Saturday - 10 May 2025 - 11:57 AM

ओपिनियन

बहस के केन्द्र में है गोदी मीडिया

केपी सिंह  लोक सभा चुनाव के नतीजों के बाद लोकतंत्र का तथाकथित चौथा स्तम्भ पहले स्तम्भ के निशाने पर है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ही अपने-अपने तरीके से मीडिया की भूमिका पर उंगली उठाने में लगे है। इस बीच गोदी मीडिया का मुहावरा एक गाली का रूप ले चुका …

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हाशिए पर पहुंचे केजरीवाल ?

राजेन्द्र कुमार इस बार का जनादेश एक बार फिर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के खिलाफ गया है। कांग्रेस का जहां देश के 21 राज्यों में सफाया हो गया है। वही आम आदमी पार्टी दिल्ली में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में ये …

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मोदी सरकार के सामने हैं बड़ी आर्थिक चुनौतियां

डॉ. योगेश बंधु अपने चुनावी भाषणो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भविष्य के और आर्थिक विकास के लिए मज़बूत सरकार का ज़िक्र ज़रूर करते थे। अब जबकि उन्हें पूर्ण बहुमत मिला गया है, तो ज़ाहिर है देश की जनता और अर्थजगत को उनसे बहुत उम्मीदें हैं। अगर उनके पिछले कार्यकाल …

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मोदी 2.0 : उम्मीद है पुरानी गलतियां नहीं दोहरायेंगे

डा. श्रीश पाठक भाजपा की इस सुनामी में कई समीकरण और छोटे-मोटे प्रबंधन के बांस टूटकर गिर गए हैं लेकिन कठिन मुद्दों की कुछ बेहया घास अभी भी जमी हुई है l ये घास केवल सुशासन से ही हटाई जा सकती हैं l 2014 में नरेंद्र मोदी ने चुनाव लड़ने …

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जातिवादी सोच है डॉ पायल तडवी की मौत की वजह

प्रांशु मिश्रा डॉ पायल की मौत कई मामलों में रोहित वेमूला की मौत याद दिलाती है। बस अंतर यह कि वहां जाति के नाम पर संस्थागत भेदभाव था। पायल की मौत के जिम्मेदार उसके ही कुछ सहपाठी डॉक्टर थे। कुछ ऐसे डॉक्टर जो जाहिर तौर पर खासे पढ़े लिखें होंगे। …

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 कांग्रेस की डूबती नैया को आखिर कौन लगाएगा पार

कृष्णमोहन झा हाल ही में संपन्न  हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों ने यूं तो सारे विरोधी दलों को हताशा की स्थिति में पंहुचा दिया है,लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को जो सदमा लगा है ,उससे उभरने में पार्टी को कितना समय लगेगा, यह कोई नहीं बता सकता। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल …

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कभी गलत नही होता लोगों का सामूहिक फैसला

केपी सिंह  राजनीति का एक सूत्र वाक्य है जनता कभी गलत नही होती। व्यक्तिगत तौर पर लोग गलत और मूल्यहीन हो सकते हैं लेकिन लोगों का सामूहिक विवेक और निर्णय मूल्य पक्षधरता को व्यक्त करता है। चार्वाकवादी युग निश्चित रूप से चार्वाकवादी इस युग में मौलिक आध्यात्मिक भावनाएं लोगों के …

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चुनावी समाजशास्त्र समझने में नाकाम रहा गठबंधन का गणित

डॉ. मनीष पाण्डेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत अप्रत्याशित बिल्कुल भी नहीं है। 2004 और पुनः 2009 में यूपीए की बढ़ी हुई सीटों के साथ सरकार बनाने लायक जीत जैसा परिदृश्य ही 2014 और पुनः बढ़ी हुई सीटों के साथ 2019 में एनडीए के पक्ष में …

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नरेन्द्र मोदी का यह गुण सीख ले विपक्ष

शबाहत हुसैन विजेता महात्मा गांधी के क़ातिल को महात्मा बताने वाली साध्वी प्रज्ञा की भोपाल से जीत पर एक विद्वान ने कहा कि गांधी जी को 1948 में सिर्फ गोली मारी गई थी। लेकिन उनकी मौत 2019 में हुई है। यह किसी एक शख्स का दर्द नहीं लाखों करोड़ों लोगों …

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बहुआयामी सोच के कारण हुई मोदी की वापसी

डा. रवीन्द्र अरजरिया विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र में लोकप्रियता की परिभाषायें बदलने लगीं हैं। जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, वंशवाद, वर्गवाद जैसी मानसिकता ने अस्तत्वहीनता की ओर कदम बढाना शुरू कर दिया है। संकुचित दायरे में कैद रहने वाली विचारधारा ने अब अपनी आजादी का रास्ता खोज लिया है। राष्ट्रवादी सोच …

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