Friday - 19 January 2024 - 8:17 PM

‘घर’से CAA पर बोले मोदी- “वही पालन किया है जो गांधी जी कहकर गए थे”

न्‍यूज डेस्‍क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता में हैं। पीएम मोदी ने रविवार सुबह रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में ध्यान लगाया और कहा कि बेलूर मठ आना तीर्थयात्रा की तरह है। पीएम मोदी ने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें बेलूर मठ में रातभर रहने को मौका मिला है। पीएम ने इसके लिए बेलूर मठ प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार का धन्यवाद दिया। पीएम ने कहा कि प्रोटोकॉल की मजबूरियों के बावजूद ये सब संभव हो सका है, इसके लिए वे सरकार के आभारी हैं।

हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पश्चिम बंगाल में चल रहे भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता के बेलूर मठ से इस कानून को लेकर केंद्र सरकार का रुख स्‍पष्‍ट किया और बिना नाम लिए ममता बनर्जी सहित विपक्षी नेताओं पर जमकर निशाना साधा।

उन्‍होंने कहा कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, न कि लेने के लिए। इस कानून को रातों-रात नहीं बल्कि सोच विचार कर बनाया गया है, लेकिन कुछ राजनी‍तिक दल इसे जानबूझकर समझना नहीं चाहते हैं। उन्‍होंने कहा कि इस कानून के बन जाने के बाद अब पाकिस्‍तान को जवाब देना होगा कि उसने अल्‍पसंख्‍यकों पर जुर्म क्‍यों किया।

बेलूर मठ को अपना ‘घर’ बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून को लेकर युवाओं में बड़ी चर्चा है। बहुत से सवाल युवाओं के मन में भर दिए गए हैं। बहुत से युवा अफवाहों के शिकार हुए हैं। ऐसे युवाओं को समझाना और संतुष्‍ट करना हम सबकी जिम्‍मेदारी है। राष्‍ट्रीय युवा दिवस पर देश और पश्चिम बंगाल और नॉर्थ ईस्‍ट के युवाओं से इस पवित्र भूमि से कहना चाहता हूं कि नागरिकता देने के ल‍िए हमने कोई रातों-रात कानून नहीं बनाया है।’

उन्‍होंने कहा, ‘हमें यह पता होना चाहिए कि दूसरे देश का कोई भी नागरिक भारत की नागरिकता ले सकता है। यह कानून नागरिकता देने का कानून है, लेने का नहीं। नागरिकता संशोधन कानून केवल पहले से मौजूद कानून में केवल एक संशोधन है। इसमें बंटवारे की वजह से जिन लोगों को संकटों का सामना करना पड़ा, उन्‍हें पूज्‍य महात्‍मा गांधी से लेकर तब के दिग्‍गज नेताओं का यही कहना था कि भारत को ऐसे लोगों को नागरिकता देनी चाहिए जिन पर धर्म की वजह से अत्‍याचार किया जा रहा है।’

पीएम मोदी ने कहा कि हमने वही पालन किया है जो गांधी जी कहकर गए थे। उन्‍होंने कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून में हम नागरिकता दे रहे हैं, किसी की नागरिकता छीन नहीं रहे हैं। इसके अलावा आज भी किसी भी धर्म का व्‍यक्ति, नास्तिक भी जो व्‍यक्ति भारत के संविधान को मानता है, वह तय प्रक्रियाओं के तहत भारत की नागरिकता ले सकता है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीति का खेल खेलने वाले इसे समझने के लिए इसे तैयार नहीं है। वे इसे समझना नहीं चाहते हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को कोलकाता पहुंचे थे और रात उन्होंने मठ में ही बिताई थी। पीएम मोदी की मठ में ठहरने की मुख्य वजह रविवार को स्वामी विवेकानंद जयंती बताई जा रही है। गौरतलब है कि पीएम मोदी शनिवार शाम कोलकाता पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं सालगिरह के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।

बता दें कि हावड़ा जिले के बेलूर में स्थित इस मठ की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में की थी। इस मठ को बनाने का उद्देश्य उन साधुओं-संन्यासियों को संगठित करना था जो रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं में गहरी आस्था रखते थे।

इन साधुओं और संन्यासियों का काम था कि वह रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों को जनसाधारण तक पहुंचाए और गरीब, दुखी और कमजोर लोगों की नि:स्वार्थ भाग से सेवा कर सकें। इस मठ में स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस की स्मृति संजो कर रखी गई है।

गौरतलब है कि बेलूर मठ के स्वामी जी मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं काफी उत्साहित हूं कि आज और कल का दिन मैं बंगाल में बिताऊंगा। मुझे रामकृष्ण मिशन में समय व्यतीत करते हुए खुशी हो रही है वो भी तब जब हम स्वामी विवेकानंद की जयंती मना रहे हैं. बेलूर मठ हमेशा से ही मेरे लिए काफी खास रहा है।’

इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट कर रामकृष्ण मिशन के पूर्व अध्यक्ष स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज को याद किया। उन्होंने कहा-एक शून्यता होगी, जिस व्यक्ति ने मुझे ‘जन सेवा ही प्रभु सेवा’ की सीख दी, वे स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज वहां नहीं होंगे। रामकृष्ण मिशन में उनकी उपस्थिति न होना अकल्पनीय है।

आज पूरा देश मना रहा है स्वामी विवेकानंद की जयंती

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।

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