Sunday - 7 January 2024 - 7:29 AM

भाजपा मुसलमान विरोधी गाली की संस्कृति का कर रही निर्माण !

जुबिली न्यूज डेस्क

संसद के विशेष सत्र का समापन बेहद ही खास रहा. जिसकी चर्चा सालों  तक देश में होती रहेगी. संसद के विशेष सत्र का समापन भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा मुसलमान सांसद कुंवर दानिश अली को दी गई गालियों से हुआ. कई लोग भाजपा के गालीबाज़ सांसद का वीडियो देखकर हैरान हैं. 2014 में जो सफ़र शुरू किया था उसमें तो यहां पहुंचना ही था.

ये कोई हैरान करने वाली बात नहीं है कि इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सांसद के गाली को सुनने का बाद भी खामोश रहे. ऐसा उन्होने पहली बार नहीं किया है. इसलिए हैरानी की बात नहीं है. जब-जब लोग उनको सुनना चाहते हैं तब-तब वो खामोश हो जाते हैं. इस बार भी वह  वे इन गालियों का पूरा असर हो जाने का इंतज़ार कर रहे हैं.

बात बात में विपक्षी सांसदों को निलंबित कर देने वाले लोकसभा अध्यक्ष ने गालीबाज़ सांसद को मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया है.  यह बात भी हैरान करने वाली नहीं है. भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुसलमान विरोधी गाली की संस्कृति का बड़े क़ायदे से निर्माण कर रही है.

जब नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी को इस देश के हिंदुओं के एक बड़े हिस्से ने अपनी उम्मीदें पूरी करने के लिए सरकार बनाने का काम दिया तो यह असंभव था कि देश की संसद बदज़बानी और गालियों का मंच न बने. 2002 की मुसलमान विरोधी हिंसा के आरोप से घिरे रहे नरेंद्र मोदी को देश के बड़े उद्योगपतियों और बुद्धिजीवियों ने देश की आशा के रूप में पेश किया और अपने कंधे पर बिठाकर संसद और सरकार तक पहुंचाया.

मुसलमान का हित का मतलब हिंदुओं का अहित

नस्ली हिंसा या घृणा और असभ्यता के बीच सीधा रिश्ता है. फूहड़पन और अश्लीलता को उससे अलग नहीं किया जा सकता. यह नहीं किया जा सकता कि आप मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और उनकी हत्या को तो क़बूल करें और उनके ख़िलाफ़ गालियों पर नाक सिकोड़ें. हत्या के पहले या उसके साथ गाली आती है.

हर जगह मुसलमानों के साथ किया जा रहा बुरा बर्ताव 

प्रो. अपूर्वानंद लिखते हैं कि  सड़क हो या स्कूल हर जगह मुसलमानों के साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है. आधुनिक तकनीक के जानकार सोशल मीडिया के तमाम माध्यमों का इस्तेमाल मुसलमानों को गालियां देने के लिए करते हैं. मुसलमान उलटकर गाली नहीं दे सकते, यह सबको पता है. दलितों को गाली देने वाले सवर्णों को भी मालूम है कि दलित उनकी गालियों का जवाब नहीं दे सकते.

जो गालियां भाजपा सांसद ने एक मुसलमान सांसद को दिन, उनसे हिंदू समाज पल्ला नहीं झाड़ सकता. ये गालियां अब गानों की शक्ल में, नारों में अनेक पर्व त्योहारों में खुलेआम हिंदुओं को पवित्र आनंद देने के लिए सुनाई जाती हैं. इसका कोई सबूत नहीं कि ऐसे लाउडस्पीकर पर ऐसे गाली गलौज को किसी हिंदू ने बंद किया हो. ज़्यादा से ज़्यादा हिंदू अब ऐसे ‘बाबाओं’ और ‘साध्वियों’ के भक्त होते जा रहे हैं जिनके प्रवचन का मतलब है मुसलमानों को गाली देना, उनके ख़िलाफ़ हिंसा भड़काना.

गाली सुनकर ख़ामोश रहने की मजबूरी

गाली सुनकर ख़ामोश रहने की मजबूरी के अपमान को समझना मुश्किल नहीं है. जब यह मजबूरी पूरे समुदाय की हो तो इसका अर्थ उस समुदाय की आत्मछवि के लिए क्या है, क्या हम यह नहीं जानते? जब उस समुदाय के प्रतिनिधियों, उसके अभिजन को भी सरेआम गाली दी जाती है तो यह पूरे समुदाय को बेचारगी की अवस्था में धकेल देना होता है.

‘ये गालियां नई नहीं हैं, मुसलमान तो रोज़ इन्हें साधारण हिंदुओं के मुंह से सुनते ही हैं इसलिए इतना सदमा क्यों?’, यह कहकर हम भाजपा सांसद की हिमाक़त और उसके कृत्य की गंभीरता को कम कर रहे हैं. जो सड़क पर किया जाता है, वह संसद में भी किया जा सकता है. मुसलमान विरोधी गाली-गलौज का विशेषाधिकार सांसद के पास है. संसद को मुसलमानों को अपमानित करने की जगह बनाया जा सकता है.

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सभ्य होने की पोल भी गालियों से खुलती है

प्रो. अपूर्वानंद का मानना है कि  गाली देने वाले की असलियत, उसके सभ्य, सुसंस्कृत होने के दावे को पोल भी इससे खुलती है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा जिसकी राजनीतिक शाखा है, में गाली की इस संस्कृति का निर्माण होता है, उसे मुसलमान विरोधी खाद-पानी से पुष्ट किया जाता है, यह बार-बार भाजपा के नेता अपने बयानों और कृत्यों से साबित करते रहे हैं. बिधूड़ी सिर्फ़ सबसे ताज़ा उदाहरण हैं.

भाजपा की संस्कृति बदज़बानी और बदतमीज़ी की संस्कृति है, यह इससे भी मालूम होता है कि दूसरे दलों से उसमें शामिल होने वाले नेता गाली-गलौज करने में उनसे प्रतियोगिता करने लगते हैं. यह सब कुछ होता आया है, कहने से काम नहीं चलेगा. जो चल रहा है, वह और चलने नहीं देना चाहिए. अगर हिंदू इस सभ्य विश्व के नागरिक के रूप में जगह चाहते हैं तो यह नहीं हो सकता कि वे गालीबाज सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को वोट दें.

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