Saturday - 13 January 2024 - 4:23 PM

एयर स्ट्राइक के तिलिस्म को कैसे तोड़ेगा विपक्ष

प्रीति सिंह

इतिहास गवाह है कि भारत में चुनाव वही पार्टी जीती है जो लहर बनाने में कामयाब रही है। 1952 से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव में एक करिश्माई नेता और एक विषय को लहर बनाकर चुनाव जीता गया है। तकरीबन हर चुनाव में इकोई न कोई ऐसा नारा हिट हुआ है जिससे चुनाव की दिशा बदल गई है। इस बार भी आम चुनाव के पहले मोदी के गिरते ग्राफ को एयर स्ट्राइक ने थाम लिया है। एयर स्ट्राइक से बने माहौल की लहर पर सवार होकर नया नारा आ गया है ‘मोदी है तो मुमकिन है’। भाजपा को इस नारे का सहारा है तो विपक्ष के सामने इसकी काट खोजने की चुनौती।

2014 में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ लहर में BJP ने इतिहास रचा था

2014 में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ लहर में बीजेपी ने इतिहास रचा था और अभी देश में जो लहर बनी हुई है उससे लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ होती दिख रही है। भले ही विपक्षी दल सरकार को घेरने के लिए मुद्दे तलाश रहे हो लेकिन एयर स्ट्राइक ने देश में जो माहौल तैयार किया है उससे साफ है कि बीजेपी इसे छोड़ने वाली नहीं है।
26 फरवरी को सेना द्वारा पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक किया गया जिस पर खूब राजनीति हुई। मोदी सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई तो विपक्ष ने ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि पीएम मोदी सेना का इस्तेमाल कर रहे है। वहीं एयर स्ट्राइक के बाद सेना और सरकार के साथ पूरा देश एक साथ खड़ा रहा।

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एयर स्ट्राइक  को भुनाने में जुटी बीजेपी

देश भक्ति की उबाल हर नागरिक में दिखी। बीजेपी ने भी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। सोशल मीडिया, बैनर-पोस्टर से लेकर भाषणों में जमकर सेना के काम के साथ-साथ सरकार की तारीफ की। फिलहाल पीएम मोदी के साथ-साथ उनके मंत्री अपने भाषण में एयर स्ट्राइक का जिक्र जरूर कर रहे हैं। इतना ही नहीं हालिया एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को खुलकर यह चेतावनी भी दी कि वह आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारेंगे।

एयर स्ट्राइक पर विश्व समुदाय भी भारत के साथ है

आम जनता उनके ऐसे तेवरों का तो खुलकर समर्थन कर ही रही है, विश्व समुदाय भी भारत के साथ है। उसने बालाकोट पर हमले को लेकर जिस तरह भारत का पक्ष लिया वह भारतीय कूटनीति की कामयाबी का परिचायक है। चूंकि इस कामयाबी का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है इसलिए भाजपा उनकी साहसिक फैसला लेने की क्षमता को उभारने में लगी हुई है और इस कोशिश में भी है कि देशभक्ति का जो जज्बा लोगों में जगा है वह उसके पक्ष में वोटों में तब्दील हो।
कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि पीएम मोदी सेना का इस्तेमाल चुनाव के लिए कर रहे हैं। लेकिन इतिहास गवाह है कि कांग्रेस से लेकर अन्य दलों में भी लहर बनाकर ही चुनाव जीती है।

1952 के लोकसभा चुनाव में आजादी की लड़ाई की लहर ने कांग्रेस को विजयी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। वहीं 1957 के चुनाव में जवाहर लाल नेहरू ने अपने कामकाज को गिनाकर वोट मांगा और कांग्रेस ने पहले आम चुनाव के मुकाबले सात सीटें ज्यादा जीतीं। ‘गरीबी हटाओं’ आधी रोटी खायेंगे-इंदिरा गांधी को लायेंगे’, ‘आकाश से नेहरू करें पुकार, मत कर बेटी अत्याचार’ , ‘जात पर न पात पर, इंदिराजी की बात पर, मुहर लगाना हाथ पर’ , ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा’, ‘मेरे खून का अंतिम कतरा तक इस देश के लिए अर्पित है’, ‘उठे करोड़ों हाथ हैं, राजीव जी के साथ हैं’, ‘राजीव तेरा ये बलिदान याद करेगा’, ‘हिंदुस्तान सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी’ ‘अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है’, ‘अब की बार मोदी सरकार’ और ‘अच्छे दिन आने वाले है’ नारों से समझा जा सकता है कि किसकी लहर ने चुनावों में काम किया है।

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