Saturday - 14 June 2025 - 9:04 AM

ओपिनियन

राहुल के अमेठी सीट छोड़ने के मायने।

कृष्णमोहन झा एक लंबे समय तक सस्पेंस बनाए रखने के बाद कांग्रेस के नंबर दो नेता राहुल गांधी ने आखिरकार रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। उधर दूसरी ओर अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। गौरतलब है …

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कुलाधिपति से मिलने की बजाय काम पर ध्यान ज्यादा जरुरी है : एक कुलपति की अनकही कहानी

प्रो. अशोक कुमार  छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में कुलपति के पद पर मेरी  नियुक्ति के पहले मेरा एक इंटरव्यू इंटरेक्शन माननीय तत्कालीन राज्यपाल कुलाधिपति महोदय से हुआ था कुलाधिपति महोदय ने मुझसे कहा था यदि आपकी  नियुक्ति कानपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर हो जाए तब आप मुझसे …

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अस्सी के बाद सत्तर के फेर में भाजपा

नवेद शिकोह पहले चरण के चुनाव में मतदाताओं का उत्साह ना देख भाजपा में बेचैनी लाजमी है। खासकर यूपी मे अस्सी की अस्सी सीटें जीतने का लक्ष्य असंभव सा दिख रहा, ऐसे में पिछले लोकसभा चुनाव में जीती 64 सीटें बचाने के लिए पार्टी चुनावी रणनीति को नई धार देने …

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स्वार्थ की जंग में राष्ट्रीयता की शहादत

डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में चुनावी जंग जारी है। सभी राजनैतिक पार्टियां अपनी निर्धारित नीतियों-रीतियों के अलावा तात्कालिक हथकण्डे आजमाने में लगीं हैं। बंगाल का चुनावी इतिहास आतंक के साये में हमेशा से ही फलता-फूलता रहा है। कभी लाल सलाम का रंग चढता रहा तो कभी दीदी की दादागिरी चलती …

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महाविद्यालयों की संबद्धता के रोचक संस्मरण: एक कुलपति की अनकही कहानी

प्रो. अशोक कुमार प्रदेश के विश्वविद्यालय में एक सबसे मुख्य विषय होता है—“विश्वविद्यालय से महाविद्यालयों की संबद्धता”। एक समय एक महाविद्यालय ने मुझे अपने महाविद्यालय में किसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया मैं विश्वविद्यालय से उस महाविद्यालय की ओर अग्रसर हुआ लेकिन कुछ दूरी जाने के …

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कट्टरता की कटार से मानवता की छाती भेदने की तैयारी

 डा. रवीन्द्र अरजरिया तीसरे विश्व युध्द की दस्तक होने लगी है। इजराइल का हमास के साथ हो रहे युध्द का विस्तार अब ईरान तक पहुंच गया है जिसमें दुनिया के देश दो खेमों में बटते जा रहे हैं। दुश्मन के दुश्मनों ने भी दोस्त बनकर कमर कसना शुरू कर दी …

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वैश्विक संकट में डॉ अंबेडकर की धम्म की चर्चा

रिपु सूदन सिंह इस अभूतपूर्व वैश्विक संकट मे डॉ अंबेडकर की धम्म की अवधारणा पर चर्चा सामयिक प्रतीत होती है। संपूर्ण विश्व 14 अप्रैल 2020 को उनकी 133वी जयंती मनाएगा। डॉ अम्बेडकर ने 1956 में एक ऐसा कदम उठाया जो भारत के अनंत इतिहास में अनोखा है। डॉ अंबेडकर ने …

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आवश्यक है मुफ्तखोरी की घोषणाओं पर आय की समीक्षा

 डा. रवीन्द्र अरजरिया देश की दलगत राजनीति ने आदर्शो, सिध्दान्तों और मान्यताओं को तिलांजलि देना शुरू कर दी है। व्यक्तियों की सोच अब स्वार्थपरिता के साथ कदमताल करने लगी है। निजी हित सर्वोपरि होते जा रहे हैं। राष्ट्रवादिता को नारे के रूप में प्रयुक्त करने वाले प्रत्यक्ष में भले ही …

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विकास और प्रतिष्ठा के आधार पर मतदान की संभावना

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया चुनावी काल की राजनैतिक सरगर्मियों के मध्य विदेशी ताकतों के व्दारा देश की आन्तरिक व्यवस्था पर टिप्पणियों का दौर प्रारम्भ हो गया है। दुनिया की व्यवस्था की स्वयंभू ठेकेदारी सम्हालने वाले भारत के स्वरूप को अपने ढंग से नियंत्रित करने का प्रयास करने …

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ज्ञानेन्द्र जी का जाना पत्रकारिता के एक युग का अंत

सुरेन्द्र अग्निहोत्री स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा एक जानेमाने पत्रकार, साहित्यकार व लेखक का निधन लखनऊ के पत्रकारिता जगत में एक युग की समाप्ति है .उन्होंने पिछले 60 वर्षों में सक्रिय पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। हजारों की संख्या में उन्होंने लेख / आलेख लिखे और मीडिया …

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