Saturday - 10 May 2025 - 6:37 AM

ओपिनियन

चुनाव है या डिनर का करारा स्टार्टर

डॉ॰ श्रीश पाठक पड़ोसी कहाँ अच्छे मिलते हैं लेकिन हमारे पड़ोसी गोस्वामी काफी मददगार पड़ोसी हैं। वे क्रिकेट के बेहद शौकीन हैं और मैच देखने के लिए छुट्टियाँ ले लेते हैं। उन्हें वैसे वर्ल्ड कप का बेसब्री से इंतजार होता है। कहते हैं कि यह शुद्ध मनोरंजन भी होता है। …

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कांग्रेस में भीतरघात तो भाजपा में आत्मघात बदलेगा उत्तराखंड का रिकार्ड

रश्मि शर्मा टिहरी गढ़वाल। उत्तराखंड में चुनाव पहले चरण में है पर ज्यादातर शहरों में और खासकर राजधानी या आसपास तो इसका पता भी नही चल रहा है। दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में जरुर प्रचार दिखता है पर इक्कादुक्का गाड़ियां या पोस्टर ही नजर आते हैं। उत्तराखंड की सभी सीटों …

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मोदी सरकार को कैसे देखा जाना चाहिए ?

सोनल कुमार अप्रैल और मई 2019 में भारत के लोकसभा चुनावों में 900 मिलियन लोगों के वोट देने की उम्मीद है। यह पूरे यूएसए की जनसंख्या से 3 गुना है। इसलिए स्वाभाविक रूप से, भारतीय चुनाव दिलचस्पी का विषय है और पूरी दुनिया देख रही है कि सबसे बड़ा लोकतंत्र …

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कन्हैया कुमार : कामरेड या भूमिहार?

संदीप पांडेय ज्यादा दिन नहीं बीता हैं जब बिहार समेत देशभर के विपक्षी दलों के लाडले बन गए थे, जेएनयू वाले कन्हैया कुमार। चूंकि कन्हैया मूलत बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं, लिहाजा बिहार के नेताओं ने कुछ ज्यादा ही गर्मजोशी से उनके साथ रिश्ता बनाया। लालू प्रसाद, …

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तू डाल-डाल, मैं पात-पात

नजरिया अली रजा समय के साथ देश में चुनावी परिदृश्य भी बदल रहा है। पहले राजनीतिक दल अपनी नीति और सिद्धांत के आधार पर चुनाव लड़ते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब राजनीतिक दल वोटरों के हिसाब से अपना एंजेडा बनाते हैं। प्रत्येक वर्ग को बांटकर उनकी कमजोरियों को …

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क्या दूसरी दफा पीएम बन पाएंगे मोदी ?

नदीम एस अख्तर केंद्र सरकार की भक्ति में आप टीवी पे चाहे कुछ भी दिखा दें या चला दें पर एक सवाल है कि क्या पीएम मोदी और बीजेपी दुबारा सत्ता में आ पाएगी ? चूंकि ये देश बहुत बड़ा है, सो इस सवाल के जवाब के लिए मोटे तौर …

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घुसपैठ कर चुका है छात्र राजनीति में कलुषित मानसिकता का दावानल

डा. रवीन्द्र अरजरिया भारत गणराज्य को टुकडों-टुकडों में विभक्त करने का मंसूबा पालने वाले कन्हैया कुमार को भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी ने न केवल बेगूसराय से लोकसभा की चुनावी जंग में उतारा बल्कि अपने सिद्धान्तों से भी समझौता करते हुए पहली बार क्राउड फंडिग को धन संग्रह का हथियार भी बना …

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कांग्रेसी राज के वो दिन, जब हो जाती थी वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौत

हरीश चंद्र श्रीवास्तव मिशन शक्ति की कामयाबी के साथ भारत दुनिया के उन तीन शक्तिशाली देशों अमरीका, रुस और चीन के साथ उस क्लब में सम्मिलित हो गया, जिनके पास उपग्रह आधारित अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली है। भारत ने आज पूर्णत: स्वदेशी उपग्रह निरोधी मिसाइल (एंटी सैटेलाइट मिसाइल) ए—सैट का सफलतापूर्वक …

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क्या आडवाणी को लगी पत्रकारों की हाय !

के.पी. सिंह    लालकृष्ण आडवाणी की दशा देखकर हर संवेदनशील आदमी को उऩ पर दया आ रही है भले ही उनसे किसी भी हद तक वैचारिक असहमति रहे। लालकृष्ण आडवाणी जिस विचारधारा को सही समझते थे उसके लिए उन्होंने जीवन भर ईमानदारी से काम किया। अटल बिहारी वाजपेई के चिंतन …

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न तो भगवान और न ही किसान है मुद्दा

हेमंत तिवारी उत्तर प्रदेश में फिलहाल न तो किसान मुददा बन पा रहे हैं और न ही भगवान। कुछ माह पहले जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर के लिये हुंकार भरी और भाजपा सरकार से मंदिर निर्माण की तारीख पूछी तो सत्तारूढ़ दल के साथ ही …

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