिक्त आय भी हो रही है इसलिए वह ध्यान दे रहे हैं।

दूसरा कारण भी आय से ही जुड़ा है। पशुपालकों को कई बार पैसों की कमी की वजह से अपने पशुधन बेचने भी पड़ जाते हैं। सरकार की दलील है कि इस योजना के लागू होने से यहां के पशुपालकों के सामने ऐसी नौबत नहीं आएगी।

कौन है योजना के लिए पात्र

गोधन योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी है कि आवेदक पशुपालक छत्तीसगढ़ राज्य का स्थायी निवासी हो। इसके लिए पंजीयन कराना अनिवार्य है।

पंजीयन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पशुओं से सम्बंधित जानकारी पासपोर्ट साइज फोटो आदि केंद्र में जमा करना होगा।

इस योजना का किसी भी दृष्टिकोण से दुरूपयोग न हो इसलिए बड़े जमींदारों व्यापारियों को उनकी समृद्धता के आधार पर इस योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा। इसलिए पंजीयन करवाना सभी के लिए अनिवार्य है ताकि योजना का लाभ विशुद्ध रूप से जरूरतमन्द लोगों को ही मिले।

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