Sunday - 14 January 2024 - 4:06 PM

नए कांग्रेस अध्यक्ष के सामने खडी हैं वर्षों पुरानी चुनौतियां

न्‍यूज डेस्‍क

उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में आखिरी पायदान पर खड़ी कांग्रेस को फिर से सत्‍ता के शिखर पर बैठाने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी कांग्रेस कमेटी के नए अध्‍यक्ष के तौर पर कुशीनगर से विधायक अजय कुमार लल्लू को चुना है। शुक्रवार को लखनऊ में उन्‍होंने पदभार ग्रहण कर लिया।

जमीनी नेता के तौर पर अपनी छवि बनाने वाले अजय के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसे पार पाने के लिए उन्‍हें बेहद कड़ी मेहनत करनी पडेगी। पद संभालने के बाद अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सबसे पहले हमारा फोकस यूपी विधानसभा का उपचुनाव है। उन्होंने बताया कि सभी 11 सीटों पर हमारे (कांग्रेस) प्रत्याशी घोषित हो चुके है।

हालांकि, जानकारों की माने तो उपचुनाव में कांग्रेस को जीत दिला पाना किसी सपने जैसा होगा। क्‍योंकि रामपुर की सीट पर सपा और जलालपुर की सीट पर बसपा अपना दावा ठोक रही है। इसके अलावा बाकी बची हुई नौ सीटों पर बीजेपी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही है। ऐसे में कांग्रेस के लिए किसी सीट पर जीत हासिल कर पाना काफी मुश्किल लग रहा है।

ऐसा इस‍लिए कहा जा है कि क्‍योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली ही जीत पाई, जहां सोनिया गांधी प्रत्‍याशी थी। वहीं कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी सीट जहां पर तत्‍कालिन कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी मैदान में थे हार गए। खास बात ये थी इस सीट पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा खुद प्रचार कर रही थी।

हालांकि, राजनीति में कुछ भी संभव है। अजय कुमार लल्लू के पास बहुत अच्‍छा मौका है। यूपी की खराब कानून व्‍यवस्‍था को लेकर योगी सरकार घिरी हुई है। पूरा विपक्ष योगी सरकार पर हावी है। कांग्रेस के नए अध्‍यक्ष के पास सही मौका है, जिस समय वे योगी सरकार को घेर कर खराब कानून-व्यवस्था से त्रस्त जनता के बीच जगह बना सकते है।

किसान, मजदूर और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर नए कांग्रेस अध्‍यक्ष सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कर कांग्रेस में नई जान फूंक सकते हैं। हालांकि इस दौरान उनके कई समस्‍या भी होंगी। पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। युवा नेता और वरिष्‍ठ नेताओं का गुट बन चुका है। इसे खत्‍म करने के लिए अजय को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

साथ ही संगठन को फिर से खड़ा करना पड़ेगा। कई जिलों में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता निराश होकर पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्‍हें फिर से जोड़न पड़ेगा। जनता के बीच फिर विश्‍वास उत्‍पन्‍न करना पड़ेगा।

Radio_Prabhat
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