Saturday - 10 May 2025 - 5:03 PM

ओपिनियन

आरक्षण के भीतर आरक्षण

केपी सिंह आरक्षण की व्यवस्था को लेकर पिछले कुछ वर्षो से वैचारिक स्तर पर उठा पटक तेज है। सोशल मीडिया पर सक्रिय ब्रिगेड के निशाने पर इस्लाम और मुसलमानों के बाद आरक्षण की व्यवस्था चढ़ी हुई है। देश के बदलते राजनैतिक और सामाजिक परिदृश्य से न्यायपालिका भी प्रभावित हो रही …

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कोरोना के मिलते रिकार्ड आंकड़ों के बाद कितने सजग हैं हम

डॉ. प्रशांत राय भारत में हर दिन कोरोना के रिकार्ड मामले दर्ज हो रहे हैं। एक ओर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार ने तालाबंदी से अधिकांश प्रतिबंधों को हटा दिया है। लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं, लेकिन लोग सतर्क नहीं दिख रहे। …

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इधर से डाक्टर डालो उधर से नेता निकलेगा

नवेद शिकोह आरोप लगाने वालों अपना चश्मा बदल के देखो ! भाजपा लोकतंत्र की हत्या नहीं रक्षा कर रही है। कमजोर लोकतांत्रिक ढांचे को ताकत देने के हर संभव प्रयास कर रही है। विपक्ष कमजोर है इसलिए गैर राजनीतिक हस्तियों को भी ताकत देकर उन्हें मजबूत विपक्षी नेताओं के रूप …

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इस सनक का यारों क्या कहना !

सुरेन्द्र दुबे एक शब्द है सनक। ये सनक व्यक्ति की हो सकती है।ये सनक समाज की हो सकती है।ये सनक संस्था की हो सकती है। सनक सनक में लोग बहुत अच्छे काम कर जाते हैं। सनक सनक में तमाम बार बड़ा नुकसान भी हो जाता है। सनक और लगन बड़े …

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EDITORs TALK : कांग्रेस के मंथन से क्या निकलेगा ?

डॉ. उत्कर्ष सिन्हा देश की सबसे पुरानी पॉलिटिकल पार्टी कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति के बैठक के एक दिन पहले मीडिया में छपे एक पत्र ने पार्टी के अंदरखाने की हलचल को सतह पर ला दिया है। हालांकि ये बात छुपी नहीं रह गई थी …

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EDITORs TALK : अपराधी मस्त, पुलिस बेकाबू

डॉ उत्कर्ष सिन्हा जरा याद कीजिए 2017 का वो चुनावी माहौल जब यूपी में बहदाल कानून व्यवस्था का मुद्दा जोरों पर था। तब विपक्ष में रही भारतीय जनता पार्टी ने एक नारा दिया “अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश” सूबे के यमन पसंद लोगों को स्वाभाविक रूप से ये नारा खूब पसंद …

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नई शिक्षा नीति में नहीं है छात्र संघ का उल्लेख ! क्या बच पाएगा छात्र संघ ?

अशोक कुमार समकालीन शिक्षा में विश्वविद्यालय शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व विद्यालय शिक्षा संपूर्ण शिक्षा पद्धति की शीर्ष बिंदु है। यह पूरी शिक्षा पद्धति की शीर्ष बिंदु होने के साथ ही साथ उसे संपूर्णता प्रदान करती है। इससे राष्ट्र के नायक प्रशिक्षित होते हैं, राजनैतिक नेता, औद्योगिक नेता, नीति …

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EDITORs TALK : बिहार में दंगल शुरू

डॉ. उत्कर्ष सिन्हा जैसे ही इस बात के संकेत मिलने लगे कि बिहार विधान सभा के चुनाव निर्धारित वक्त पर ही होंगे वैसे ही बिहार के सियासी मैदान में हलचल तेज हो गई। बिहार वैसे भी अपने दल बदलू नेताओं और नए नए राजनीतिक समीकरणों के लिए जाना जाता रहा …

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हम खुद क्यों मूर्ति नहीं बन जाते

सुरेन्द्र दुबे कहते हैं कि 12 साल में घूरे के दिन भी बदल जाते हैं। इस कहावत का सीधा सा मतलब यह है कि किसी को जीवन में निराश नहीं होना चाहिए। जीवन एक उतार-चढ़ाव भरी खूबसूरत यात्रा है जिसमें कभी भी किसी के अच्छे दिन आ सकते हैं। मैं …

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आजादी मिलने के 73 वर्ष के भीतर ही स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों की बात करना कैसे राष्ट्रद्रोह हो गया ?

डॉ सुनीलम आजादी मिलने के 73 वर्ष बाद लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, बन्धुता के मूल्यों की दुर्गति हम सब देख ही रहे हैं। देश भर में कोरोना के चलते स्वतंत्रता दिवस वैसा रंगीन और विविधतापूर्ण नहीं होगा जैसा कि अब तक होता आया है। हर 15 अगस्त पर मैं सोचता हूं …

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