Wednesday - 10 January 2024 - 12:56 PM

बड़ा भूमि घोटाला ? नोएडा के गरीब और दलित किसानों की जमीन कारोबारियों ने हड़पी

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ. यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) पर आने वाले जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की भूमि पर जमीन के धंधेबाजों ने लगभग आठ साल पहले अपना अभियान शुरू किया था. यह एक जानी-मानी कंपनी की कहानी है जिसने टप्पल क्षेत्र में लगभग 73 एकड़ जमीन खरीदी है.

कहानी दिलचस्प और चौंकाने वाली है. राज्य सरकार द्वारा गरीब और दलित किसानों को लीज पर दी गई जमीन को इस फर्म से जुड़ी लगभग आधा दर्जन कंपनियों ने खरीद लिया. यहां यह बताना ज़रूरी लगता है कि सरकार द्वारा किसानों को पट्टे पर दी जाने वाली जमीन न तो बेची जा सकती है और न ही खरीदी जा सकती है. यह ध्यान दिया जाना है कि उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157 (ए) के तहत इन किसानों से इस जमीन को खरीदना गैरकानूनी है. किसानों को केवल अपनी पुश्तैनी जमीन को ही बेचने की अनुमति है.

इस कहानी में सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि यह सभी कंपनियां एक ही पते पर पंजीकृत हैं – 626, छठी मंजिल, टॉवर-ए, डीएलएफ टॉवर, जसोला, नई दिल्ली. इसके अलावा सरकारी रिकॉर्ड पर खरीद सौदों के लिए हस्ताक्षरकर्ता बी. पद्मनाभन के पुत्र पी. नारायणस्वामी हैं. यहाँ यह बताना भी ज़रूरी लगता है कि मूल कंपनी के कर्मचारी पी. नारायणस्वामी भी इनमें से कुछ फर्मों में निदेशक हैं.

विचाराधीन कंपनी जक्सन लिमिटेड है, जो एक प्रमुख जेनसेट निर्माता है और व्यापार के कुछ अन्य क्षेत्रों में काम भी करती है. समीर गुप्ता जैक्सन लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं.

शामिल कम्पनियों की बात करें तो वह हैं – जेस्ट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, इको टावर्स प्राइवेट लिमिटेड,जेस्ट डवेलिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, कोणार्क हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, कोणार्क रेजिडेंसी प्राइवेट लिमिटेड, और जेस्ट ग्रीन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड. इसके अलावा कुछ व्यक्तियों के नाम पर भी कुछ जमीनें खरीदी गई हैं, जिन पर समीर गुप्ता और जैक्सन लिमिटेड के सहयोगी होने का आरोप है.

क्षेत्र के दलित किसानों से इन कंपनियों द्वारा खरीदी गई सभी पट्टे की जमीनों में से जाटव गांव के निवासी भोजराज के पुत्र हुकुम सिंह से संबंधित केवल एक ज़मीन को जेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, 626, छठी मंजिल, टॉवर- ए, डीएलएफ में स्थानांतरित किया जा सकता है.

ज़मीनों के इस खेल को लेकर आपत्तियां भी उठाई गईं कि इन फर्मों द्वारा दलित किसानों को पट्टे पर दी गई जमीन और जाटवगांव के संतो, जाटवगांव के करण, जाटवगांव के ओमप्रकाश, जाटवगांव के ओमप्रकाश, रेणु गौतम, ओमवती देवी द्वारा खरीदी गई जमीन को कैसे खरीदा जा सकता है. टप्पल गांव के सभी निवासी, सरजीत, महेंद्र, मेवाराम और संजय को सरकारी रिकॉर्ड में इन कंपनियों में स्थानांतरित नहीं किया जा सका.

इस मुद्दे पर कुछ समय पहले एक आरटीआई दायर की गई थी, जवाब मिला कि इन लीज की गई जमीनों की बिक्री के लिए कोई सरकारी अनुमति नहीं ली गई थी और इसके लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी. इन संदिग्ध और अवैध सौदों की एक जांच दिसंबर 2014 में अलीगढ़ के तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर संजय चौहान द्वारा की गई थी, लेकिन कोई भी निर्णायक रिपोर्ट सामने नहीं आई. इस मामले को शांत कर दिया गया था क्योंकि प्रभावशाली कॉरपोरेट घराने ने इस मुद्दे को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल किया था.

इन शेल कंपनियों के ये सौदे लैंड सीलिंग अधिनियम और उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157 (ए) का स्पष्ट उल्लंघन है.

जेकसन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक समीर गुप्ता को जुबिली पोस्ट ने तीन ई-मेल, फोन कॉल, एक एसएमएस और एक व्हाट्सएप संदेश भेजे लेकिन समीर गुप्ता ने इन सभी को नजरअंदाज कर दिया और उनका पक्ष जानने की जुबली पोस्ट की सभी कोशिशें बेकार हो गईं.

योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के साथ अपनी मजबूत इच्छा शक्ति दिखाई है और ऐसे मामलों में शामिल लोगों के साथ सख्ती से निपटा गया है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अश्वनी शाही ने जुबली पोस्ट को बताया कि इस मामले में जल्द ही पूरी जांच के आदेश दिए जाएंगे और कोई भी दोषी व्यक्ति कितना ही प्रभावशाली और संपन्न क्यों न हो लेकिन उसे बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि याद रखना चाहिए कि यह पूर्ववर्ती सपा सरकार नहीं है जिसने अपने कार्यकर्ताओं और दोस्तों को लाभ पहुंचाया था.

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जून 2018 में पुलिस ने एक सेवानिवृत्त IAS अधिकारी और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के पूर्व सीईओ पी.सी. गुप्ता को गिरफ्तार किया था. गुप्ता पर पद पर रहते हुए करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले का आरोप था. उन्होंने अपने रिश्तेदारों के साथ कथित रूप से किसानों से जमीन खरीदी थी, जिसे (YEIDA) ने बाद में बाजार मूल्य से दो गुना दाम पर खरीदा था. पी.सी. गुप्ता फिलहाल मेरठ जेल में बंद हैं.

(यह कहानी का पहला भाग है. अगली कड़ी में इसके अन्य दिलचस्प पहलुओं पर रौशनी डाली जायेगी.)

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