Friday - 5 January 2024 - 8:27 PM

पीएम किसान सम्मान में बंटरबाट, 20 लाख से अधिक अपात्रों को मिला फायदा

जुबिली न्यूज डेस्क

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। दोबारा सत्ता में मोदी सरकार की वापसी में इस योजना को बड़ा योगदान माना गया था। फिलहाल इस योजना को लेकर खबर है कि इसमें जमकर बंटरबाट हुई है।

सूचना के अधिकार के पता चला है कि 31 जुलाई 2020 तक 20.48 लाख से अधिक ऐसे लोगों को इस योजना का फायदा पहुंचाया गया जो असल में इसके हकदार नहीं थे। इन लोगों के बैंक खातों में कुल 1,364.13 करोड़ रुपए भेजे गए।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना उन लघु और सीमांत किसानों के लिए शुरू की गई थी जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना का लाभ लेने वाले आधे से अधिक (55.58  प्रतिशत) ऐसे अपात्र लोग हैं जो आयकर देने वालों की श्रेणी में शामिल हैं और शेष 44.41 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जो योजना के हकदार नहीं हैं।

सबसे अधिक अपात्र पंजाब में

इस योजना का गलत तरीके से फायदा उठाने वालों में पंजाब के लोग हैं। इसी राज्य के सबसे अधिक अपात्र लोगों को पीएम किसान निधि का फायदा मिला है। यहां 4.74 लाख (23.16)  अपात्र लोगों को योजना का लाभ मिला। वहीं दूसरे पर नंबर पर असम है जहां 3.45 (16.87 प्रतिशत) लाख अपात्रों ने फायदा उठाया।

तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र राज्य है जहां 2.86 (13.99 प्रतिशत) लाख अपात्र लोगों के खाते में पैसे भेजे गए। इन तीन राज्यों में कुल 54.03 प्रतिशत अपात्र लोगों को योजना का लाभ मिला।

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आयकर देने वालों को 985.09 करोड़ भेजे गए

आरटीआई से मिले दस्तावेज बताते हैं कि कुल 1,364.13  करोड़ रुपए में से 985.09 (72.28 प्रतिशत) करोड़ रुपए आयकर देने वाले लोगों को मिले, जबकि अपात्र किसानों के खाते में 379.03 करोड़ रुपए भेजे गए।

दूसरे शब्दों में कहें तो कुल रकम का  27.78  प्रतिशत अपात्र किसानों को मिला। दोनों श्रेणी के अपात्र लोग सबसे अधिक पंजाब में हैं। यहां अपात्र लोगों के खाते में कुल 323.85 करोड़ रुपए भेजे गए। महाराष्ट्र में कुल 216.90 करोड़ और गुजरात में 162.34 करोड़ रुपए अपात्र लोगों के हिस्से में गए।

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आरटीआई कार्यकर्ता और कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव से जुड़े वेंकटेश नायक ने कहा कि पैसे भेजने की गंभीर लापरवाही हुईं हैं। बहुत से अपात्र लोगों को योजना की पांच-पांच किस्त मिल गई है, जबकि बहुत से पात्र लोग योजना से वंचित हैं।

वेंकटेश कहते हैं कि लाभार्थियों की ठीक से पहचान न होने के कारण गलत लोगों के खाते में निधि के पैसे चले गए। उनका कहना है कि अब सरकार अपात्र लोगों से भेजी गई रकम वसूलने का प्रयास कर रही है लेकिन यह बहुत मुश्किल काम है। इस काम पर अलग से लोगों को लगाना होगा और वसूली में भारी भरकम धनराशि खर्च होगी। इसके अलावा देशभर में अपात्र लोगों की पहचान और उन तक पहुंचना भी बेहद मुश्किल काम है।

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