न्यूज डेस्क
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली से लेकर पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। दिल्ली में हुए आगजनी, तोड़फोड़ का मामला राजनीतिक तौर पर भी गरमा गया है। बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच एक दूसरे के खिलाफ तीखी जुबानी जंग छिड़ी हुई है। हिंसा के लिए दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
CAB और NRC को लेकर देश के कई राज्यों में हालात खराब हैं। इसको लेकर आज कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी की रैली करने जा रही हैं। तो असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में अभी भी हालात सामान्य नहीं हैं। इसके अलावा यूपी के छह जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है।
इसको लेकर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोला है। जामिया में हिंसा की बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीटर के माध्यम से मोदी सरकार पर हमला बोला और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
असली ‘गुजरात मॉडल’
इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा कि जिस प्रकार जामिया मिलिया के छात्र-छात्राओं से बर्बरतापूर्ण हिंसा हुई है और विद्यार्थी अभी भी फँसे हुए हैं, ये बेहद निंदनीय है. पूरे देश को हिंसा में फूँक देना ही क्या आज के सत्ताधारियों का असली ‘गुजरात मॉडल’ है।
देश के विश्वविद्यालयों में घुस घुसकर विद्यार्थियों को पीटा जा रहा है। जिस समय सरकार को आगे बढ़कर लोगों की बात सुननी चाहिए, उस समय भाजपा सरकार उत्तर पूर्व, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में विद्यार्थियों और पत्रकारों पर दमन के जरिए अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है।
यह सरकर कायर है। #Shame
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 15, 2019
वहीं, प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘जनता की आवाज से डरती है। इस देश के नौजवानों, उनके साहस और उनकी हिम्मत को अपनी खोखली तानाशाही से दबाना चाहती है। यह भारतीय युवा हैं। सुन लीजिए मोदी जी, यह दबेगा नहीं। इसकी आवाज आपको आज नहीं तो कल सुननी ही पड़ेगी।’
सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा
इस बीच हर किसी की एक ही राय है कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया ये कानून संविधान के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाता है। नागरिकता कानून के तहत तीन देशों से गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत में रहने की इजाजत मिलती है।
दरअसल, कई संगठनों ने डर जताया है कि इससे अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। वो इसलिए भी क्योंकि अगर अभी CAB में सिर्फ हिंदू-जैन-सिख-ईसाई-पारसी-बौद्ध को जगह दी जाती है, तो बाद में NRC के तहत इसका सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा।
NRC लागू करने को लेकर CAB सिर्फ पहला चरण
कई मुस्लिम संगठनों और नेताओं का दावा है कि देशभर में NRC लागू करने को लेकर CAB सिर्फ पहला चरण है। अगर NRC पूरे देश में आता है, तो जिन लोगों को बाहरी बताया जाएगा उसमें अधिकतर की संख्या मुस्लिम समुदाय की हो सकती है। तर्क ये भी है कि अगर NRC से किसी और समुदाय के लोग निकलते हैं, तो उन्हें CAB के तहत नागरिकता भी दी जा सकती है लेकिन सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ने वाला है।
हाल ही में असम में हुई NRC में इसका उदाहरण दिखा था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों की भी बड़ी संख्या थी। हालांकि, अभी NRC की असम लिस्ट को मानने से स्थानीय सरकार भी इनकार कर रही है। इस कानून के खिलाफ अभी तक 15 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं, इनमें से एक AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है।